कलेक्ट्रेट के बाहर पराली लेकर बैठे किसान, 30 तारीख से होगी बैरिकेटिंग
जबलपुर (जयलोक)। पराली जलाने और मटर मंडी स्थानांतरण के मुद्दे पर आज सुबह से कलेक्टर के साथ किसान संघ के पदाधिकारियों और बाद में मंडी व्यापारियों की बैठकें आयोजित हुईं फिलहाल ये दोनों बैठकें बेनतीजा साबित हुईं। प्रशासन अपने पक्ष पर व्यापारियों और किसानों को समझाने का प्रयास करता रहा वहीं किसान और व्यापारी अपनी वर्तमान समस्याओं पर तर्क देकर मंडी स्थानांतरण और पराली जलाने पर एफआईआर के नियम का विरोध करते रहे। वहीं प्रशासन की ओर से यह कहा जा चुका है कि वे 30 तारीख से शहर सीमा पर बैरीकेटिंग करेंगे और बड़े मटर के वाहनों को नई मंडी की ओर भेजेंगे। इसको लेकर विरोधाभास की स्थिति बनी हुई है।
आज भी भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसान बड़ी संख्या में विरोध जताने कलेक्टर कार्यालय पहुँचे। जहाँ जमकर नारेबाजी कर पराली जलाने पर किसानों पर दर्ज होने वाले मामले का विरोध जताया गया। इस दौरान उन्होंने देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी। इस दौरान किसान टे्रक्टरों में पराली भरकर कलेक्टर कार्यालय पहुँचे थे और गेट के सामने पराली का ढेर लगा दिया। किसान संघ का आरोप है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण की बात कही जा रही है जबकि पराली जलाने से उतना प्रदूषण नहीं होता जितना औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले धुंए से हो रहा है। भारतीय किसान संघ के पुखराज सिंह चंदेल और राघवेन्द्र सिंह पटेल ने आरोप लगाया कि पहले वकीलों ने पराली जलाने पर किसानों की पैरवी करने से इंकार किया फिर जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने पर किसानों पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अगर ऐसा ही रहेगा तो अन्नदाता पराली का क्या करेंगे। जिला प्रशासन द्वारा पराली विनिष्टकरण के लिए जो तरीका बताया वह काफी खर्चीला है छोटे किसान पराली का विनीष्टीकरण जिला प्रशासन द्वारा बताई गई मशीनों से नहीं कर सकते हैं। बैठक में कलेक्टर ने कृषि वैज्ञानिकों की मदद से पराली जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी किसान नेताओं को दी। कलेक्टर ने अधिकारियों को आदर्श मॉडल बनाकर किसानों को इसे समझाने और पराली विनिष्टीकरण के लिए आदेश दिया।
चलाया जाएगा अभियान
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि पराली के विनिष्टीकरण के लिए किसानों को 15 से 20 दिन पूरी टे्रनिंग दी जाएगी। इसके नुकसान के साथ साथ पराली का सही तरीके से विनिष्टीकरण कैसे करें ताकि उससे किसी को नुकसान ना हो इसके बारे में बताया जाएगा। लेकिन अगर इसके बाद भी किसान पराली जलाता पाया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाही की जाएगी।
मटर व्यापारियों से बैठक में नहीं निकला हल
पाटन-कटंगी बायपास पर करीब 90 एकड़ में नई मंडी में बनाई जा रही मटर मंडी में शिफ्ट किए जाने को लेकर मटर व्यापारियों की कलेक्टर के साथ कृषि मंडी में बैठक आयोजित की गई।
नई मंडी के कुल रकबे को लेकर भी विरोधाभास कुछ लोगों को कहना है कि यह 9 एकड़ में है। बैठक में प्रशासन और व्यापारियों के बीच कोई हल नहीं निकला। व्यापारी कृषि मंडी छोडऩे को तैयार नहीं थे तो वहीं कलेक्टर ने मटर व्यापारियों को नई जगह शिफ्ट किए जाने के आदेश दिए। मटर व्यापारियों का कहना है कि कृषि मंडी में उनकी दुकानें हैं। प्रशासन उन्हें नई मटर मंडी में भेज रहा है अभी तो उन्हें यहां फ्री में शिफ्ट किया जा रहा है लेकिन बाद में दुकानों की जमीनों के लिए बोली लगाई जाएगी। ऐसे में वे इतना पैसे कहां से लाएंगे। व्यापारियों ने नई मंडी में शिफ्ट होने से इंकार कर दिया।
इनका कहना है
आज किसान पराली लेकर आए थे वे यह दिखाना चाहते थे कि पराली ऐसी है और इसका क्या किया जाए। लेकिन उनकी समस्या का समाधान किया गया। जिससे वे संतुष्ट हैं। बात पराली जलाने पर दर्ज होने वाली एफआईआर की है तो अन्य खेत में आग लगने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके अलावा पराली जलाने के मामले में कार्रवाही में जल्दबाजी नहीं की जाएगी।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर
पराली जलाने को लेकर प्रशासन एक उचित निदान तलाश कर रहा है। जिसमें मशीनों के द्वारा पराली का विनिष्टीकरण करने की बात कही गई है। इसमें भारतीय किसान संघ उनके साथ है लेकिन इसमें लगने वाली लागत अगर ज्यादा होती है तो किसानों ने प्रशासन से इसमें सहयोग देने की मांग की है। फिलहाल तो पराली जल चुकी है और बोनी हो चुकी है।
राघवेन्द्र पटेल, भारतीय किसान संघ
नई मटर मंडी में व्यापारियों ने जाने से साफ इंकार कर दिया है। जबकि मटर मंडी अभी पूरी तरह से बनी भी नहीं हैं और प्रशासन व्यापारियों को वहां शिफ्ट करने की कोशिश कर रहा है।
अजीत साहू, मंडी अध्यक्ष