इस्लामाबाद। भारत की एयरस्ट्राइक से बुरी तरह से बौखलाए पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने एक और नापाक चाल चली है और परमाणु हमले का डर दिखाने की कोशिश कर रहा है। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) की आपात बैठक बुलाई है।
यह वही संस्था है जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से संबंधित फैसले लेती है। इस कदम ने न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा को गंभीर संकट में डाल दिया है, बल्कि पाकिस्तान के इरादों पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
एनसीए पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का असली रिमोट कंट्रोल है। ये संस्था सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के अधीन काम करती है और इसमें प्रधानमंत्री, सेनाध्यक्ष, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और टॉप सैन्य अधिकारी जैसे पाकिस्तान के सबसे ताकतवर लोग शामिल होते हैं। इसकी स्थापना 2000 में की गई थी, ताकि परमाणु हथियारों की सुरक्षा और इस्तेमाल पर एक सेंट्रल कमांड हो। इसका मकसद ये सुनिश्चित करना है कि परमाणु हथियार सिर्फ जरूरत पडऩे पर और पूरी प्रक्रिया के तहत ही इस्तेमाल किए जाएं। इस बैठक की पुष्टि करते हुए पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, हमें उम्मीद है कि भारत अब तनाव कम करने की दिशा में आगे बढ़ेगा और बातचीत और कूटनीति की ओर बढ़ेगा। हम परमाणु सीमा पार होते देखना नहीं चाहते।
भारत के लिए एनसीए का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी और उसका ऐक्शन इसी संस्था से तय होता है। किसी भी तनाव या युद्ध के हालात में यही तय करेगा कि पाकिस्तान कब और कैसे परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा मतलब ये है कि पाकिस्तान की परमाणु ताकत का असली ‘रिमोट कंट्रोल’ एनसीए है। वैसे पाकिस्तानी पीएम का यह कदम गीदड़भभकी से कम नहीं प्रतीत हो रहा। विश्लेषकों के अनुसार, जब पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब मिला और उसके सभी हमले फेल हो गए, तो अब वह परमाणु शक्ति का हवाला देकर क्षेत्र में डर और दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। पहले भी वह 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट हमले के बाद यह रणनीति अपना चुका है। इस बीच इस्लामाबाद में घबराहट का माहौल साफ देखा जा रहा है। खबर है कि पाकिस्तान सरकार ने ईंधन की किल्लत के चलते राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों को 48 घंटे के लिए बंद रखने का आदेश दिया है।
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