एसपी के तबादले पर सिक रही राजनीतिक रोटियाँ
विभाग का मनोबल चिंता के दायरे में आया
जबलपुर (जयलोक)। जबलपुर पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह सहायक पुलिस महानिरीक्षक के पद पर अपनी आगामी सेवाएं देने के लिए भोपाल में पदस्थ होने जा रहे है। वे जल्द ही प्रतिनियुक्ति पर अपनी नई पदस्थापना में पदभार ग्रहण कर लेंगे। यह बात विभाग से लेकर पत्रकारिता जगत के हर जानकार के पास है। लेकिन जारी हुए आदेश को उनका तबादला बताकर और अपने द्वारा करवा कर राजनीतिक रोटी सेंकने का एक दौर चल पड़ा है। अपनी वाह-वाही का ढोल पीटने में लगे नेताओं को यह भी पता है कि यह उनके बस की बात नहीं है। लेकिन फिर भी पब्लिक को बेवकूफ बनाने में क्या जाता है।
अपने कार्यकाल में जबलपुर लोकसभा जैसे चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न कराने के साथ बिना राजनीतिक दबाव के काम करने वाले पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने में आदित्य प्रताप सिंह सक्षम साबित हुए। उनके कार्यकाल के दौरान शहर के कई जनप्रतिनिधियों ने अपना रोब रुतबा दिखाने के चक्कर में जोर आजमाइश की, लेकिन दबाव की राजनीति को सफल नहीं बना पाए। हुआ वही जो कानून कहता था। अब जब उनका तबादला भोपाल हो चुका है तो ऐसे कई राजनीतिक छवि के लोग हैं, जनप्रतिनिधि हैं जो उनके तबादले को अपनी उपलब्धि बता कर पेश करना चाह रहे हैं। जबकि यथार्थ यही है कि आदित्य प्रताप सिंह प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं देने के इच्छुक हैं और विभागीय कार्यवाही पूरी करने के उद्देश्य से वे स्वयं ही भोपाल में अपना तबादला चाह रहे थे ताकि कागजी कार्यवाही और अन्य विभागीय अनुमतियां जल्द से जल्द प्राप्त कर सकें।
कॉम्बिंग गश्त में सैकड़ों वांछित आरोपियों को पकड़ा
जबलपुर पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आदित्य प्रताप सिंह ने पुलिसिंग में कई नवाचार किये। उनमें सबसे प्रमुख था कि तय समय के दायरे में कांबिंग गश्त थानेवार होना। जब भी कॉम्बिंग गश्त हुई तो पूरे जिले में वांछित अपराधियों और आरोपियों का आंकड़ा सैकड़ों में पहुंचा। 300, 400 लोग 24 घंटे की कार्यवाही में पुलिस की गिरफ्तार में आए और अपराधियों का मनोबल टूटा। दूसरा अपना घर अपना थाना की भावना जगाने वाली योजना भी इनके कार्यकाल में शुरू हुई जिसके अंतर्गत प्रति सप्ताह थाने की साफ सफाई और रखरखाव पर जोर दिया गया। यातायात नियमों के परिपालन की दृष्टि से प्रति सोमवार को हेलमेट डे आयोजित किया गया जिसके अंतर्गत जबलपुर के पांच विभिन्न स्थानों पर लोगों को जागरूक करने के लिए दो पहिया वाहन में बिना हेलमेट के और चार पहिया वाहन में बिना सीट बेल्ट के गुजरने की अनुमति नहीं थी। लंबे समय तक इस अभियान के तहत पहले समझाइए दी गई फिर चालानी कार्यवाही की गई। विभाग के लोगों की हर छोटी से बड़ी समस्या को सुनना और उनका निराकरण करना अवकाश के लिए आने वाले आवेदनों पर सकारात्मक रूप से निर्णय लेना फोर्स का मनोबल बढ़ाना आदित्य प्रताप सिंह के लिए उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बना। अब भाजपा के कुछ जनप्रतिनिधि पुलिस अधीक्षक के भोपाल पदस्थ होने के आदेश को उनके प्रभाव का असर बताने पर तुले हुए हैं और इसके लिए सोशल मीडिया पर जमकर मुहिम चला रहे हैं। जबकि किसी भी जिले के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर के तबादले के प्रकरण का निर्णय केवल मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ही होता है। अगर अपना प्रभाव दर्शाने वाले जनप्रतिनिधि इतने सक्षम होते तो वह उनसे संबंधित घटनाओं के सप्ताह भर के अंदर ही पुलिस अधीक्षक का तबादला करवा पाते। लेकिन ऐसा संभव नहीं था क्योंकि मुख्यमंत्री भी अच्छे अधिकारियों को जल्दी हटाने के पक्ष में नहीं नजर आते हैं। पुलिस विभाग में यह भी चर्चा है की आदित्य प्रताप सिंह को सीएम ऑफिस से पूरा समर्थन था।
आदित्य प्रताप सिंह वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की श्रेणी के अंतर्गत आगामी जनवरी 2025 में डीआईजी के रूप में पदोन्नति प्राप्त करने जा रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार आईपीएस आदित्य प्रताप सिंह प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं देने के इच्छुक हैं और इसके लिए वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी कर चुके हैं। जल्दी इस संबंध में एक नया आदेश भी प्रतीक्षित है।
एक चर्चा यह भी : एक एएसपी की गलत सलाह भारी पड़ी
पुलिस महकमें एक चर्चा यह भी है कि बतौर पुलिस अधीक्षक के रूप में आदित्य प्रताप सिंह का कार्यकाल अच्छा रहा है लेकिन एक एएसपी जिन्हें इस समय पुलिसिंग का चाणक्य और धन कुबेर माना जा रहा है उनकी गलत सलाह ज्यादा भारी पड़ी, इन अधिकारी के कारण पुलिस सीधी टीम नहीं बना पाए और कुछ स्थानों पर नियंत्रण बिगडऩा का क्रम भी इन्ही अधिकारी की गलत सलाह का नतीजा माना जा रहा है। अपने अधीनस्थ सीएसपी और थाना प्रभारियों की गलती पर उनको बचाने और सुधार का एक मौका देने की आईपीएस आदित्य प्रताप सिंह की आदत ने भी उनके खिलाफ बोलने वालों को मुखर किया। पूरे पुलिस महकमें में इसी बात की चर्चा है कि बतौर एसपी जबलपुर के लिए वह बहुत अच्छे अधिकारी थे लेकिन उनके अधीनस्थ टीम लेनदेन की छवि के कारण कानून व्यवस्था और आपराधिक प्रकरणों में वह परिणाम नहीं दे पा रही थी जो अपेक्षित था। इसके लिये कई अधिकारी दंडित भी हुए।
राजनीतिक दबाव बर्दाश्त नहीं किया
बड़ी विचित्र बात है कि जिले की मजबूत पुलिसिंग व्यवस्था के लिए निष्पक्ष और निर्भीक पुलिस अधिकारी का होना बहुत आवश्यक है। पुलिस कप्तान पर अगर किसी भी प्रकार का दबाव डाला जाए तो निष्पक्षता की बात वहीं समाप्त हो जाती है। आदित्य प्रताप सिंह बतौर पुलिस अधीक्षक किसी के दबाव में नहीं आये। यह बात जिले के कई जनप्रतिनिधियों को ना गंवार गुजरी। लेकिन इस बात का सबसे बड़ा खामियाजा यह हुआ है कि कुछ नेता जो श्रेय लूटने की हरकतें कर रहे हैं उससे जबलपुर की पुलिसिंग व्यवस्था में तैनात अधिकारी कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हो रहा है और यह बात चिंतनीय मानी जा रही है।
तबादले पोस्टिंग में सिर्फ मुख्यमंत्री की चल रही, एसपी गए अपनी मर्जी से
पूरे पुलिस महकमें इस बात की भी चर्चा सरगर्म है कि वर्तमान में आईएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले के मामले में केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री की रज़ामंदी ही चल रही है। बाकी के सारे दावे खोखले हैं। इस बात की भी चर्चा सरगर्म है कि आईपीएस आदित्य प्रताप सिंह प्रतिनियुक्ति पर जानने के इच्छुक हैं और उन्हीं की मंशा के अनुरूप उनके निवेदन पर उनका तबादला भोपाल में सहायक पुलिस महानिरीक्षक के पद पर किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार आगामी समय में जल्द ही वे प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं देने के लिए पदस्थ हो जाएंगे। पूरे पुलिस महकमें में इसी बात की चर्चा है कि बतौर एसपी जबलपुर के लिए वह बहुत अच्छे अधिकारी थे लेकिन उनके अधीनस्थ टीम लेनदेन की छवि के कारण कानून व्यवस्था और आपराधिक प्रकरणों में वह परिणाम नहीं दे पा रही थी जो अपेक्षित था। इसके लिये कई अधिकारी दंडित भी हुए।