तीन माह चलेगा जल गंगा संवर्धन अभियान
भोपाल (जयलोक)। प्रदेश में अगले तीन माह तक सरकार गंगा जल संवर्धन अभियान चलाने जा रही है। इसकी शुरुआत 30 मार्च से वर्ष प्रतिपदा के दिन उज्जैन की शिप्रा नदी से की जाएगी। इसका समापन 30 जून को होगा। इसके लिए एक लाख जलदूत बनाए जाएंगे। इसके पीछे सरकार का मकसद अभियान के माध्यम से पानी की बचत करना है। इस अभियान के तहत स्कूलों से लेकर सडक़ों तक गतिविधियां संचालित की जाएंगी। इस मुहिम की थीम जन सहभागिता से जल स्त्रोतों का संवर्धन एवं संरक्षण रखी गई है। इस अभियान को लेकर मुख्यमंत्री माहन यादव का कहना है कि जल से ही हमारा कल सुरक्षित है। यह प्रकृति का अमूल्य उपहार है, जिसका संरक्षण और संवर्धन करना हम सभी की जिम्मेदारी है। आइए, हम सब मिलकर जल संसाधनों की सुरक्षा का संकल्प लें और एक समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेशवासियों से जल बचाने के लिए जागरूक रहने और जल संरक्षण के सभी उपाय अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी इस साल 30 मार्च से जल गंगा जल संवर्धन अभियान प्रारंभ करने जा रही है। जल संरक्षण में जन सहभागिता बढ़ाने और अधिकाधिक जल संरचनाओं के निर्माण की मंशा से जुड़ा यह अभियान लगातार 90 दिन तक चलेगा। उन्होंने इस अभियान के संबंध में अधिकारियों के साथ अहम बैठक भी की। उनका कहना है कि है कि पानी से ही जिंदगानी है। हम सभी को जल की बूंद-बूंद बचाने की जरूरत है। जल से ही हम सबका आने वाला कल सुरक्षित है। इस अभियान के मद्देनजर सीएम डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार गांव-गांव में लोगों को पेयजल और किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है। गर्मी के मौसम में वन्य जीवों को भी कोई परेशानी न हो इसके लिए वन क्षेत्र-प्राणी उद्यानों में जल संरचनाओं को पुर्नविकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जल संरक्षण अभियान देशभर में एक व्यापक जन-आंदोलन बन चुका है। मध्यप्रदेश सरकार भी खेत का पानी खेत में-गांव का पानी गांव में के सिद्धांत पर जल संरक्षण की दिशा में अभियान चला रही है।
जन-जन को जोडक़र नदियों का संरक्षण
अभियान के तहत में प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटरशेड क्षेत्र में जल संरक्षण-संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। बेतवा सहित अन्य नदियों की जल धाराएं न टूटें, इसके लिए जनसमुदाय की सहभागिता से गेबियन संरचना, ट्रेंच, पौधरोपण, चेकडैम और तालाब निर्माण जैसे काम किए जाएंगे। इस काम में आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं को भी जोड़ा जाएगा। इसके अलावा मोबाइल ऐप से नर्मदा परिक्रमा पथ को भी चिह्नित किया जाएगा। इसके बाद मनरेगा के जरिये जल संरक्षण और पौधरोपण की कार्य योजना तैयार की जाएगी।
हर गांव से होगा जलदूतों का चयन
जल गंगा जल संवर्धन अभियान के तहत पहले से बनी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा। प्रदेशभर के तालाबों के गहरीकरण पर विशेष जोर दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल आयोजित की जाएंगी। पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण देकर स्थानीय लोगों को जल संरचनाओं के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसमें उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया जाएगा। अभियान के अंतर्गत हर गांव से 2 से 3 महिला-पुरुष का चयन कर राज्य में एक लाख जलदूत तैयार किए जाएंगे। साथ ही सीवेज का गंदा पानी जल स्त्रोतों में मिलने से रोकने के लिए सोक पिट निर्माण को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
बड़े स्तर पर होंगे काम
बता दें जल गंगा जल संवर्धन अभियान में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व वाले तालाबों, जल स्रोतों, देवालयों में काम किए जाएंगे। मंदिरों के पास मौजूद जल स्रोतों की सफाई में संतों, जनप्रतिनिधियों, स्थानीय समुदाय, प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। विक्रम संवत् के पहले दिन वरुण पूजन और जलाभिषेक के साथ अभियान की विधिवत शुरुआत की जाएगी। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने अमृत सरोवर अभियान में एक हजार नये तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इन विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपये का खर्च हो सकता है। तालाब निर्माण के लिए अब तक 300 स्थानों का चयन किया जा चुका है। जियोग्रॉफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) पद्धति से शेष स्थानों की चयन प्रक्रिया 30 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। साथ ही 100 करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे। ताकि, लघु एवं सीमांत किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी मिले। विभाग का लक्ष्य वर्ष-2025 में एक लाख नए खेत-तालाब बनाने का है।
कुर्की करो-तालाबंदी करो, टैक्स जमा नहीं करने वालों पर कार्रवाई करो..
