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प्रदेश में सबसे ज्यादा हो रही बाघों की मौत वन विभाग की लापरवाही का हुआ खुलासा प्रोटोकाल तक का पालन नहीं  

भोपाल (जयलोक)
टाईगर प्रदेश होने के बाद भी मप्र उन राज्यों में के शीर्ष पर बना हुआ है, जहां पर सर्वाधिक बाघों की मौतें होती हैं। ऐसे मामलों में प्रदेश का वन महकमा और जिम्मेदार अफसर भी गंभीरता नहीं दिखाते हैं, जिससे बाघों की मौतों के मामलों में कमी नहीं आ पा रही है। अगर अधिकृत आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति भयावह नजर आने लगती है। प्रदेश में 2021 से मार्च 2024 के बीच 151 से अधिक बाघों की मौतें हुईं। इसमें भी अकेले सर्वाधिक बाघों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व व उससे सटे जंगल में हुई हैं। यहां 45 से अधिक बाघ मरे हैं। यह तो वह मौतें हैं , जो राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) में दर्ज हैं। प्रदेश में एक के बाद एक होने वाली बाघों की मौतों के मामले में वन बल प्रमुख से लेकर मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक (सीडब्ल्यूसी) तक बेफिक्र नजर आते रहे। यही वजह है कि अब इस मामले में केंद्र की संस्था एनटीसीए को आगे पड़ा है। अब एनटीसीए ने इन मौतों की जांच के लिए मप्र के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को चुना और एआइजी अभिषेक कुमार के नेतृत्व में दिल्ली से एक अलग जांच दल मप्र भेजा था। इस जांच दल ने बांधवगढ़ रिजर्व पहुंचकर पाया है कि बाघों की मौतों की वजह केवल आपसी संघर्ष ही नहीं है बल्कि कई लापरवाही भी रहीं हैं।  यहां तक कि जो मौतें हुई हैं, उनके अंतिम संस्कार से लेकर पीएम तक में प्रोटोकाल का पालन नहीं किया गया है। एनटीसीए के दल की जांच रिपोर्ट बीते माह ही आयी है। अब इस मामले में वन विभाग से जवाब मांगा जा रहा है।
बाघों की मौत के ये भी कारण
जो मौतें मप्र व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है उनमें से कुछ मौतें बाघों की औसत उम्र पूरी होने, एक ही लैंडस्केप में अधिक बाघ होने और शिकार के लिए संघर्ष की स्थिति निर्मित होने, कुछ बाघों को जादू टोने जैसे अंधविश्वास में मारने के कारण भी सामने आए हैं।
यह रहे मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक
आलोक कुमार- अगस्त 2020 से जनवरी 2022 तक मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे। 2020 में 11, 2021 में 41, जनवरी 2022 में 4 बाघों की मौत हुई। इस तरह इनके कार्यकाल में मप्र के 56 बाधों की मौतें हुई।
जसबीर सिंह चौहान- फरवरी 2022 से जून 2023 तक मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे। इन्हीं के कार्यकाल में पहली बार चीतों की शिफ्टिंग हुई। इनके रहते 2022 में 31 और जून 2023 तक 26 बाघों की मौतें हुईं। सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
असीम श्रीवास्तव- जुलाई 2023 से जनवरी 2024 तक मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे। वर्तमान में वन बल प्रमुख है। इनके कार्यकाल में 22 बाघों की मौतें हुईं। इन्होंने न तो तब ठोस कदम उठाए और न ही अब काम कर रहे।
अतुल कुमार श्रीवास्तव– मार्च से जून 2024 तक मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे, कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जांच के लिए एसआइटी गठित की। जून में रिटायर हो गए। इनके कार्यकाल में 6 बाघ मरे।
शुभरंजन सेन- जुलाई 2024 से 21 अगस्त 2024 तक प्रभारी मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे। उसके पहले एपीसीसीएफ वन्यप्राणी थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर किसी पर कार्रवाई नहीं की, केवल एनटीसीए को जवाब देकर बताया कि तत्कालीन फील्ड डायरेक्टरों से जवाब मांगा है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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