
भोपाल (जयलोक)। मध्यप्रदेश में 9 साल बाद सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को प्रमोशन मिलेगा। मंगलवार को हुई प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में इसकी मंजूरी मिल गई है। बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस फैसले से नई भर्ती के दरवाजे भी खुल जाएंगे। प्रमोशन में आरक्षित वर्ग की हिस्सेदारी को भी इसमें ध्यान में रखा गया है। प्रमोशन में किसी प्रकार की विधिक तकलीफ नहीं आएगी, इसका भी पूरा ध्यान रखा गया है। अग्रिम डीपीसी के प्रावधान किए गए हैं। वरिष्ठता का ध्यान रखा गया है। किन परिस्थितियों में लोकसेवक अपात्र होगा, इसे भी स्पष्ट किया गया है। निर्णय के पुनर्विलोकन के लिए रिव्यू डीपीसी की व्यवस्था भी की गई है। पदोन्नति समिति को शासकीय सेवक की उपयोगिता निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है।
2016 में प्रमोशन पर लगी थी रोक
9 साल पहले 2016 से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति (प्रमोशन) रुकी हुई थी। इसकी वजह यह थी कि आरक्षण में प्रमोशन को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में था। सरकार ने वहां एसएलपी दाखिल की थी, जिससे प्रमोशन नहीं हो पा रहा था।
सीएम के सामने फॉर्मूले का प्रेजेंटेशन हुआ
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कर्मचारियों को पदोन्नति दिए जाने के पक्ष में हैं। इसी कारण तीन महीने पहले उन्होंने सभी पक्षों की सहमति से पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रमोशन का फॉर्मूला तैयार करना शुरू किया और दो से ज्यादा बार मुख्यमंत्री के सामने इसका प्रेजेंटेशन पेश किया गया। इस दौरान सपाक्स और अजाक्स के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सरकार द्वारा तैयार फॉर्मूले का प्रेजेंटेशन दिया। पिछले हफ्ते, 10 जून को हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के सामने भी इसका प्रजेंटेशन पेश किया गया था। इसके बाद अब इसे मंजूरी के लिए आज की कैबिनेट बैठक में लाया गया। इसे लेकर सोमवार देर रात तक मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के कार्यालयों के बीच गहन मंथन चलता रहा।

Author: Jai Lok
