
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने युवाओं से इस आंदोलन में भाग लेने और धरती के हरित आवरण को बढ़ाने में योगदान देने का आह्वान किया। अरावली ग्रीन वॉल परियोजना तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 29 जिलों में अरावली के आसपास के पांच किलोमीटर के बफर क्षेत्र में हरित आवरण का विस्तार करने पर फोकस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गुरुवार को भगवान महावीर वनस्थली पार्क में पेड़ लगाकर अरावली ग्रीन वॉल परियोजना की शुरुआत की। इसे एक पेड़ मां के नाम अभियान का विस्तार बताया जा रहा है। अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत दिल्ली से लेकर गुजरात तक फैली अरावली पर्वत श्रंख्ला में पेड़ लगाए जाएंगे। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा कि ‘अरावली पर्वत श्रंख्ला इस धरती पर सबसे पुरानी पर्वत श्रंख्लाओं में से एक है। यह गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली को कवर करती है। इस पर्वत श्रंख्ला को बीते कई वर्षों से पर्यावरण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अब उनकी सरकार इन चुनौतियों को कम करने के लिए समर्पित है।
योजना की शुरुआत पर क्या बोले पीएम मोदी
उन्होंने कहा, हमारा ध्यान इस पर्वतमाला से जुड़े क्षेत्रों का कायाकल्प करने पर है। हम संबंधित स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करेंगे और जल प्रणालियों में सुधार, धूल भरी आंधी पर अंकुश लगाने, थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने जैसी चीजों पर जोर देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अरावली पर्वतमाला और उसके आगे, पारंपरिक रोपण विधियों के अलावा, हम नई तकनीकों को प्रोत्साहित करेंगे, खासकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां जगह की कमी है। वृक्षारोपण गतिविधियों को जियो-टैग किया जाएगा और मेरी लाइफ पोर्टल पर उनकी निगरानी की जाएगी।’ प्रधानमंत्री ने युवाओं से इस आंदोलन में भाग लेने और धरती के हरित आवरण को बढ़ाने में योगदान देने का आह्वान किया। अरावली ग्रीन वॉल परियोजना तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 29 जिलों में अरावली के आसपास के पांच किलोमीटर के बफर क्षेत्र में हरित आवरण का विस्तार करने पर फोकस है। इसके तहत 29 जिलों में करीब एक हजार नर्सरी विकसित की जाएंगी। इस मौके पर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों से इस अभियान में शामिल हुए। सरकार ने मार्च 2023 में अरावली ग्रीन वॉल अभियान का एलान किया था। इसका लक्ष्य गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में लगभग 64 लाख हेक्टेयर भूमि को शामिल करते हुए पांच किमी चौड़ी हरित पट्टी बफर जोन स्थापित करना है। इसके भीतर, लगभग 42 प्रतिशत भूमि बंजर है। इस पहल को इसलिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि वनों की कटाई, खनन, पशुओं के चरने और मानव अतिक्रमण से मरुस्थलीकरण की स्थिति और खराब हो रही है।
चार राज्यों से लगती है अरावली की 700 किलोमीटर की सीमा
गौरतलब है कि अरावली की 700 किलोमीटर की सीमा चार राज्यों से लगती है, जिसमें दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा की सीमाएं शामिल हैं। इसमें 29 जिले, चार बाघ अभयारण्य और 22 वन्यजीव अभयारण्य शामिल है।
विधायिका, कार्य – पालिका एंव न्यायपालिका के अधिकारों व शक्तियों में संतुलन स्थापित है

Author: Jai Lok
