
जबलपुर (जयलोक)। कुछ वर्ष पूर्व आई अजय देवगन की पिक्चर रेड में जिस प्रकार से एक बाहुबली के निवास स्थान पर छापेमारी के पूर्व गोपनीयता बरकरार रखी जाती है और एक सस्पेंस छापा मारने वाले दल में शामिल अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक में बना रहता है कि आखिर यह छापा कहाँ और कब पडऩे वाला है। कुछ ऐसा ही समीकरण और दृश्य विकास दिवस बरखेड़ा के ब्रह्माघाट पर नर्मदा का सीना छल्ली करने वाले बड़े अवैध रेत माफिया की अवैध खदान पर मारे गए छापे के दौरान नजर आया।
उप मुख्यमंत्री जबलपुर में थे तब किसी ने सोचा नहीं था कितनी बड़ी कार्रवाई होगी
पूरे घटनाक्रम के दौरान यह बात प्रमुखता से सामने आई की कलेक्टर दीपक सक्सेना ने प्राप्त हो रही शिकायतों पर सटीक कार्यवाही करने के लिए सही समय का चयन किया। रेत माफिया को कानों कान खबर नहीं हुई। ना ही उन्हें इस बात का अंदाजा था कि उपमुख्यमंत्री के जबलपुर प्रवास के दौरान जिला प्रशासन अपनी व्यवस्था से बाहर आकर रेत माफिया के खिलाफ इतने बड़े स्तर पर कार्यवाही करेगा।

पुलिस बल को भी नहीं पता था कहाँ जाना है
बड़े स्तर पर हो रहे अवैध रेत खनन के पीछे बड़े लोगों की भूमिका का अंदाजा लगाते हुए जिला प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा की पूर्व तैयारी की थी। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस बड़े छापे मार करवाई से पूर्व पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय से चर्चा कर अतिरिक्त पुलिस बल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। छापे की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए कलेक्टर, एसपी की चर्चा के बाद एक अलग ही दल का निर्माण किया गया। जिसमें एडीएम नाथूराम गौड़, जबलपुर एसडीएम अभिषेक सिंह के साथ ही सीएसपी और रांझी के पुलिस बल को इस छापेमार कार्यवाही हेतु जिम्मेदारी दी गई।
नरसिंहपुर के रास्ते गया दल ताकि मुखबरी ना हो सके
कलेक्टर दीपक सक्सेना पूर्व में नरसिंहपुर कलेक्टर भी रह चुके हैं और जबलपुर और वे नरसिंहपुर के बीच की भौगोलिक स्थिति को बहुत अच्छी तरीके से समझते हैं। इस का फायदा उठाते हुए उन्होंने संदेही बड़े नामधारी लोगों की इस अवैध रेत खदान पर छापा मारने के लिए गए दल को नरसिंहपुर के रास्ते जाकर और लंबा चक्कर लगाकर ब्रह्मा घाट पर छापा मारने के निर्देश दिए थे।

एडीएम स्तर के अधिकारी गए कार्यवाही में
लगभग डेढ़ दशक के बाद अवैध रेत की बड़ी खदान जिसमें तीन पोकलेन जैसी अत्यधिक खुदाई की क्षमता वाली मशीन कार्य कर रही थी पर छापा मारने के लिए किसी एडीएम स्तर के अधिकारी को मौके पर भेजा गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि संदेश स्पष्ट जाए की रेत माफिया के खिलाफ उठाया गया यह कदम निर्णायक मुकाम तक पहुँचेगी और साठ-गांठ की किसी प्रकार की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
कैसे संभव है कि राजस्व और माइनिंग को जानकारी नहीं थी इस अवैध खदान की
इस पूरी कार्रवाई के बाद सबसे बड़ा सवाल यह भी उठकर आ रहा है कि जिस स्थान पर इतने लंबे समय से इतनी विशालकाय मशीन बड़ी संख्या में अवैध रूप से नर्मदा नदी का सीना छल्नी कर रेत का अवैध खनन कर रही थी, उसके बारे में क्षेत्र के राजस्व अमले से लेकर माइनिंग विभाग के जिम्मेदार लोगों को जानकारी ना हो। संबंधित पुलिस थाने में भी क्या अवैध रूप से दौड़ते डंपरों, हाईवा, ट्रैक्टर ट्रॉलियों की जानकारी नहीं थी। या नोटों पर छपा चश्मे ने इनकी आखों पर चढक़र आँखें बंद कर दी गई थीं। क्यों बरगी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली सडक़ों पर दौडऩे वाले इन अवैध परिवहन के वाहनों पर जाँच नाका लगाकर कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि वर्तमान में भी ऐसे अवैध खनिज का परिवहन कर रहे वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
हुजूर मिलने क्या गए चर्चाएँ चल पड़ी
विगत दिवस बड़े स्तर पर हुई अवैध रेत खदान पर छापेमारी की कार्यवाही के बाद बरगी विधानसभा क्षेत्र के नवनिर्वाचित विधायक नीरज सिंह जिला कलेक्टर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। अब चूंकि एक दिन पहले उनकी विधानसभा क्षेत्र में उप मुख्यमंत्री की नगर में मौजूदगी के दौरान इतनी बड़ी अवैध खदान पर प्रशासन ने कार्यवाही की तो सामान्य सी बात है कि चर्चाओं का दौर चल पड़ा। विधायक की कलेक्टर दफ्तर में दस्तक को लोगों ने अलग-अलग नजरिए से देखा और अलग-अलग अंदाज लगाकर चर्चाएं शुरू कर दीं। विधायक एवं कलेक्टर दोनों ने ही इस मुलाकात को जिला योजना समिति से जुड़े विषयों पर चर्चा पर केंद्रित बताया। विधायक नीरज सिंह ने कहा कि ऐसे अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्यवाही होती रहना चाहिए। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि जो भी इस अवैध उत्खनन के पीछे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी।
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Author: Jai Lok
