
जबलपुर (जयलोक)। जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर सिहोरा वन परिक्षेत्र के घुघरा में एक निजी संस्थान के परिसर में मिले तेंदुए के शव के मामले में वन विभाग की टीम ने अहम खुलासा किया है। वन विभाग की टीम का कहना है कि तेंदुए का शिकार किया गया है। हालांकि इसे उसी स्थान पर मारा गया है जहां उसका शव मिला या फिर मारकर यहांंं फेंका गया है इसकी वन विभाग की टीम जाँच कर रही है। खास बात यह है कि मेडिकल जाँच के दौरान तेंदुए के शरीर से उसके दांत और नाखून नदारत मिले। जिससे इस बात की पुष्टि हो गई कि तेंदुए का शिकार किया गया है।
डीएफओ ऋषि मिश्रा ने बताया कि तेंदुए की मौत की जाँच डॉग स्कवॉड की टीम कर रही है। जिसकी जाँच के बाद यह पता चल सकेगा कि तेंदुए के शव को यहां लाकर फेंका गया है या फिर यहीं तेंदुए को मारा गया है। ज्ञात हो कि इसी जगह पर कुछ दिनों पूर्व भी सुअरों का शव बरामद किया गया था। जिसके बाद वन विभाग की टीम अलर्ट हो गई और फैक्ट्री के तीन कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया। लेकिन इसके बाद भी यहां वन्य प्राणियों के शिकार किए जाने के सबूत मिल रहे हैं। वहीं इस मामले में लापरवाही बरतने वाले डिप्टी रेंजर यादवेन्द्र यादव और बीट गार्ड जितेन्द्र अग्रवााल को निलंबित कर दिया गया है।

रायपुर के कारोबारी महेन्द्र गोयनका की है फैक्ट्री
जिस फैक्ट्री परिसर में तेंदुए का शव बरामद किया गया है वह रायपुर के कारोबारी महेंद्र गोयनका की है। जिनका नाम पूर्व में भी वन्य प्राणियों के शिकार से जुड़ चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां आए दिन अधिकारी और अन्य लोगों के लिए मटन पार्टी की जाती है। छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी महेंद्र गोयनका ने मध्य प्रदेश सरकार से प्लांट लगाने की अनुमति लेकर जमीन ली। लेकिन औद्योगिक भूमि पर फार्म हाउस बना लिया। जहां शिकार के लिए तालाब और मकान बनवा दिए। पिछले 10 दिनों में महेंद्र गोयनका के निसर्ग इस्पात के नाम से जमीन लेकर बनाए गए फार्म हाउस में तीन बार फारेस्ट विभाग का छापा पड़ चुका है। इस दौरान महेंद्र गोयनका के मैनेजर सहित तीन लोग जेल भी गए थे। तीसरी बार डीएफओ ने छापा मार कर राष्ट्रीय स्तर के पशु तेंदुआ को जब्त किया। आरोप यह भी है कि वन विभाग के कुछ कर्मचारी महेंद्र गोयनका से पैसे लेकर मामले को दबा रहे थे। जिन्हें पकड़ लिया गया और डीएफओ ने उन्हें सस्पेंड कर दिया।
ग्रामीणों ने लगाया शिकार का आरोप
आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि इलाके में लंबे समय से जंगली जानवरों का शिकार हो रहा है। विभागीय स्तर पर कार्रवाई भी धीमी गति से हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी कई बार सुअरों के शिकार की घटनाएं सामने आईं, लेकिन कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए।

यह है पूरा मामला
दरअसल वन विभाग की टीम गोयनका की फैक्ट्री में छापामार कार्रवाई करने पहुंची थी। इस दौरान सिहोरा वन परिक्षेत्र के घुघरा गांव के पास तेंदुए का शव बरामद हुआ। अब मंडला टाइगर रिजर्व की डॉग स्क्वॉड टीम जांच कर रही है। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तेंदुए की मौत का खुलासा होगा जिससे सच सामने आएगा।
चल रहा पोस्टमार्टम
डीएफओ श्री मिश्रा ने बताया कि अभी तेंदुए का पोस्टमार्टम चल रहा है। पीएम रिपोर्ट शाम तक मिल सकती है। जिसके बाद कई खुलासे होंगे। फिलहाल वन विभाग की टीम फैक्ट्री के अन्य लोग और ग्रामीणों से भी पूछताछ कर रही है।
शिकारियों का ठिकाना बना फैक्ट्री परिसर
करीब 250 एकड़ में फैला यह इस्पात संयंत्र लंबे समय से शिकारियों की गतिविधियों को लेकर संदेह के घेरे में है। बताया जाता है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से यहाँ आए दिन वन्य जीवों का शिकार और मांस का सेवन किया जाता है। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि जंगली सुअर शिकार प्रकरण के सामने आने के बावजूद फैक्ट्री को सील कर विस्तृत जांच क्यों नहीं की गई?अब तेंदुए का शव मिलने के बाद वन विभाग पूरे कैंपस की खुदाई और तलाशी कराने की तैयारी में है, ताकि पहले हुई घटनाओं की भी पूरी सच्चाई सामने आ सके।
इनका कहना है
तेंदुए का पीएम जारी है शाम तक रिपोर्ट आ जाएगी। तेंदुए के शरीर पर नाखून और दांत नहीं मिले हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसका शिकार किया गया है। वहीं इस मामले में लापरवाही बरतने वाले दो वन कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
ऋषि मिश्रा,
डीएफओ
घर के बाहर बैठे 7 लोगों को अंधी रफ्तार कार ने रौंदा, 5 की मौत, 2 घायल
Author: Jai Lok







