
जबलपुर (जयलोक)। शहर की सुरक्षा और अपराधियों की गिरफ्तारी और अपराधिक वारदातों को सुलझाने में शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे काफी हद तक पुलिस के लिए ममदगार साबित होते हैं। पुलिस की आँख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरों को दिखना बंद हो गया है। जिससे ना तो ये पुलिस की मदद कर पा रहे हैं ना ही अपराधियों की शिनाख्त। कई वारदातें ऐसी हो चुकी हैं जिनमें पुलिस को सीसीटीवी फुटेज खंगालने में मायूसी ही हाथ लगी।
दरअसल शहर के चौराहों में लगे अधिकांश सीसीटीवी कैमरे बंद हैं, जिनके सुधारकार्य के लिए बजट नहीं मिल रहा है। हालांकि इस संबंध में पुलिस के अधिकारियों द्वारा एक पत्र भेजा गया लेकिन अब तक सीसीटीवी के सुधार कार्य के लिए बजट उपलब्ध नहीं हो सका। ऐसे में अब पुलिस की मेहनत दोगुनी बढ़ गई है। अपराधियों को पकडऩे, शिनाख्त करने के लिए अब पुलिस को खुद ही दौड़ भाग करनी पड़ रही है।

धुंधले हुए फुटेज
शहर में लगे अधिकांश सीसीटीवी कैमरे ना सिर्फ बंद पड़ गए हैं बल्कि जो चालू हैं उनमें भी साफ नहीं दिख रहा है। कई मामलों में जब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो वे धुंधले मिले। जिससे अपराधियों की शिनाख्त करने में पुलिस को परेशानी हुई।
कई माह से नहीं हुआ सुधार कार्य
इस मामले में एएसपी सोनाली दुबे ने बताया कि सीसीटीवी सुधार कार्य के लिए बजट जरूरी है। बजट के लिए अधिकारियों को अवगत भी कराया जा चुका है। हालांकि इस पर विचार चल रहा है, लेकिन जब तक बजट नहीं मिलता तब तक सुधार कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है, जिससे सीसीटीवी कैमरे बंद पड़ गए हैं।

कंपनी ने भी खड़े किए हाथ
सीसीटीवी सुधार कार्य करने वाली कंपनी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। भुगतान के अभाव में कंपनी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। शहर में करीब 627 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। लेकिन सुधार कार्य ना होने से इनमें से कुछ ही सीसीटीवी कैमरे अपना काम कर रहे हैं।
कैमरों की बढऩी है संख्या
शहर में जिस तरह से अपराधों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए शहर में कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। खासतौर पर उन जगहों पर जहां पूर्व में कई वारदातें हो चुकी हो चुकी हैं या सुनसान जगहों पर ये कैमरे लगने हैं।
इनका कहना है
सीसीटीवी सुधार कार्य के लिए बजट के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। जिसका बजट आते ही सुधार कार्य शुरू किया जाएगा।
सोनाली दुबे, एएसपी

Author: Jai Lok
