
चैतन्य भट्ट
(जयलोक)। मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाईओवर जो जबलपुर में कई बरसों से बन रहा है वो दो पाटों के बीच में पूरा फंस गया है । एक पाट है भारतीय जनता पार्टी तो दूसरा पाट है कांग्रेस। दोनों ही पार्टी के नेता इस फ्लाईओवर को बनाने का श्रेय लेने में जुटे हुए हैं कई बरस हो गए इसको बनते बनते एक तरफ का हिस्सा अंतरराष्ट्रीय कंपनी ‘नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी’ ने बना दिया तो दूसरा हिस्सा पैसा बचाने के चक्कर में रीवा की एक लोकल फर्म को दे दिया ,अब लोकल काम तो लोकल ही होता है ना, सो वो कंपनी कछुए की चाल से फ्लाईओवर का निर्माण कर रही है। इस लेटलटीफी से नाराज कांग्रेस का कहना था कि फ्लाईओवर का निर्माण तो चार महीने पहले हो गया है लेकिन लोक निर्माण मंत्री और जबलपुर के सांसद के बीच चल रही रस्साकसी के चक्कर में इसका लोकार्पण नहीं हो पा रहा है वहीं दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि अभी चूंकि निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ इसलिए इसका लोकार्पण संभव नहीं है इस चक्कर में बेचारा फ्लाईओवर भारी उलझन में है कि किसके पक्ष में खड़ा हो जाए, किसके पक्ष में बोले, किसको नाराज करे, और किसको खुश करे । उसको तो मालूम है कि जैसे ही वह चालू होगा हजारों लोग उसको कुचलते हुए इधर से उधर, उधर से इधर होने लगेंगे । पीठ पर घाव हो जायेंगे, बड़े बड़े ट्रक बसें उसकी पीठ पर दोनदरा मचाएंगी इसलिए वो भी सोच रहा है जितने दिन आराम से कट जाए काट लो फिर तो सवारियों को ढोना ही है। इधर पिछले दिन कांग्रेस के नेता बाकायदा थाली में पूजा सामग्री, नारियल, सिंदूर हल्दी लेकर फ्लाईओवर का लोकार्पण करने पहुंच गए लेकिन भारतीय जनता पार्टी को ये कैसे सहन होता कि जिसका निर्माण उसके कार्यकाल में हो रहा है वो इसका लोकार्पण कांग्रेस को करने दे । एक इशारे पर पुलिस लग गई और फिर पानी की बौछार, लाठी चार्ज, नारेबाजी, धक्का मुक्की, गिरफ्तारियां जितना भी हो सकता था वो हुआ लेकिन कांग्रेस कहती है कि हमने तो नारियल फोडक़र फ्लाईओवर का लोकार्पण कर दिया, यदि कांग्रेस की मान लें तो फ्लाईओवर पर आवागमन शुरू हो जाना चाहिए लेकिन अभी तक तो कोई चिडिय़ा का बच्चा भी उस फ्लाईओवर पर दिखाई नहीं दिया हो सकता है दो-चार दिन बाद दो-चार दस आदमी उस फ्लाईओवर पर दिखाई दे दिए जाएं ,लेकिन एक बात जरूर हुई है कांग्रेसियों के इस आंदोलन से जो काम कछुए की चाल से चल रहा था वो रातोंरात हिरण की चाल पर आ गया। अब वही ठेकेदार जो आराम से एक-एक मीटर की सडक़ बना रहा था वो अब रात दिन खुद भी लगा है और अपने कर्मचारियों को भी लगाए हुए हैं कि किसी भी तरह इस फ्लाईओवर को पूरा करना है । अपना मानना तो ये है कि कुछ हुआ हो ना हुआ हो लेकिन कम से कम जनता को अब इस बात की आशा हो गई है कि जो फ्लाइओवर अगले बरस तक भी चालू नहीं होने वाला था वो शायद अब एक या दो महीने के भीतर शुरू हो जाएगा । एक लोकार्पण तो कांग्रेस ने कर ही दिया है अब दूसरा लोकार्पण कौन करेगा इसका इंतजार पूरे जबलपुर के लोगों को है। वैसे तो इस शहर के लोगों का धैर्य काबिले तारीफ है कुछ भी होता रहे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए फ्लाइओवर चालू हो ना हो वे अपनी मस्ती में आड़े टेढ़े होते हुए रास्ते पर चलते रहेंगे ।

क्यों छीछालेदर करवा रहे हो
प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा आयोजन हुआ जिसमें बड़े-बड़े नेता आए और सांसदों मंत्रियों और विधायकों को इस बात का पाठ पढ़ाने में लगे हैं कि भैया जो कुछ भी बोलना हो पहले खूब अच्छे से सोच लो, हर शब्द को तौल लो, उसके सारे अर्थ डिक्शनरी से देख लो और फिर बोलो वरना जैसी छीछालेदर पार्टी के नेता पार्टी की करवा रहे हैं उससे विरोधियों को मसाला मिल रहा है। दरअसल दो मंत्रियों के बयान भाजपा के गले की फांस बन गए हैं ना तो लीलते बन रहा था और ना उगलते। लाख सफाई देते रहे मंत्री जी तीन तीन बार माफ़ी भी मांग ली लेकिन जो बात जुबान से निकल गई थी वो लौटे तो लौटे भी कैसे? कांग्रेस वाले तो बैठे ही हैं कि तुम कुछ कहो और हम उसको ले उड़ें और बीजेपी भी तो यही करती है कांग्रेस के किसी नेता ने कुछ कहा तो वे भी ले उड़े ।लेकिन इन बड़बोले नेताओं के चक्कर में पिछले कई दिनों से बीजेपी को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा इसलिए उनके बड़े नेताओं ने तीन दिवसीय आयोजन किया जिसमें हर एक को यह बात रटाई जा रही है कि जो कुछ भी बोलना है बहुत सोच समझ कर बोलो, ऐसा ना हो की बोलना कुछ चाह रहे हो और बोल दो कुछ। इसलिए बोलने से पहले शीशे के सामने खड़े होकर कम से कम सौ बार अपने बयान की प्रैक्टिस कर लो, अपने दो चार खास लोगों को सुना दो कि देख लो भैया इसमें कहीं कोई लफड़े वाला वाक्य तो नहीं है और जब ओके हो जाए तो फिर मीडिया के सामने या जनसभा में जाकर बोलो । न केवल याद रखो बल्कि साथ में पूरी बात कागज में लिखकर भी ले जाओ ताकि अगर भूल जाओ तो तत्काल कागज में देखकर आगे बढ़ जाओ। अब देखना ये है कि बड़े नेता तो हमेशा से ही इन तमाम नेताओं को ये सलाह देते आए हैं कि यार क्यों पार्टी की भद्रा पिटवाते हो सोच समझ कर बोलो लेकिन अभी तक का तो रिकॉर्ड ये बताता है कि इन नेताओं पर उनकी सलाह का कोई असर होता नहीं, अब देखना होगा कि पचमढ़ी की ठंडी वादियों में इन गरम दिमाग वाले नेताओं का दिमाग कितना ठंडा होता है और वे क्या सचमुच बोलने से पहले अपने वाक्यों को, अपने शब्दों को तराजू में तौल कर ही बोल पाएंगे।
आ गए ना अपनी औकात पर
लोगों के पास पैसा क्या आया वे अपनी औकात ही भूल गए जो कभी पैदल और साइकिल पर चला करते थे वे देखते ही देखते बड़ी-बड़ी लंबी कारों में चलने लगे तरह-तरह के मॉडल बाजार में आ गए कोई बीस लाख का तो, कोई पच्चीस लाख का, तो कोई पचास लाख का । लोग भी बिना हिचक के खरीदे पड़े हैं क्योंकि अब ये कारें ‘स्टेटस सिंबल’ जो बन गई है लेकिन कहते हैं ना कि इतिहास अपने को दोहराता है वे तमाम बड़े-बड़े लोग जो पचास पचास लाख की गाडिय़ों में घूमते थे देखते ही देखते साइकिल चलाने लगे। लोगों ने पूछा कि भैया आप तो कार से पैर भी नीचे नहीं रखते थे अचानक दो पहिया साइकिल पर क्यों घूमने लगे । तो लंबी सांस लेकर आह भरते हुए बोले ‘क्या बताए भैया डॉक्टर ने कहा है कि साइकिल चलाओ उसी में फायदा है साइकिल चलाओगे तो नींद अच्छी आएगी, ब्लड प्रेशर स्थिर बना रहेगा, अर्थराइटिस नहीं होगा ,घुटने बदलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, पेट भी कम हो जाएगा, हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन ही बना रहेगा और पैरों में ताकत भी’ ।
पुराने लोग कोई बेवकूफ नहीं थे जो साइकिल पर चला करते थे लेकिन अब साइकिल पर चलना तो जरूरत बन गया है पर जैसे ही लोग साइकिल पर देखते हैं तो एक ही वाक्य कहते है ‘क्या दिन आ गए भाई के साइकिल से लग गया’ लेकिन अब वही साइकिल इन अमीरों की जरूरत बन गई है क्योंकि यदि स्वस्थ रहना है तो साइकिल तो चलाना ही पड़ेगा भले ही बगीचे में जाकर चलाओ, स्टेडियम में जाकर चलाओ, किसी खाली सडक़ पर चलाओ लेकिन चलाना तो पड़ेगा ही इसलिए कहते हैं औकात नहीं भूलना चाहिए समय सबको अपनी औकात दिखा देता है ।

सुपर हिट ऑफ द वीक
‘जब मैं तुम पर चिल्लाता हूं तो तुम अपना गुस्सा कैसे निकालती हो’ श्रीमान जी ने श्रीमती जी से पूछा
‘टायलेट साफ करके’
‘बेबकूफ औरत वो कैसे’ श्रीमान जी ने ठहाका लगाते हुए फिर पूछा
‘टॉयलेट मैं तुम्हारे टूथब्रश से साफ करती हूं लो अब लगाओ ठहाका’ श्रीमती जी ने कहा

Author: Jai Lok
