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बेसहारों का सहारा बना मोक्ष आश्रय, ट्रेन हादसे में मृत दो शवों का किया अंतिम संस्कार

जबलपुर (जयलोक)।  बेसहारों के लिए मोक्ष संस्था सहारा बनी है। जहां एक ओर लावारिश लोगों को मोक्ष में आश्रय दिया जा रहा है तो वहीं लावारिश शवों के अंतिम संस्कार में भी मोक्ष संस्था सराहनीय कार्य कर रही है। इसी तरह ट्रेन की चपेट में आने से मृत दो शवों का मोक्ष संस्था ने अंतिम संस्कार किया। वहीं दस लोगों को मोक्ष के आश्रय स्थल पर शरण दी गई।
आज के भागदौड़ भरे जीवन में अपने ही अपनों से दूर होते जा रहे हैं। युवा अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और बुजुर्ग दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो रहे हैं। शहर में ऐसे कई उदाहरण सामने आए जिसमें बुजुर्ग माता पिता अपने बच्चों के लिए बोझ बन गए। रोज के झगड़ों के बाद उन्हें बेघर कर दिया गया, ऐसे में इन बुजुर्गों के सामने जीवन यापन के लिए भीख मांगने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। कुछ ऐसी ही कहानी रेलवे स्टेशन के आसपास जीवन यापन करने वाले बुजुर्गों की है। किसी का परिवार नहीं हैं, तो किसी के परिवार ने घर से निकाल दिया, किसी के बच्चे जवाबदारी लेने से इंकार कर रहे हैं तो कोई मानसिक बीमार हो गया है। कहावत है कि भगवान जब एक दरवाजा बंद कर देता है तो दूसरा खोल भी देता है। इन बुजुर्गों से भले ही इनके अपनों ने मुँह मोड़ लिया हो लेकिन इनके लिए जीवन जीने का सहारा मोक्ष संस्था बनी है। मोक्ष संस्था ने ऐसे दस लोगों को कल अपने आश्रय स्थल में जगह दी और इनके खाने पीने की जिम्मेदारी ली।
मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर ने बताया कि सोमवार को रेलवे स्टेशन से 10 लावारिस महिला पुरुषों को लाया गया, कोई भिक्षुक था, किसी को परिवार ने निकाल दिया, किसी के बच्चे जवाबदारी नहीं ले रहे हैं तो कोई मानसिक बीमार है। 2 दिन पूर्व जीआरपी द्वारा इस बात की जानकारी मोक्ष संस्था को दी गई थी। जीआरपी थाना प्रभारी एवं रेल मंडल द्वारा मोक्ष समाजसेवी आशीष ठाकुर से चर्चा के बाद इन सभी को मोक्ष आश्रय लाया गया। वहीं मोक्ष वाहन के माध्यम से दो युवकों का अंतिम संस्कार भी किया गया।
नहीं मिलती मदद – श्री ठाकुर ने बताया कि मोक्ष द्वारा 25 वर्षों से पीडि़त मानवता की सेवा की जा रही है। मानवीय सरोकार और मानव सेवा में समर्पित मोक्ष स्वयं के साधनों से जोड़-तोडक़र व्यवस्थाएं कर रहा है। इतने वर्षों में अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। मोक्ष संस्था ने कलेक्टर जिला प्रशासन, जिला चिकित्सालय एवं जिला पुलिस से हमेशा आग्रह किया है कि बेसहारा लोगों के जीवन यापन के लिए प्रयास किए जाएं। आशीष ठाकुर का कहना है कि बेसहारा लोगों के लिए पुख्ता व्यवस्था, हो स्थान आवंटित किया जाएं और शासन कुछ मदद करे तो इन बेसहारों की सुरक्षा एवं भोजन आश्रय की सुचारू व्यवस्थाएं चल सके। विदित रहे की मोक्ष को किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है फिर भी मोक्ष संस्था बेसहारों को सहारा देने में पीछे नहीं हटी।

अस्पतालों में लावारिश हालत में पड़े बुजुर्ग

आशीष ठाकुर ने बताया कि जिले के मेडिकल और जिला अस्पताल में ऐसे कई नजारे देखने को मिलेंगे जब उनके ही परिवार के लोग बुजुर्गों से पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें अस्पताल में छोडक़र भाग जाते हैं। रात में या किसी भी पहर पर कुछ कुपुत्र परिवार के बुजुर्गों को मेडिकल कैंपस में छोडक़र जाते हैं। यहां मोक्ष सेवाएं संचालित हैं और इन बुजुर्गों को मोक्ष में आश्रय मिल जाता है। मानसिक या लाचार लोग जीवन की जिस अवस्था में यहाँ जीवन का अंतिम पड़ाव काट रहे हैं उनकी देखरेख और मृत्यु होने पर पुत्र-भाई बनकर मोक्ष अपना धर्म निभाता आ रहा है।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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