
नई दिल्ली (एजेंसी/जयलोक)। केंद्र की मोदी सरकार निष्क्रिय बैंक खातों में वर्षों से जमा रकम को उनके ग्राहकों तक लौटाने की योजना बना रही है। इसके लिए केंद्र ने सभी सरकारी बैंकों से वित्त वर्ष 2025-26 में 78,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिना दावे वाली राशि का करीब 30-40 प्रतिशत निपटान करने को कहा है। मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की मंशा है कि बैंकों को जमीनी स्तर पर लक्ष्य निर्धारित कर एक सुसंगत प्रक्रिया के तहत यह काम सौंपा जाए। इस योजना के तहत बैंकों को उन इलाकों की पहचान करनी होगी जहां, सबसे अधिक निष्क्रिय खाते मौजूद हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल इस लेकर नए निर्देश जारी किए थे। इनके अनुसार, सभी बैंकों को अपनी वेबसाइट पर निष्क्रिय बैंक खातों और उसमें जमा रकम की जानकारी देनी होगी। साथ ही एक सार्वजनिक खोज विकल्प (सर्च बटन) भी उपलब्ध कराना होगा, जिससे खाताधारक यह जान सकें कि उनके नाम पर कोई राशि शेष है या नहीं। इस कड़ी में केंद्र ने अब चालू वित्त वर्ष के लिए बैंकों के सुधार एजेंडा में बिना दावे वाली जमा के जल्द निपटान को शामिल किया है।बैंकिंग विशेषज्ञ का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा केवाईसी (नो योर कस्टमर) और ग्राहक सत्यापन प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार हुए हैं। इससे अब निष्क्रिय खातों के असली मालिकों तक पहुंचना आसान होगा और यह अभियान पहले की तुलना में अधिक सफल हो सकता है।कानूनी विशेषज्ञ के मुताबिक, यह योजना बैंकों की रिकॉर्ड-रखने की लागत को कम करने में भी सहायक होगी, क्योंकि बड़ी संख्या में निष्क्रिय खातों को बंद किया जा सकेगा। हालांकि, मोदी सरकार की यह पहल फिलहाल सार्वजनिक बैंकों पर केंद्रित है, लेकिन भारतीय बैंक संघ इस पहल को निजी बैंकों तक भी पहुंचाने की तैयारी कर रही है। वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि कोई खाता 10 साल या उससे अधिक समय तक निष्क्रिय रहता है, तब उसकी राशि आरबीआई के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ) में भेज दिया जाता है। यह फंड अब 78,000 करोड़ के पार पहुंच चुका है।


Author: Jai Lok
