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भ्रष्टाचारियों का गढ़ बना वन विभाग, 125 आईएफएस, स्टेट फॉरेस्ट अफसरों पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज

भोपाल (जयलोक)। अगर यह कहा जाए की मप्र के वन विभाग में जंगलराज चल रहा है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि विधानसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी में यह तथ्य सामने आया है कि भारतीय वन सेवा और राज्य वन सेवा के 125 अधिकारियों पर करप्शन के गंभीर मामलों में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर रखे हैं। इसमें लोकायुक्त में दर्ज और जांच के दायरे में शामिल 33 प्रकरणों में से 22 मामलों में जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। वहीं, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में हुई शिकायतों और जांच के 92 मामलों में 35 मामलों में रिपोर्ट शासन को भेजी गई है और बाकी मामलों में जांच की जा रही है या रिपोर्ट का वन विभाग मुख्यालय स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है।
विधानसभा में इस मामले में विधायक जयवर्धन सिंह ने लिखित सवाल के जरिए जानकारी मांगी थी, जिसके बाद सरकार ने कहा है कि 6 आईएफएस और 6 स्टेट फारेस्ट अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। विधायक सिंह ने पूछा था कि कितने आईएफएस और एसएफएस अफसर हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के मामल चल रहे हैं और इसका निराकरण नहीं हो पाने के चलते प्रमोशन की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। शासन द्वारा जारी की गई ऐसे वन अफसरों की सूची में कई अधिकारियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में आधा दर्जन केस रजिस्टर्ड पाए गए हैं। शासन की जानकारी में बताया गया है कि सीधी जिले में पदस्थापना के दौरान कलेक्टर रहे रवींद्र कुमार चौधरी और अपर कलेक्टर डीपी वर्मन, बीपी पांडेय को भी करप्शन के मामले में जांच के घेरे में लिया गया है।
15 आईएफएस के खिलाफ विभागीय जाँच
भ्रष्टाचार के आरोपों में 15 आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ अभी भी विभागीय जांच लंबित है। सालों चलने वाली डीई की वजह से 7 अफसर तो रिटायर हो चुके हैं, वहीं राज्य वन सेवा के एक दर्जन अधिकारियों के विरुद्ध भी भ्रष्टाचार के मामले पेंडिंग हैं। उधर, विभागीय जांच का समय पर निर्णय नहीं होने की वजह से चार अफसरों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल सका। यह जानकारी वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने विधायक आतिफ आरिफ अकील के सवाल के लिखित जवाब में दी है। जिन अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में विभागीय जांच चल रही है, उनमें आईएफएस अधिकारी व्ही एन प्यासी, निजाम कुरैशी, आरएस सिकरवार, ओपी उचाडिय़ा, डीएस कनेश, डीएफओ व्हीएस होतगी, एम कालीदुर्रई, आरपी राय, सीएस निनामा, शैलेंद्र कुमार गुप्ता, डीएफओ किरण बिसेन, प्रशांत कुमार सिंह, देवांशु शेखर, नरेश कुमार दोहरे तथा वन संरक्षक अजय कुमार पांडेय का नाम है। इनमें से प्यासी, कुरैशी, सिकरवार, उचाडिय़ा, कनेश, कालीदुर्रई, राय, निनामा और गुप्ता रिटायर हो चुके हैं। गुप्ता हाल ही में सेवानिवृत्त हुए है, जबकि डीई पेंडिंग होने की वजह से डीएफओ व्हीएस होतगी, किरण बिसेन, प्रशांत कुमार तथा देवांशु शेखर को वन संरक्षक के पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया है। वहीं भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य वन सेवा (एसीएफ) अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, उनमें सहायक वन संरक्षक आरके गुरूदेव, कैलाश वर्मा, आरएन द्विवेदी, मनीषा पुरवार, सुरेश कुमार अहिरवार, मनोज कटारिया, सुधीर सिंह, वाय एस परमार, सुधीर पाठक, केबी गुप्ता, अंतर सिंह ओहारिया तथा आईबी गुप्ता का नाम शामिल है।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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