भृष्ट कर्मचारी को बचाने में लगे कुछ पार्षद
सिहोरा (जयलोक)
नगर पालिका परिषद् में एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ने हितग्राहियों कों मिलने वाली शासन से सहायता राशि संबल योजना के नाम पर जमकर मौतों पर सौदेबाजी की और जब मामला उजागर हुआ तो परत दर परत इस दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वारका कोरी के काले कारनामों की लम्बी लिस्ट निकली जिसमें इस दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वारा लाखों का खेल नगर पालिका परिषद् सिहोरा के साथ खेला गया परंतु वहीं मामले की गंभीरता को नजर अंदाज करते हुए आज तक उस कर्मचारी पर एफआईआर दर्ज कराने के नाम पर लगातार नगर पालिका सिहोरा और जिम्मेदार अधिकारी बचते नजर आ रहे है।
व्यक्ति की मौत के बाद मिलने वाली संबल योजना की सरकरी राशि मे भी घूस ले ली गई हैरान करने वाली बात तो यह है की घूस के रूप में 50 हजार रुपये से लेकर किसी से डेढ़ लाख रुपये लिए गए, इतना ही नही सुनहरा कल वेलफेयर फांउडेशन से 9 लाख 50 रुपयों की घूस ली गई, लेकिन इतने बड़े- बड़े कारनामे करने वाले उच्च कुशल श्रमिक द्वारका कोरी पर अभी भी एफआईआर दर्ज तक नहीँ हुई है,
क्या है मामला ?- ये पूरा मामला जबलपुर जिले की नगर पालिका परिषद् सिहोरा का है जहां पर एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के काले कारनामें सुनकर आपके होश उड़ जायेंगे दरसअल यह उच्च कुशल श्रमिक ज्यादातर एक चमचमाती कार से ऑफिस आता था साथ ही इस कर्मी के कारनामे इतने बुरे होंगे की कोई सोच नहीं सकता, और मामला उजागर हुआ प्रेंसीडेंट कांउसलिंग की बैठक के दौरान वार्ड नंबर 7 के भाजपा के पार्षद जवाहर कोल द्वारा परिषद् के समक्ष जानकारी देकर बताया कि अपात्र हितग्राहियों को इस कर्मचारी द्वारा मौतों पर कैसे सौदेबाजी का खेल खेला जाता रहा और तत्काल हरकत में आई मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा आनन फानन में कर्मचारी को सेवा से मुक्त कर दिया और जांच शुरू करा दी और जांच में और काले कारनामों का खुलासा हुआ परंतु इसके बाद ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे कुछ हुआ ही नहीं क्योंकि इतने दिनों के बाद भी एफआईआर के नाम पर हीलाहवाली और कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति का ही खेल चल रहा है।
सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन की भी होनी चाहिए जांच– सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन को वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 हेतु क्रमश 80 एवं 40 समूहों के गठन का लक्ष्य दिया गया था। साथ ही एएलएफ की 400 महिला सदस्यों को 7500 रू के मान से एएलएफ के मॉड्यूल के अन्तर्गत प्रशिक्षण राशि 30 लाख रुपये दिलवाने के एवज में 9 लाख 50 हजार रुपये घूस भी ली गई जो कर्मचारी के निजी खाते में सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशने द्वारा ट्रांसफर किये गए थे। क्योंकि सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा 21 लाख 50 हजार रू नगर पालिका को वापस कर पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई कि बकाया 9 लाख 50 हजार रू द्वारका कोरी के निजी खाते में ट्रांसफर किए गए है। तो क्या प्रशिक्षण के नाम पर लूट का खेल चल रहा था और कितने दिनों से चल रहा था। तभी तो सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा रकम नगर पालिका को वापस कर दी गई और भेंट में 9 लाख 50 हजार रू दे दिए गए। और नगर पालिका की प्रेसीडेंट कांउसलिंग की बैठक में भुगतान के बाद एक विषय शामिल किया गया था 92 नंबर पर की सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन भुगतान के संबंध में चर्चा तो इससे साफ साफ स्पष्ट समझ आ रहा है। कि भुगतान पहले चर्चा बाद में और पर्दे के पीछे से भी खेल चल रहा है। जांच होनी चाहिए की इस फाउंडेशन द्वारा पूर्व में कितना, किसकों और कैसे प्रशिक्षण दिया गया और इस सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन को नगर पालिका द्वारा किस किस मद् में कितनी राशि का भुगतान किया गया और किसकी इसमें कितनी मिलीभगत है। और साथ ही सुनहरा कल वेलफेयर फाउंडेशन के सभी खातों की भी जांच की जानी चाहिए की किसकों कितनी रकम भेंट स्वरूप दी गई है। तभी पर्दे के पीछे छिपे और चेहरे सामने होगे।
कब दर्ज होगी एफआईआर क्यों बच रहा नगर पालिका प्रशासन – वहीं उच्च कुशल श्रमिक प्रेसिडेंट इन काउंसिल की बैठक में वार्ड नंबर 7 के पार्षद जवाहर कोल के लिखित आरोप पर आनन-फानन में संबंधित उच्च कुशल श्रमिक द्वारका कोरी के खिलाफ कार्यवाही करने का प्रस्ताव पारित किया गया था साथ ही उसके खिलाफ लगाए आरोप की जांच करने और जांच में सत्यता पाए जाने पर कर्मी के खिलाफ एफआईआर करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया था। और प्रथम दृष्टया सभी के सामने है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वारा लाखों का घोटाला कर दिया गया लेकिन अब सवाल उठना लाजमी हो जाता है की कर्मचारी पर जब आरोप साबित हो गए है तो एफआईआर के नाम पर नगर पालिका प्रशासन लगातार बचता क्यों नजर आ रहा है। यह अभी तक स्पष्ट नही हो पा रहा है।
कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति- कार्यालय नगर पालिका परिषद् द्वारा कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जा रही है। क्योंकि इतने बडे घोटाले के बाद भी नगर पालिका प्रशासन द्वारा अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल को पत्र लिखकर उक्त कर्मचारी के कारनामों की जानकारी बस दी जा रही है। और एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा रही है। क्या किसी के दबाव बस या किसी सफेदपोश के चक्कर में आजतक इतने बडे मामले में एफआईआर दर्ज कराने के नाम पर केवनल पत्राचार और खानापूर्ति का खेल खेला जा रहा है।
मोटी रकम लेकर ऐसे पहुँचाया गया अपात्रों को लाभ – आरोप यह भी है की वार्ड नंबर 7 के अपात्र हितग्राहियों को उच्च कुशल श्रमिक द्वारका कोरी ने मोटी रकम लेकर संबल योजना का लाभ दिलवाया गया।पहला मामला गढिय़ा महोल्ला निवासी शिब्बू खंगार का है जिसकी हत्या हुई थी लेकिन हत्या के केस को दुर्घटना बनाकर शिब्बू के पिता सुरेंद्र ठाकुर को अनुग्रह राशि चार लाख स्वीकृत की गई और 4 लाख रुपयों में से द्वारका कोरी द्वारा डेढ़ लाख रुपए लिए गए। इसी तरह वर्षा बर्मन को स्वीकृत दो लाख रुपए में से कर्मी ने 85 हजार रुपए ले लिए।तीसरे मामला में मान बाई कोरी की सामान्य मृत्यु होने पर दो लाख रुपए की स्वीकृति हुई जबकि स्वर्गीय मान बाई के पति दुलीचंद कोरी एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी है,दुलीचंद की पत्नी मान बाई कोरी की पूरी राशि उच्च कुशल श्रमिक द्वारका कोरी ने अपने खाते में ही ले ली गई थी, श्रीमती मान बाई दैनिक वेतन भोगी द्वारका कोरी की माँ थीं, एक तो स्वर्गीय मान बाई के पति दुलीचंद सरकारी कर्मचारी थे उस वजह से भी ये संबल योजना के लिए अपात्र हितग्राही थे तो वहीं संबल राशी स्वर्गीय मान बाई के पति दुलीचंद कोरी के खाते में न डालकर कर्मचारी द्वारका कोरी के खाते में ही डाल दी गई । जबकि पात्र हितग्राही में गुड्डी बाई कोल एवं रज्जू कोल के आवेदन पत्र कर्मचारी ने अस्वीकृत करवा दिए थे।
भ्रष्ट कर्मचारी को बचाने में लगे कुछ पार्षद – नगर पालिका परिषद् सिहोरा के इस भ्रष्ट कर्मचारी के काले कारनामों का भांडा फूटने के बाद कुछ पार्षद उक्त कर्मचारी को लगातार बचाने का प्रयास कर रहे है। और उक्त कर्मचारी को निर्दोष बताकर लगातार बचाने वाले इन पार्षदों की भी तो सांठगांठ इस पूरे खेल में नहीं थी क्योंकि मामला उजागर होने के बाद कुछ पार्षद सक्रिय होकर उक्त कर्मचारी के बचाव में उतर आए है।
इनका कहना है
उच्च कुशल श्रमिक को कार्य से मुक्त कर दिया गया है,और उच्चस्तरीय जांच जारी है,उसके बाद आंगे की कार्यवाही की जायेगी।
जय श्री चौहान
मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिहोरा