इसकी शुरुआत रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य से
भोपाल (जयलोक)। दमोह में पहली बार भेेडिय़ों को कॉलर आईडी पहनाई जा रही है और इसकी शुरुआत प्रदेश के सबसे बड़े रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य से हो रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाघ और तेंदुए के बीच भेेडिय़ों की जीवनशैली कैसी है। अभी सिर्फ तीन भेडिय़ों को ही कॉलर आईडी पहनाया जा रहा है। बता दें नौरादेही अभयारण्य अब बाघों के नाम से जाना जाता है, लेकिन हकीकत में बाघ के पूर्व यह अभयारण्य भेेडिय़ों के नाम से प्रसिद्ध था। 2018 में यहां बाघ आने और उनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण भेेडिय़ों को लोग भूल गए। इसलिए अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में भेेडिय़ों के रहन सहन और उनके रहवास की जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसके लिए अब भेेडिय़ों को भी कॉलर आईडी पहनाई जाएगी जिसकी शुरुआत शीघ्र होगी। देश में सबसे ज्यादा भेडिय़ों मध्यप्रदेश में हैं। खास बात ये है कि मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) भारतीय भेेडिय़ों के प्राकृतिक आवास के तौर पर जाना जाता है। यहां पर भेेडिय़ों पर रिसर्च भी चल रही है। जबलपुर स्थित स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट भेेडिय़ों पर रिसर्च कर रही है।
तीन भेेडिय़ों को पहनाई जाएगी
2023 में शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट दो साल के लिए है। इसी कड़ी में नौरादेही में भेेडिय़ों पर रिसर्च के लिए तीन भेेडिय़ों को रेडियो कॉलर पहनाने की अनुमति एनटीसीए से मांगी है। अनुमति मिलते ही नौरादेही टाइगर रिजर्व के तीन भेेडिय़ों को रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा और रिसर्च को आगे बढ़ाया जाएगा।
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