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ये ‘जवान’ दिखने का चक्कर ही साला बड़ा खराब है …

इंसान जब बूढ़ा होता है तो उसे अपनी जवानी के दिन याद आते हैं कि कैसा सुदर्शन दिखता था, भरा पूरा शरीर था, गाल फूले रहते थे, हाथ पैरों में गजब का दम था, लेकिन बुढ़ापा आते ही ये तमाम चीजें रफूचक्कर हो जाती हैं, इसी चक्कर में वो बुढ़ापे में भी जवान दिखने के लिए क्या-क्या जतन नहीं करता । नई-नई, तरह तरह, की क्रीम चेहरे पर लगता है ताकि चेहरे पर पड़ी झुरिज़्यां दिखाई ना दे, सफेद बालों को डाई  लगाकर काला कर लेता है, यदि टकला हो गया है तो विग पहन कर जवान बनने की असफल कोशिश करता है, जींस और शॉर्ट शर्ट पहनकर अपने आप को जवान समझने की भूल भी करता रहता है, कॉस्मेटिक सर्जरी के तमाम उपाय वह अपनाता है कि जवान दिखाई दे, लेकिन उसके सारे जतन उस वक्त फेल हो जाते हैं जब कोई जवान लडक़ी या महिला उसे ‘अंकल’ या ‘दादाजी’ करके पुकारती है। जवान दिखने का चक्कर ही साला बड़ा खराब है, अब देखो ना इसी चक्कर में कानपुर में न जाने कितने बूढ़े अपने करोड़ों रुपए गंवा बैठे। हुआ यूं कि एक दंपति ने एक दुकान खोली और लोगों को बताया कि वे इजराइल से ऐसी मशीन लेकर आए हैं जो बूढ़े लोगों को तीन या चार  थेरेपी में जवान बना देगी, यानी अगर आप 60 बरस के हो गए हो और अगर मशीन में तीन या चार बार बैठे तो आप पच्चीस से तीस साल के दिखने लगोगे। बस क्या था जितने डुकरे थे सब के सब लाइन में लग गए जवान बनने की चाहत में। एक एक बुड्ढे ने दो दो पांच पांच लाख इस दंपति को दे दिए लेकिन जब आईने में अपनी शक्ल देखी तो वैसे के वैसे ही बूढ़े नजर आए चूंकि थेरेपी का समय काफी लंबा था इसलिए जब तक लोगों को ये पता लगा कि वे जवान बनने के चक्कर में लुट गए हैं तब तक वे दंपति तकरीबन 35 करोड़ रुपए ठग कर ना जाने कहां गायब हो गए, अब मरते क्या ना करते, पुलिस में गए रपट लिखवाई अब पुलिस ने उन दंपति के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है लेकिन वे दोनों ऐसे गायब हुए हैं जैसे ‘गधे के सर से सींग’। इसलिए अपना हर बुड्ढे से यही कहना है कि भैया भगवान ने उमर दी है और वो अपने हिसाब से बढ़ती रहेगी पहले बच्चे रहोगे, फिर किशोर हो जाओगे फिर जवान, उसके बाद अधेड़ और फिर बुड्ढे, और जब बुड्ढे हो जाओगे तो जवानी तो वापस आने वाली नहीं, कोई सी भी मशीन में बैठ जाओ, कितनी भी क्रीम पाउडर पोत लो लेकिन हाथ में कुछ नहीं आने वाला, जो वक्त चला गया वो फिर लौटकर नहीं आता। वैसे जवानी का अपना एक अलग जलवा होता है शायद इसलिए किसी गीतकार ने ये गीत लिखा था ‘यहां वहां सारे जहां में तेरा राज है जवानी ओ दीवानी तू जिंदाबाद‘
दो-दो चाँद
चांद में भले ही दाग हो लेकिन आज भी खूबसूरती की तुलना चांद से ही की जाती है, चांद पर न जाने कितने गीत और शायरियां लिखी गई हैं। हर आशिक अपनी महबूबा को चांद जैसा हसीन  समझता है,लेकिन एक  गीतकार तो इससे और एक कदम आगे बढ़ गए और अपनी महबूबा  के हुस्न की तारीफ  में लिख दिया ‘चांद आहें भरेगा, फूल दिन थाम लेंगे, हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे’ लेकिन अभी पता लगा है कि सितंबर से लेकर नवंबर तक आकाश में दो-दो चांद दिखाई देंगे जिन्हें ‘मिनी चांद’ कहा जाएगा, यानी अब यहां भी चांद में कंपटीशन हो जाएगा अब आशिक अपनी महबूबा के लिए क्या कहेंगे ये भी बड़ी झंझट की बात हो गई है। ये वाला चांद कि वो वाला चांद, इसी में विवाद की स्थिति बन सकती है। वैज्ञानिक लोग बता रहे हैं कि ये दोनों चांद पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे, अपने हिसाब से चांद नंबर एक और चांद नंबर दो ये आंकड़े समझने पड़ेंगे। कोई अपनी प्रेमिका को चांद नंबर एक बताएगा तो कोई चांद नंबर दो। अब इन दोनों में से कौन ज्यादा खूबसूरत है ये भी पता लगाना पड़ेगा जिन भी वैज्ञानिकों ने इन दो चांदों की खोज की है उनको कम से कम ये तो बताना था कि इन दोनों में से ज्यादा खूबसूरत कौन है ताकि प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं की तुलना उनसे कर सके। बहरहाल जब तक इस बात का पता नहीं लगता कि कौन सा चांद ज्यादा खूबसूरत है तब तक ये गीत ही सबसे ज्यादा मुफीद साबित होगा ‘चांद सी महबूबा होगी मेरी कब, ऐसा मैंने सोचा था आ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था’
सरकारें यानी विषकन्या
पहले के जमाने में राजा महाराजा जब दुश्मन को परास्त करना चाहते थे या उसको मारना चाहते थे तो ‘विषकन्याओं’ को उनके पास भेजा करते थे, ये विषकन्या बेहद खूबसूरत हुआ करती थी और अपने खूबसूरती के जाल में दुश्मन को फंसा कर अपने विष से मार देती थी। अपने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सरकारों की तुलना विषकन्या से कर दी है, उनका कहना है कि सरकारें विषकन्या है जिसके साथ जाती है उसको डुबो देती हैं। गडकरी जी बड़े साफगोई वाले नेता हैं और पिछले कुछ दिनों से उनके जो बयान आ रहे हैं वो कहीं ना कहीं उनकी पार्टी के लिए गले की फांस बन रहे हैं लेकिन एक बात तो है गडकरी जो कहते हैं वो सच ही कहते हैं अब जैसे उन्होंने कह दिया कि छोटे उद्योगों के लिए सरकार जो सब्सिडी देने वाली है वो कब मिलेगी, कितनी मिलेगी इसका कोई भरोसा नहीं, यानी जो छोटे उद्योग वाले सब्सिडी के भरोसे बैठे हैं भूल जाएं।
सब्सिडी मिल जाए तो उनकी किस्मत क्योंकि जिस तरह से सरकारों की हालत मुफ्तखोरी के कारण पतली हो रही है और जिस हिसाब से सरकारें कर्ज ले रही है वो दिन दूर नहीं जब कर्ज देने वाला भी कर्ज देने से इनकार कर देगा।
गडकरी जी ने सरकारों की तुलना जिस तरह से विष कन्याओं से कर दी है उस हिसाब से अपने को लगता है कि लोग अब सरकार में शामिल होने में भी डरने लगेंगे। अपना तो तमाम छोटे-छोटे उद्योगों वालों से कहना है कि भैया अगर उद्योग चलाना है तो अपने दम पर चलाओ, सरकार के भरोसे मत रहो सरकारों का क्या है घोषणा कर दी, जय जयकार हो गई, वोट मिल गए अब बाकी होगा वो आगे देखा जाएगा।
सुपरहिट ऑफ  द वीक
‘तुम तो कहते थे कि शादी के बाद भी ह्यतुम मुझसे बहुत प्यार करोगे’ श्रीमती जी ने श्रीमान जी से कहा
‘हां कहा तो था पर मुझे क्या पता था कि तुम्हारी शादी मेरे साथ हो जाएगी’ श्रीमान जी ने उत्तर दिया।
Jai Lok
Author: Jai Lok

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