
जबलपुर (जयलोक)। आखिर 7 करोड़ रुपए का गबन करने वाला सिविक सेंटर स्थित ऑडिट विभाग का बाबू संदीप शर्मा गिरफ्तार हो ही गया। संदीप शर्मा के साथ ही उसकी पत्नी स्वाति, माँ पूनम, सास मेनका और बहन श्वेता शर्मा को भी ओमती पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और इन आरोपियों को जेल भी भेज दिया गया है। 7 करोड़ रुपए के गबन की राशि अपने परिवार के इन्हीं लोगों के खाते में संदीप शर्मा ने जमा की है।
हर माह साढ़े चार लाख रूपये वेतन के रूप में संदीप शर्मा को मिल रहे थे। वह प्रदेश में सबसे ज्यादा वेतन लेने वाला कर्मचारी रहा है। प्रदेश के राज्यपाल को जहां साढ़े तीन लाख रूपया वेतन भत्ता मिलता है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी दो लाख रूपये के करीब वेतन भत्ता मिलता है। लेकिन ऑडिट विभाग का बाबू संदीप शर्मा राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी ज्यादा वेतन हर माह ले रहा था।

कौन करता था वेतन स्वीकृत
शासकीय विभागों में वेतन स्वीकृति की एक निर्धारित प्र्रक्रिया होती है। प्रतिमाह अधिकारियों और कर्मचारियों को विधिवत वेतन स्वीकृत किया जाता है और यह वेतन उनके खातों में जमा करने भेजा भी जाता है। लेकिन ऑडिट विभाग के बाबू संदीप शर्मा के वेतन का मामला तो अलग ही रहा है। संदीप शर्मा खुद ही अपना साढ़े चार लाख रूपये का वेतन शासकीय खजाने से अपने खाते में ले लेता था। सवाल यह उठता है कि संदीप शर्मा को अपना वेतन खुद ही निकालने की मंजूरी आखिर किसने दी।
रिश्तेदारों के खाते में जमा करता था रकम
संदीप शर्मा अपने वेतन साढ़े चार लाख रूपये की राशि अपनी पत्नी, माँ, सास और बहन के खातों में जमा करता रहा है। वहीं उसने अपने ही विभाग के उपसंचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई तथा अनूप कुमार बोरैया के खातों में भी रकम जमा करता रहा है। इससे यह साबित होता है कि संदीप शर्मा को सरकारी खजाने की रकम पर डाका डालने के लिए असीमित अधिकार मिले हुए थे। इसीलिए विभाग के अन्य किन्ही अधिकारियों ने उसके अधिकारों को लेकर कभी कोई उंगली उठाने की जरूरत नहीं समझी।

बैंक और आयकर खामोश रहे
संदीप शर्मा ने शासकीय कोषालय से 7 करोड़ रूपये की एक बड़ी राशि का गबन किया और वह यह राशि डंके की चोट पर बैंकों में जमा करता रहा। लेकिन बैंकों ने एक बाबू के खाते में हर माह आने वाली साढ़े चार लाख रूपये की राशि को लेकर किसी भी तरह की हलचल नहीं दिखलाई। बैंकों के खाते में जब संदिग्ध रूप से राशियाँ जमा होती हैं तो बैंक के लोग ऐसे खातों को निगरानी में लाते हैं लेकिन संदीप शर्मा के मामले में ऐसा कुछ बैंक वालों ने नहीं किया। वहीं 7 करोड़ रूपये की शासकीय कोषालय की रकम बाबू संदीप शर्मा के खाते में पहुँची लेकिन आयकर विभाग ने भी उसके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाही करने की जरूरत नहीं समझी।
बाकी फरार लोगों की तलाश बाकी
7 करोड़ रूपये की राशि के कोषालय से गबन करने वाले आरोपी संदीप शर्मा को तो पकड़ा जा चुका है। लेकिन अभी ऑडिट विभाग के उपसंचालक मनोज बरहैया तथा सीमा अमित तिवारी, अनूप कुमार और प्रिया विश्नोई भी अभी तक फरार हैं। इन सभी पर 20 हजार रूपये का ईनाम भी घोषित हैं। अब पुलिस भी इनकी तलाश कर रही है।

Author: Jai Lok
