
जबलपुर (जय लोक)। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हाल ही में कुछ समय पूर्व नियुक्त हुए कुलपति राजेश कुमार वर्मा के समक्ष नया संकट खड़ा हो गया है। कुलपति पद पर उनकी नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट में लगाई गई याचिका की सुनवाई के दौरान आज न्यायाधीश विवेक जैन की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार, एमपीपीएससी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रबंधन और वर्तमान कुलपति राजेश वर्मा को नोटिस जारी कर उठाई गई आपत्ति पर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ता सचिन रजक और अभिषेक तिवारी की ओर से अधिवक्ता उत्कर्ष अग्रवाल ने यह तथ्य न्यायालय के समक्ष रख की कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए जो आवश्यक शैक्षणिक योग्यता और अनुभव आवश्यक है वह वर्तमान कुलपति के पास नहीं है।
न्यायालय के समक्ष यह तथ्य भी प्रस्तुत किया गया कि प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए जो आवश्यक अनुभव समय सीमा होनी चाहिए वह भी नहीं है। याचिका में बताया गया की 2008 में राजेश कुमार वर्मा की पीएचडी पूरी हुई। 2009 में केवल 2-3 महीने के अनुभव के आधार पर राजेश कुमार वर्मा को प्रोफेसर की नियुक्ति प्राप्त हो गई। जबकि यह यूजीसी रेगुलेशन की कंडिकाओं के तहत के तहत नियम सम्मत नहीं है। न्यायालय द्वारा मजबूत तर्कों को स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश सरकार सहित अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया है।

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Author: Jai Lok







