जबलपुर,(जयलोक)
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कमर्चारियों के बीच राजनीति नई नहीं है. लेकिन हर बार विश्वविद्यालय के कुलपित कुलसचिव निष्पक्ष रहकर राजनीति को गलत दिशा में जाने से रोकते थे. लेकिन इस बार कुलपित और कुलसचिव पर ही अपने फायदे के लिये कर्मचारी संघ को दो फाडक़र इस्तेमाल करने आरोप लग रहे हैं. जिससे पूरे विश्वविद्यालय में आराजक स्थिति बन रही है।कुलसचिव, कर्मचारी संघ के एकगुट को साथ लेकर कुलपति के कामकाज को बाधित करते दिख रहे हैं. कुलपति कर्मचारी संघ के दूसरे गुट को साथ लेकर कुलसचिव के कामकाज को बाधित करते दिख रहे हैं. नतीजा छात्रहित आम कर्मचारी हित से जुड़े कामकाज अटके हुये हैं. विश्विविद्यालय इन दिनों शिक्षा का मंदिर कम और राजनीतिक अखाड़ा अधिक नजर आ रहा है. दोनों गुटों पर एक दूसरे के गुट के मजबूत प्यादों को फंसाने और गिराने के लिये अब अनैतिक हथकंडे अपनाने के भी आरोप लग रहे हैं।गुरुवार को हुई लोकायुक्त की कार्यवाही के साथ साथ विश्वविद्यालय में बीते कुछ माह में हुई कार्यवाहियों को इन्हीं हथकंडों से जोडक़र भी देखा जा रहा है. विश्वविद्यालय में जिस तरह की राजनीति चल रही है और जिस तरह विश्वविद्यालय के उच्च्तम जिम्मेदार इसमें शामिल हो रहे हैं. उसको देखकर विश्वविद्यालय के भविष्य को लेकर भी चिंता बढ़ रही है।
तू मेरी सुन, मैं तेरी ढाकूंगा
कुछ कर्मचारी नेताओं पर विश्वविद्यालय में नौकरी करने के अलावा हर काम करने के आरोप लगते रहे हैं. अपने लोगों को संविदा के जरिया नौकरी लगवाना, गेस्ट फैकल्टी में अपात्र रिश्तेदारों को एडजस्ट कराने से लेकर विश्वविद्यालय के ठेकों में कमिशन और भ्रष्टाचार तक के आरोप इन पर हैं. यहीं कर्मचारी नेता तू मेरी सुन, मैं तेरी ढाकूंगा की तर्ज पर अब उच्च अधिकारियों के हाथ की कठपुतली बनते दिख रहे हैं।
रुक रहीं जरूरी फाईलें
आरोप लग रहे हैं कुलपति की तरफ से चलने वाली फाईलें कुलसचिव अटका देते हैं. कुलसचिव की तरफ से चलने वाली फाईलें कुलपति अटका रहे हैं. जब विश्विद्यालय की रीढ़ माने जाने वाले यह दो कार्यलय इस तरह की प्रतिस्पर्धा करेंगे तो विश्वविद्यालय का कामकाज रुकना तय है।