जबलपुर, (जयलोक)। जबलपुर जिले में शराब के 29 समूहों में से 18 ठेके अब तक टेंडर में फायनल हो चुके है ं। खास बात तो यह है कि इस बार शहर के ठेकेदार बाहर हो गए और रीवा, इंदौर व छत्तीसगढ़ के ठेकेदारों की शहर में एंट्री हो गई। गौरतलब है कि शराब ठेकों की नीलामी विलंब होने से सहायक आबकारी आयुक्त रविन्द्र मानिकपुरी को पिछले दिनों ं राज्यसरकार ने निलंबित कर दिया था उनके साथ ही दूसरे दिन ठेका शाखा के लिपिक विवेक उपाध्याय को निलंबित कर दिया था।
जबलपुर में नए सहायक आबकारी आयुक्त ग्वालियर से संजीव दुबे जबलपुर भेजे गए। सूत्रों का कहना है कि बाहरी ठेकेदार नए साहब के प्रयासों से ही जबलपुर के शराब ठेके लेने आगे आयें। गौरतलब है कि नई आबकारी नीति के तहत इस वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग ने शराब ठेकों के संचालन के लिए 45 समूहों को घटाकर 29 समूहों में विभाजित किया है, जिनमें से कुछ ठेकों के टेंडर प्रक्रिया में हैं। इन 29 में से 18 समूहों के लिए टेंडर फायनल हो चुके हैं। अधिकांश ठेके रीवा, इंदौर और छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर जिले के ठेकेदारों ने यह ठेके उठाए। 6 ग्रुप अभी भी बाकी हैं, जो ग्रुप बाकी रह गए उनमें रसल चौक, बल्देवबाग इंद्रामार्केट, बस स्टेंड, शारदा चौक ग्रुप की दुकानें शामिल हैं, तो दूसरी तरफ शराब सिंडीकेट हर संभावित स्थिति में प्राफिट में रहने के नियम पर काम कर रहे हैं। शुक्रवार को नए सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे ने कार्यालय ज्वाइन करते ही स्पष्ट किया कि शराब केवल एमआरपी पर ही बेची जाएगी, न कम न ज्यादा। इसके बाद ही सिंडीकेट ने शराब को मैक्सिम रेट पर बेचने का फैसला किया, जिससे ग्राहकों को भारी झटका लगा है। जबलपुर में शराब की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिली है। शराब सिंडीकेट द्वारा सरकारी दुकानों से शराब की बिक्री अब अधिकतम रिटेल प्राइस (एमआरपी) पर की जा रही है, जिससे पीने वालों में हलचल मच गई है। सूत्रों के अनुसार, जो ठेकेदार आगामी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने का प्रयास कर रहे हैं, उन्होंने शराब के दाम बढ़ा दिए हैं ताकि किसी भी परिस्थिति में घाटा न उठाना पड़े।
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