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रेप के आरोप में फँसे तहसीलदार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

अग्रिम जमानत का नहीं मिला लाभ

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रेप मामले मे फरार तहसीलदार को सर्वोच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली हैं। महिला को शादी का झांसा देकर 17 साल तक उससे  शारीरिक संबंध बनाने के पुलिस मे दर्ज मामले मे  आरोपी तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान को अब सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। जिला और हाईकोर्ट के ख़ारिज किए जाने के बाद  तहसीलदार ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था।
ये है मामला
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कोर्ट ने तहसीलदार को अग्रिम जमानत के लिए रेगुलर कोर्ट में ही उपस्थित होने के लिए कहा है। सर्वोच्च न्यायालय  से  भी अग्रिम जमानत नहीं मिलने के बाद अब आरोपी तहसीलदार पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। उधर  दुष्कर्म पीडि़ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस आरोपी को जानबूझकर गिरफ्तार नहीं कर रही है। जिसका फायदा उठाकर भिंड में आरोपी उनके परिजन को परेशान करवा रहा है। एक महिला ने तहसीलदार के खिलाफ शिकायत दी थी कि आरोपी ने उसे शादी का झांसा दिया और अनेक बार शारीरिक संबंध भी बनाए। उसको एक बेटा भी है। आरोपी ने उसे रतनगढ़ मंदिर ले जाकर शादी का नाटक भी किया था। लेकिन अब इंकार करने लगा।
तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान के एमपी के भिंड व यूपी के इटावा में दर्ज 16 आपराधिक मामलों से संबंधित डिटेल पुलिस पहले ही हाईकोर्ट में पेश कर चुकी है। रिकॉर्ड पेश होने के बाद जिला कोर्ट और हाईकोर्ट ने तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान की जमानत याचिका  खारिज कर दी थी। इसके  बाद तहसीलदार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दायर की थी।  लेकिन यहां से भी उसे राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उसे सक्षम जिला न्यायालय मे ही रेगुलर जमानत आवेदन करने को कहा।
तहसीलदार के खिलाफ  साल 2000 से 2011 तक  हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती जैसे 16 गंभीर अपराध दर्ज होना बताए गए हैं।जिसका रिकॉर्ड पीडि़ता के वकील और पुलिस कोर्ट में बार-बार पेश कर चुकी है। इस मामले में पीडि़त महिला ने आरोप लगाया था कि पुलिस तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान को गिरफ्तार नहीं कर रही है।जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अधिकारी उसे बचा रहे हैं। जिस कारण पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है और उसे बचने का मौका दिया जा रहा है। पीडि़त महिला ने आरोपी से अपनी जान को खतरा बताया था।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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