जबलपुर (जयलोक)। शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग विज्ञापन और लुभावने ऑफर देकर लोगों को बेवकूफ बनाने वाले बिल्डरों के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई का दायरा बढ़ गया है। अभी कुछ दिनों पहले ही बिलहरी में लोगों को बेवकूफ बनाकर गार्डन की भूमि पर भी प्लाटिंग करने वाले बिल्डर के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिए थे। अब एक बार फिर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के द्वारा पुलिस को ऐसे ही एक धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर रॉयल डेवलपर्स के प्रोपराइटर बिल्डर अरुण श्रीवास्तव और उसके कर्मचारी रामलाल कोरी, यशिका साहू, अंकुर परिहार और सुनीता के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
विजयनगर के रहने वाले परिवादी सीमा श्रीवास सहित अन्य की ओर से न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखा। न्यायालय के समक्ष यह दलील दी गई की यह पूरा मामला 15 लाख रुपए के गबन से संबंधित है। गबन करने के पूर्व बिल्डर और उसके साथियों द्वारा पूर्व नियोजित ढंग से यह छल किया गया है। अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष कहा कि बिल्डर अरुण श्रीवास्तव और अन्य व्यक्तियों द्वारा परिवादी से निवेश के नाम पर अपनी फर्म में अधिक मुनाफे का झांसा देकर लाखों रुपए हड़पे गए हैं।
परिवादी को पहले तो बिल्डर अरुण श्रीवास्तव और उसके साथियों ने यह झांसा दिया कि उनकी फर्म में निवेश करने से अधिक मुनाफा मिलेगा और झूठी जानकारी देकर पैसे ऐंठने का काम किया गया। कुछ समय तक तो ब्याज के पैसे देने का कार्य किया गया लेकिन उसके बाद बहाना बनाकर आरोपियों द्वारा पैसे देना बंद कर दिया गया।
परिवादी सीमा श्रीवास सहित अन्य लोगों ने जब अपना पैसा माँगने का दबाव बनाया तो बिल्डर की ओर से पैसे की एवज में बंजर भूमि में स्थित प्लाट की रजिस्ट्री करने का दबाव बनाए जाने लगा। बाकी बचे पैसे का गबन कर अपराध कार्य किया गया।
पुलिस में नहीं हुई सुनवाई
इसके पूर्व में पीडि़त पक्ष की ओर से पुलिस को अपनी शिकायत दी गई थी और शिकायत के माध्यम से बिल्डर अरुण श्रीवास्तव और उसके साथियों द्वारा की गई कारस्तानी बताई गई थी। लेकिन पुलिस ने इस मामले में सुनवाई नहीं की और मामले को लटकाए रखा। इसके बाद पीडि़त पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने परिवाद दायर करने की अनुमति के साथ ही सुनवाई के बाद यह पाया की प्रथम दृष्टया अपराध दर्ज करने का आधार नजर आता है। इसलिए पुलिस को बिल्डर अरुण श्रीवास्तव और उसके चार कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए गए हैं।
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