
जबलपुर (जयलोक)। बीते कुछ सालों में आत्म हत्या के मामलों में इजाफा हुआ है। आत्महत्या के तेजी से बढ़ते मामलों को अब तक आर्थिक तंगी का कारण माना जाता था, लेकिन अब कई कारण सामने आने लगे हैं। इसमें पारिवारिक परेशानी, पति पत्नी में विवाद, बच्चों से सही तालमेल ना होना, माता पिता का बच्चों को रोकना, डांटना, प्रेम प्रसंग सहित ऐसे कई मामले शहर में घटित हुए हैं जिसमें छोटी छोटी बातों पर ही बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्गों ने मौत को गले लगा लिया और इस बीच पीछे छोड़ गए रोता बिलखता परिवार।

पढ़ाई का बोझ भी बना वजह
कुछ सालों में जिस तरह से अच्छे नम्बर को जहां समाज में मान सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है। अच्छे अंक हासिल करने के लिए छात्र दिन रात मेहनत करते हंै लेकिन जब उसकी मेहनत का परिणाम असफल होने का सामने आता है तो ऐसे में बच्चों को अंदर ही अंदर घुटन महसूस हो रही होती है। कुछ सालों में ऐसे बहुत से मामले देखने को मिले हैं, जिसमें परीक्षा में फेल होने पर या फिर कम नम्बर आने पर छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इसमें समाज और परिवार अहम भूमिका निभाता है। जो पढ़ाई का बोझ इस कदर बच्चों पर डाल देते हैं जो परीक्षा में फेल होने पर खुद को असफल मान लेते हैं और उनके पास मौत को गले लगाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखता।
प्रेम में असफलता भी बना कारण
शहर सहित देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें प्रेम में असफल होने या परिवार वालों द्वारा शादी के ना मानने पर प्रेमी जोड़े आत्म हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। कई बार तो ये मामले हत्या तक पहुँच चुके हैं। इसमें या तो प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे की मौत का कारण बन जाते हैं या फिर प्यार के बीच आने वाले परिवार को ही रास्ते से हटा देते हैं। यह समाज के लिए एक चिंता का विषय है। इस तरह के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं।

बेरोजगारी ने निकाला दम
युवाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर से कॅरियर, जॉब, रिश्ते, खुद की इच्छाएं, व्यक्तिगत समस्याएं जैसे लव अफेयर, मैरिज, सैटलमेंट, भविष्य की पढ़ाई आदि। जब वह इस अवस्था में आता है, तो बेरोजगारी का शिकार हो जाता है और भविष्य के प्रति अनिश्चितता बढ़ जाती है। अपरिपक्वता के कारण कई बार परेशानियां आती हैं। जिससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, सायकोसिस, पर्सनालिटी डिसऑर्डर की स्थिति बन जाती है। इन सब परिस्थितियों से वह जैसे तैसे निकलता है तो परिवार की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं के बोझ तले दब जाता है। फिर अर्थहीन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक व नैतिक मूल्यों में गिरावट, परिवार का टूटना, अकेलापन धीर धीरे आत्महत्या की तरफ प्रेरित करता है। युवक आत्महत्या के बारे में ज्यादा बात करने लगते हैं। कई बार आत्महत्या करने की कोशिश करता है और सिगरेट, शराब या अन्य नशा ज्यादा करता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ज्यादा दुखी रहने लगता है और अनिद्रा का शिकार हो जाता है। ऐसे लक्षण होने पर बगैर देर किए डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिये। व्यक्ति को अकेला न छोड़ें और उसे हर प्रकार से सहयोग दें।
पुरूष आत्महत्या मामले में आगे
पुरुष अपने तनाव के कारणों को किसी से शेयर नहीं करते, इसलिए उनके आत्महत्या करने के मामले महिलाओं से चार गुना ज्यादा होते हैं, वहीं महिलाएं अपनी बात ज्यादा शेयर करती हैं, जिससे उन्हें सुसाइड की कोशिश करने पर बचा लिया जाता है। उनके कोशिश करने के मामले पुरुषों से चार गुना ज्यादा होते हैं। किशोर व युवाओं की मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है।
कल एक ही दिन में तीन आत्महत्या के मामले
शहर में कल एक ही दिन में तीन आत्महत्या के मामले सामने आए। जिसमें पहला मामला गोसलपुर का है यहां बरनू तिराहा के पास रहने वाले जय कोरी ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। हालांकि उसकी आत्म हत्या की वजह अब तक सामने नहीं आई है। वहीं दूसरा मामला तिलवारा का है। यहां जोधपुर टोला निवासी आनंदीलाल ने पेड़ से फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी। परिजनों ने पुलिस को बताया कि वह नशे का आदी था। परिवार वाले उसे नशा करने से रोकते थे जिसके कारण उसने आत्म हत्या की। वहीं तीसरा मामला मझौली थाना क्षेत्र का है यहां ग्राम लाहारी में रहने वाली कंचन नामक महिला ने फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी। इस मामले में आत्म हत्या का कारण पारिवारिक कलह बताई जा रही है।
आत्महत्या का ख्याल आने के संकेत
अवसाद, मानसिक स्थिति का एकसमान नहीं रहना, बेचैनी और घबराहट का होना, जिस चीज़ में पहले खुशी मिलती थी, अब उसमें दिलचस्पी ना होना, हमेशा निगेटिव बातों का आना, भविष्य को लेकर निगेटिव दृष्टिकोण का होना मुख्य वजह है।
मनोचिकित्सक के कुछ टिप्स
ऐसे लोगों के साथ बैठकर उनको चुपचाप सुनना चाहिए, वह खुल कर अपनी बात कह सकें, इतनी आत्मीयता से बात करनी चाहिए।चुपचाप उनकी बातों को सुनें, किसी नतीजे तक नहीं पहुंचें।उनकी समस्या को समझें और उसे स्वीकार करें, यह न कहें कि ये तो कोई समस्या नहीं है। उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
हमले से पहले पहलगाम गई थी ज्योति लगातार पाकिस्तान के संपर्क में रही

Author: Jai Lok
