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Home » कानून » लोवर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक 30 साल लड़े और जीते, फिर भी धोखे से दूसरों को बेच दी जमीन डिक्रीशुदा संपत्ति को धोखे से अपने नाम करवाकर बेचा, 3 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

लोवर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक 30 साल लड़े और जीते, फिर भी धोखे से दूसरों को बेच दी जमीन डिक्रीशुदा संपत्ति को धोखे से अपने नाम करवाकर बेचा, 3 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

जबलपुर (जय लोक)।  न्यायालय के निर्देश पर माढ़ोताल थाना क्षेत्र में स्थित एक भूमि के संबंध में हुई धोखाधड़ी के बाद थाने में आरोपी महिला उसके पुत्र उसकी पुत्री के खिलाफ  धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया है।दर्ज की गई एफआईआर में शिकायतकर्ता 77 वर्षीय सुभाष चंद्र केसरवानी ने बताया कि उसने दीक्षितपुरा निवासी योगेश अवस्थी से संपत्ति बंदोबस्त 358 हल्का नंबर 27 तहसील अधारताल मौज रेंगवा में 98 हेक्टर भूमि का विक्रय अनुबंध पत्र दिनांक 13, 3,1995 को किया था। अनुबंध का पालन नहीं हुआ तो आगे चलकर उसने न्यायालय की शरण ली। 2005 में आवेदक के पक्ष में निर्णय हुआ और डिग्री के अनुसार योगेश अवस्थी को सुभाष चंद्र केसरवानी के पक्ष में रजिस्टर विक्रय पत्र निष्पादित करना था। इस मामले को दूसरे पक्ष ने पुन: न्यायालय में चुनौती दी और मामला अपील में चलता रहा। योगेश अवस्थी की ओर से मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया और वहां पर भी अपील की गई। सुप्रीम कोर्ट से भी सुभाष चंद्र केसरवानी के पक्ष में निर्णय आया। योगेश अवस्थी उनकी पुत्री रश्मि राजेश और पत्नी गीता की ओर से लगाई गई आपत्तियां भी खारिज हुईं। आगे चलकर 18 जनवरी 2024 को योगेश अवस्थी की मृत्यु हो गई और उसके वरिसानों ने उसकी पत्नी गीता अवस्थी, राजेश अवस्थी और बेटी रश्मि अवस्थी ने बेईमानीपूर्वक डिग्री आदेश के बावजूद भी उक्त संपत्ति को फौती नामांतरण के माध्यम से अपने नाम पर दर्ज करा लिया और टुकड़े-टुकड़ों में कई लोगों को बेच दिया।पीडि़त पक्ष द्वारा पुलिस थाना माढोताल एवं पुलिस अधीक्षक को आवेदन देने पर कोई कार्यवाही न होने पर न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया। अनावेदकगण के विरूद्ध धारा 243, 244, 318(4), 336(3), 338, 340 (2) एवं धारा 61(2) बी.एन. एस. के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने का आदेश देने का निवेदन किया गया।  आवेदन के समर्थन में सिविल वाद से उच्च न्यायालय की प्रथम अपील से  एम.जे.सी. से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक डिग्री होने के संबंध में सुभाष चंद्र केसरवानी के पक्ष में निर्णय आए। न्यायालय आदेश में कहा गया कि योगेश अवस्थी, सुभाषचंद के पक्ष में सम्पत्ति नंबर बंदोबस्त 358, ह.न. 27. तहसील आधारताल, मौजा रैंगवा, ब.न. 65, रकवा 0.83 हेक्टेयर का विक्रय पत्र निष्पादित करें परन्तु अपील खारिज होते हुए भी तथा प्रकरण की जानकारी रहते हुए भी योगेश अवस्थी की पुत्री रश्मि अवस्थी तथा पत्नी गीता अवस्थी ने सम्पत्ति अन्य व्यक्तियों को विकय कर दी, उक्त सम्पत्ति विक्रय किए जाने से निष्पादन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हुई। आरोपीगणों ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना भी की है और आवेदक के पक्ष रजिस्ट्री करने के आदेश के बावजूद भी उस सम्पत्ति को जानबूझकर अनावेदकगण रश्मि अवस्थी, राजेश अवस्थी, गीता अवस्थी द्वारा अन्य व्यक्तियों को विक्रय किया गया और उनसे लाभ अर्जित कर छल कपट किया गया। आरोपियों के विरूद्ध धारा 318(4), 13 एवं 244 भारतीय न्याय सहिता. 2023 के तहत् प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर जाँच प्रारम्भ कर दी गई है।  इसके साथ ही रिपोर्ट की प्रति न्यायालय को एक सप्ताह के पूर्व प्रस्तुत करना होगी।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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