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विकास कार्यों का श्रेय लेने अलग अलग प्लेटफॉर्म पर दिख रहे नेता

ग्वालियर-चंबल में दो नेताओं सिंधिया-तोमर के बीच वर्चस्व की जंग

भोपाल (जयलोक)। एक इलाके में एक ही राजा होता है और उसका नाम शेर होता है। जंगल का कानून यही होता है लेकिन राजनीति में भी कई बार ऐसा देखने को मिलता है। फिलहाल भाजपा में कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही हैं। एक इलाके में दो-दो बड़े नेताओं की सक्रियता के चलते राजनीतिक गरमी चरम पर है। इसका जीता जागता उदाहरण विकास कार्यों को लेकर मची होड़ है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि डबल इंजन सरकार का वादा करने वाले ग्वालियर-चंबल अंचल के नेता अब अलग-अलग प्लेटफार्म पर दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण क्षेत्र के विकास पर असर पड़ रहा है। क्षेत्र में जब भी कोई विकास कार्य होता है या प्रस्ताव आता है दोनों नेताओं के समर्थक श्रेय लेने में जुट जाते हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल में आज स्थिति यह हो गई है कि छोटे से कार्य की अनुमति या सैद्धांतिक स्वीकृति होने पर ही आभार पत्र जारी किए जाने की बाढ़ लग रही है। इसके केंद्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया होते हैं या फिर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ताजा मामला ग्वालियर-बेंगलुरु के बीच प्रस्तावित सीधी नई ट्रेन के श्रेय को लेकर है। रेलवे ने इस मार्ग पर यात्रियों की उपलब्धता का सर्वे कर इस नई ट्रेन को स्वीकृति दी। अभी बहुत कुछ तय होना बाकी है, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व नरेंद्र सिंह तोमर के खास ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह और उनके समर्थकों के बीच श्रेय लेने-देने की होड़ शुरू हो गई। अपने-अपने दावे को पुष्ट करने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित किए गए। फिर आभार पत्र भी जारी किए गए।

पहली बार सामने नहीं आई गुटबाजी

यह पहली दफा नहीं है जब गुटबाजी सामने आई हो। ग्वालियर के न्यू सिटी सेंटर स्थित रेलवे ओवर ब्रिज के लोकार्पण,ग्वालियर के नीडम आरओबी का फीता काटने से लेकर ग्वालियर से शिवपुरी के लिए वेस्टर्न बाइपास जैसे मामलों में जिस तरह समर्थकों को आगे कर दोनों पक्षों की बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नजर आई, ऐसे में यह दूरी जनता के बीच भी जगजाहिर हो गई है। उधर, नए कार्यों पर श्रेय लेने के बीच पीएम ई-बस, ग्रीनफील्ड सिटी और नए आरओबी जैसे विकास कार्यों में ग्वालियर के पिछडऩे की चिंता किसी को नहीं है। आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर—चंबल के बड़े नेता हैं। नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वे केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और उससे भी पहले वह मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद हैं। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं। पांच साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद अंचल के बड़े नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई थी। दोनों ही नेता ग्वालियर-चंबल संभाग में अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य और नरेंद्र सिंह का राजनीतिक कद काफी बड़ा है। वे अपने समर्थक मंत्रियों और सांसदों के माध्यम से वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहते हैं। ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे के माने जाते हैं और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य के पक्के समर्थक हैं। भारत सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में ज्योतिरादित्य के दखल पर शीर्ष व प्रदेश नेतृत्व के सामने आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद ज्योतिरादित्य को अपने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र को छोडकऱ अंचल में केंद्र व प्रदेश सरकार के विकास कार्यों की समीक्षा से किनारा करना पड़ा।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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