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विस्थापन की फांस में केन बेतवा लिंक परियोजना

भोपाल (जयलोक)। केन-बेतवा लिंक परियोजना को सरकार ने जिस उत्साह के साथ शुरू किया है, वह विस्थापन की फांस में फंस गया है। आलम यह है कि इस परियोजना के क्षेत्र में आने वाले गांवों के विस्थापन का कोई ठोस आधार नहीं बन पाया है। केन-बेतवा लिंक परियोजना से जो गांव प्रभावित हैं, वे न केवल बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, बल्कि अब विस्थापन के संकट से भी जूझ रहे हैं। यह संकट सिर्फ जमीन छोडऩे का नहीं, बल्कि उनके जीवन, आजीविका और सांस्कृतिक पहचान के मिट जाने का है। वहीं गांवों की निजी भूमि का भू-अर्जन-विस्थापन का काम नहीं हो सका है। इस लापरवाही से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह प्रोजेक्ट 2029-30 नहीं, बल्कि 2035 तक ही पूरा हो सकेगा। गौरतलब है कि नदियों को जोडऩे वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना का भूमि पूजन प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसंबर 2024 को बुंदेलखंड में कर चुके हैं। इसके बाद चार माह का समय होने वाला है। वहीं 22 मार्च 2021 को इस परियोजना के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके भी चार साल बीतने के बाद अधिकारी 22 गांवों की निजी भूमि का भू-अर्जन-विस्थापन का काम नहीं करा सके। गौरतलब है कि बीना कॉम्प्लेक्स को भी इसी प्रोजेक्ट से जोड़ा गया है। मप्र सरकार ने 7 मार्च 2025 को आदेश जारी करते हुए अन्य सिंचाई परियोजना में यूपी के दो वैराज, एमपी के लोअर और कोठा बैराज तथा बीना कॉम्प्लेक्स जिसकी लागत 10 हजार 91 करोड़ रुपए है। इसके लिए केंद्र सरकार से 60 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान तथा राज्यों को 30 प्रतिशत वह राशि खर्च करनी होगी, जो केंद्रीय ब्याज वाले ऋण से संबंधित है। यह राशि बिना ब्याज राज्यों को अनुदान के रूप में मिलेगी और दोनों राज्यों को सिर्फ 10 प्रतिशत पैसा ही वहन करना होगा। यानी केन-बेतवा लिंक से बीना कॉम्प्लेक्स को भी जोड़ दिया गया है।

अभी तक नियुक्तियां भी नहीं हुईं

इस बहुचर्चित प्रोजेक्ट की रफ्तार का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि सरकार अभी तक इस प्रोजेक्ट को शुरू करने 139 अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं कर सकी है, वहीं वित्त पोषण व्यवस्था के लिए हाल ही में राज्य सरकार ने आदेश जारी किए हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना का क्रियान्वयन करने भारत सरकार द्वारा 39 हजार 317 करोड़ रुपए की राशि केंद्रीय सहायता के रूप में दी जाने वाली है, वहीं मप्र सरकार को इसके लिए 3 करोड़ रुपए का कर्ज भी लेना पड़ रहा है, जबकि एग्रीमेंट के हिसाब से 90 प्रतिशत राशि केंद्र और 10 प्रतिशत राशि राज्यों को खर्च करना है। इस प्रोजेक्ट पर 920 करोड़ रुपए केवल पावर हाउस बनाने पर खर्च किए जाएंगे और 33 हजार 596 करोड़ रुपए दौधन बांध लिंक नहर पर खर्च किए जाएंगे। केबीएलपीए प्रोजेक्ट का नेतृत्व केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जबकि कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य और एनडब्ल्यूडीए द्वारा किया जाएगा। यानि राज्य के कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर तो रखे जाएंगे, लेकिन उन पर नियंत्रण केंद्र और केंद्र की एजेंसी करेगी। वहीं एनडब्ल्यूडीए की मौजूदा व्यवस्था में अधीक्षण अभियंता की अध्यक्षता में एक मंडल कार्यालय शामिल होगा।

 

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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