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वो मुख्यमंत्री के ‘समोसे’ थे, कोई ऐरा गैरा कैसे खा सकता है…

चेतन भट्ट
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुक्खू जी के लिए लाए गए समोसों ने पूरे प्रदेश के प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को हलाकान कर रखा है। हुआ यूं था कि मुख्यमंत्री जी के लिए समोसे बुलवाए गए थे और ये समोसे कोई साधारण समोसे नहीं थे, डेढ़ डेढ़ सौ रुपए के तीन समोसे यानी साढ़े चार सौ रुपए के कीमत के थे ये तीन समोसे, जिन्हें मुख्यमंत्री सुक्खू जी को खाना था लेकिन किसी अफसर की लापरवाही से ये मूल्यवान समोसे जो मुख्यमंत्री के पेट में जाने वाले थे वे उनके सेवा में लगे कर्मचारियों के पेट में चले गए, अब ये बहुमूल्य समोसे कैसे इनके पेट में कैसे चले गए इसको लेकर भारी हल्ला मच गया कि यह गड़बड़ी किसने की। इन समोसों पर तो मुख्यमंत्री का नाम लिखा था फिर ये उनके स्टाफ  के नाम पर कैसे ट्रांसफर हो गए।
प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी इस खोज में जुट गए कि आखिर ये समोसे इन छोटे-छोटे कर्मचारियों तक कैसे पहुंच गए जब कुछ समझ में नहीं आया तो ‘सीआईडी’ की जांच बैठा दी, अब सीआईडी के तमाम अफसर अपना सारा काम धाम छोडक़र एक ही काम में लग गए हैं कि ये जो  तीन-तीन समोसे वाली प्लेट थी वह इधर-उधर कैसे हो गई। सीआईडी वालों की पूरी फौज अब उन घर के भेदीयों पर नजर डाल रही है जिन्होंने सीएम साहब के समोसे किसी और को दे दिए। वैसे यह बात सही है किसी के हिस्से की चीज किसी और को दे दी जाए तो जाहिर है कि उसको गुस्सा तो आएगा, घरों में इसलिए लड़ाई हो जाती है कि बाप ने बड़े बेटे का हिस्सा छोटे बेटे को दे दिया या छोटे बेटे की जमीन बड़े बेटे के नाम लिखवा दी और फिर समोसा तो वैसे भी बड़ा लोकप्रिय व्यंजन है, हो सकता है सुक्खू साहब बचपन से ही समोसे के प्रेमी रहे हों शायद यही है कारण है कि उनके लिए एक बहुत बड़े होटल से समोसे बुलवाए गए थे और जब बड़े होटल से कोई चीज बुलवाओगे तो पैसा तो लगेगा लेकिन इससे सुक्खू साहब का क्या लेना देना, सरकारी पैसा है डेढ़ सौ छोड़ो, डेढ़ हजार का भी यदि एक समोसा होता तो वो भी बुलाया जाता, अपनी जेब से समोसा खाना होता तो ज्यादा से ज्यादा दस पंद्रह रुपए वाला समोसा खा लिया जाता लेकिन सरकारी पैसे से समोसा आया है तो फिर उसकी कीमत की चिंता नहीं करना चाहिए। इधर भाजपा वाले इसका मजा ले रहे हैं कि देखो भैया पूरी सीआईडी इसी मामले में लग गई है कि मुख्यमंत्री के हिस्से के समोसे किसने खा लिए। हिमाचल प्रदेश की भाजपा शाखा ने पूरे शिमला मे मुफ्त में समोसे बटवा दिए और तो और मुख्यमंत्री सुक्खू जी के लिए ग्यारह समोसों का ऑनलाइन ऑर्डर भी दे दिया। अभी तक तो अपने को ये मालूम था कि सी आई डी का काम अपराधों की जांच करना है लेकिन अब समोसा किसने, कैसे, कब, क्यों, किसको खिला दिया इस मामले की जांच करेगी और जैसी पुलिस तंत्र की प्रणाली होती है हो सकता है दो एक साल बाद इस बात का खुलासा हो कि इस समोसा कांड का असली मास्टरमाइंड कौन था हमें भी उसका इंतजार रहेगा।
मूंछ विहीन बादशाह
लोग बाग भी पता नहीं क्या-क्या खोज करते रहते हैं। दरअसल किसी के पास कोई काम धाम तो बचा नहीं है तो बैठे-बैठे करें क्या सो ऐसी खोजबीन में लगे रहते हैं। अभी एक खोज सामने आई है कि ताश के बावन पत्तों में चार बादशाह होते हैं लेकिन तीन बादशाह तो मूंछ वाले हैं और लाल पान वाला बादशाह जो है वो बिना मूंछ का है इसको लेकर बड़े-बड़े खोजकरता और वैज्ञानिक चिंतित है कि आखिर यह लाल पान के बादशाह के मुंह से मूंछ गई तो गई कहां? जब तीन बादशाहों की मूंछें है तो चौथे बादशाह की भी मूंछें होना चाहिए अब इन्हें कौन समझाए कि भैया हर आदमी की अपनी-अपनी इच्छा होती है। बहुत से लोग बड़ी-बड़ी मूंछें  रखते हैं कोई तलवार कट रखता है, कोई मक्खी कट रखता है तो कोई और स्टाइल की कई मुच्छमुंडे भी होते हैं यानी उसे मूंछों से नफरत होती है। अक्सर जब मूंछ बड़ी हो जाती है तो मुंह में भी चली जाती ऐसे में बहुत से लोग मूंछ विहीन रहना ज्यादा पसंद करते हैं, हो सकता है कि लाल पान वाले बादशाह को मूंछें पसंद ना हो इसलिए उसने अपनी जो फोटो खिंचवाई हो वो जाहिर है बिना मूंछ वाली होगी और कोई जरूरी तो है नहीं कि बादशाह है तो मूंछ रखना जरूरी हो। वैसे मूंछ मर्दों की शान कही जाती है कई लोग मूंछों के दोनों किनारो पर नींबू भी रखकर बताते हैं कि देखिए हमारे मूंछों में कितना दम है, लेकिन लाल पान वाले बादशाह की मूंछें क्यों नहीं है ये खोजकर्ता इतनी आसानी से यह बात नहीं मानेंगे कि इस बादशाह को मूंछें पसंद नहीं थी वे जरूर इस बात का पता लगा कर रहेंगे कि ताश के बावन पत्तों में एक बादशाह मूंछमुंडा क्यों है अपना सोचना तो ये है कि ये लाल पान वाला जो बादशाह है इसको खुद ही सबके सामने आकर यह बता देना चाहिए कि उसकी मूंछें क्यों नहीं है वरना यह खोजबीन जारी रहेगी और ताश खेलने वाले लोग अपने खेल को छोडक़र इसी बात को लेकर परेशान रहेंगे कि ऐसा क्यों हो गया।
चाइनीस लहसुन
अभी तक तो चाइनीस पटाखे, चाइनीस मांझा, चाइनीस मोबाइल, चाइनीज टी वी और न जाने कितनी चीनी चीजें अपने देश में बिक रही थी लेकिन अब  इन चीनियों  ने सब्जी भाजी पर भी अपना कब्जा करने की जुगत भिड़ा ली है। हाल ही में जबलपुर में दो कुंतल ‘चीनी लहसुन’ जप्त किए गए हैं बताया जाता है कि ये चीनी लहसुन लंबे समय से बैन है क्योंकि इसमें फर्टिलाइजर की मात्रा ज्यादा है लेकिन इस बैन के बावजूद ये दो क्विंटल चीनी लहसुन कहां से और कैसे आ गए इसको लेकर भी खाद्य विभाग बड़ा चिंतित है। लोग बात कह रहे हैं कि अभी लहसुन पर चीनियों ने हमला बोला है कुछ दिन में टमाटर, भटा, आलू, गिलकी, कुंदरू, परवल, पत्ता गोभी, बरबटी, भिंडी, जैसी दूसरी सब्जियों पर भी ये चीनी कब्जा न कर लें हो सकता है कि आगे पीछे यह भी हो जाए क्योंकि जब चीनी लहसुन भारत में भेज सकते हैं तो फिर दूसरी सब्जियों को उगाने और इंडिया भेजने में  क्या दिक्कत है वैसे भी चीन का माल तो भारत में खप रहा है सरकारें चिल्ला रही हैं कि स्वदेशी माल का उपयोग करो लेकिन स्वदेशी माल की तुलना में चीन का माल सस्ता भी तो कितना है और माल जब सस्ता होगा तो उसकी बिक्री होगी। देखना ये होगा कि आगामी कितने समय बाद हमारी ये सब्जियां कब चाइनीस सब्जियों में परिवर्तित         होती हैं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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