
जबलपुर (जयलोक)। शहादत का पर्व मोहर्रम यौमे आशूरा ( योमें शहादत) आज है। तारीखें कर्बला के अनुसार पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (सल्ल.) के नवासे हजरत इमाम हुसैन अपने 72 जानिसारों के साथ कर्बला के मैदान में तीन दिन प्यासे रहकर दसवीं मुहर्रम यौमे आशूरा को शहादत का जाम नोश फरमाया इमाम हुसैन की शहादत बातिल (असत्य) पर हक (सत्य) की फतह (जीत) का एक सशक्त ऐलान है। इमाम आली मुकाम की शहादत को हिन्दू मुस्लिम एवं सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इमाम आली मुकाम की यह शहादत केवल मुसलमानों के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के इंसानों के लिए एक प्रेरणादायक सबक है। यह दर्शाता है कि असत्य चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और न्याय की राह पर चलने वाले कभी उसके सामने नतमस्तक नहीं होते, भले ही इसके लिए उन्हें अपने प्राणों का बलिदान ही क्यों न देना पड़े।

शिया समुदाय
नगर की शिया समुदाय द्वारा प्रात: 7 बजे आमाले आशूरा अदा करने के पश्चात गलगला स्थित शिया इमामबाड़े में मजलिस हुई। मजलिज उपरांत अलम जुलूस निकाला गया। जिसमें शिया नौजवानों ने मातम किया, अलम जुलूस फूटाताल, खटीक मुहल्ला, होते हुए सिटी कोतवाली पहुंचा।
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Author: Jai Lok
