
मध्यप्रदेश में वापसी या 2029 में प्रधानमंत्री पद की तैयारी?
भोपाल (जयलोक)। राजनीति में जब कोई वरिष्ठ नेता मंच से अलविदा कहे और कुछ ही महीनों में दोबारा पदयात्रा पर निकल पड़े, तो यह संकेत है कि कहानी खत्म नहीं, नया अध्याय शुरू हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हालिया ‘विकसित भारत संकल्प पदयात्रा’ कुछ ऐसा ही संकेत दे रही है — और इस बार यह पदयात्रा सिर्फ ज़मीन की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की ओर एक लम्बी छलांग का संकेत है। मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री: शिवराज की दूसरी पारी की धमाकेदार शुरुआत 2023 के विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश की कमान से हटाए जाने के बाद यह माना जा रहा था कि शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक अध्याय लगभग समाप्त हो गया है। लेकिन कुछ ही महीनों में केंद्र में कृषि मंत्री के रूप में वापसी और फिर लगातार मिल रही बड़ी जि़म्मेदारियों ने यह स्पष्ट कर दिया — टाइगर अभी जिंदा है। अब वे सिर्फ मंत्रालय नहीं संभाल रहे, बल्कि 2029 के पावर गेम की बिसात पर खुद को रीपोजिशन कर रहे है।
25 साल बाद फिर पदयात्रा नया संकेत, नई रणनीति- सीहोर से शुरू हुई यह पदयात्रा कोई सामान्य जनसंपर्क कार्यक्रम नहीं है। यह वही सीहोर है जहाँ से शिवराज की राजनीति ने पहली बार उड़ान भरी थी — अब वही जगह नई उड़ान की तैयारी का केंद्र बन गई है।
इस पदयात्रा के गहरे संकेत- जनता से सीधा जुड़ाव और संवाद, ‘मामा’ की छवि से निकलकर एक राष्ट्रीय नेता का नया रूप, मोदी सरकार की योजनाओं को जमीनी प्रचार देना, संघ और संगठन में अपनी भूमिका दोबारा मज़बूत करना
क्या शिवराज 2029 के पीएम पद की ओर बढ़ रहे हैं- हालांकि बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के नाम को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ संकेतों पर ग़ौर करें 2029 में नरेंद्र मोदी के सक्रिय राजनीति से अलग होने की संभावनाएं बीजेपी के पास एक स्वीकार्य, संतुलित और संगठन-संगत चेहरा तलाशने की ज़रूरत
शिवराज का आरआरएस से पुराना और गहरा जुड़ाव- केंद्रीय राजनीति में हालिया तेज़ सक्रियता इन बिंदुओं से साफ झलकता है कि शिवराज सिंह चौहान अब सिर्फ मध्यप्रदेश के मामा नहीं रहे — वे राष्ट्रीय मंच पर खुद को संभावित नेतृत्व के रूप में स्थापित करने की कोशिश में हैं।
राजनीति का संदेश खेल अभी बाकी है- शिवराज सिंह चौहान की यह यात्रा सिर्फ मध्यप्रदेश की सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भागीदारी की एक संगठित और रणनीतिक पहल है। 2029 की तस्वीर अभी भले ही धुंधली हो, लेकिन इतना तय है टाइगर अभी जिंदा है — और इस बार निशाना दिल्ली है।

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Author: Jai Lok
