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शिवाजी की मूर्ति गिरने को लेकर सडक़ों पर राजनीति शिवसेना ने निकाला मार्च, भाजपा विरोध में उतरी

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (एमवीए) ने सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के विरोध में रविवार को दक्षिण मुंबई में प्रतिष्ठित हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक मार्च निकाला।
मुंबई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे, कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले और पार्टी की मुंबई इकाई की प्रमुख वर्षा गायकवाड़ ने ‘संयुक्त महाराष्ट्र’ आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में बने हुतात्मा चौक पर पुष्पांजलि अर्पित कर विरोध मार्च की शुरुआत की। राकांपा (एसपी) नेता राजेश टोपे और शिवसेना (यूबीटी) नेता सुनील प्रभु ने कहा कि विरोध मार्च का उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण किए जाने के आठ महीने बाद ही प्रतिमा ढह जाने को लेकर महाराष्ट्र के लोगों के गुस्से को आवाज देना है। 11 बजे के बाद शुरू हुए मार्च में हिस्सा लेने वालों में कोल्हापुर से कांग्रेस सांसद शाहू छत्रपति, राकांपा (एसपी) नेता एवं बारामती की सांसद सुप्रिया सुले और विधायक अनिल देशमुख शामिल हैं। वहीं, भाजपा मामले में हो रही राजनीति को लेकर बड़ा प्रदर्शन कर रही है। इसे लेकर शहर में बड़ी संख्या में पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने कहा कि प्रधानमंत्री भावुक थे, उन्होंने इस घटना पर दुख जताया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार को जो व्यक्त करना चाहिए था, उसने ऐसा नहीं किया। उन्होंने विपक्ष के साथ गलत तरीके से बातचीत शुरू कर दी और कहा कि हम इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जबकि यह सबसे भावनात्मक मुद्दा था, जो महाराष्ट्र ने पहले कभी नहीं देखा। हमने सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से किया था। हमने प्रशासन, पुलिस से अनुमति मांगी थी। हमें उम्मीद थी कि समय पर अनुमति मिल जाएगी, जो उन्होंने नहीं दी। इसके विपरीत जो तैनाती की जा रही है, उसे देखें। ऐसा लग रहा है कि कोई युद्ध जैसा विरोध होने वाला है। महाराष्ट्र की जनता जानती है कि कौन राजनीति कर रहा है और कौन हमारे स्वाभिमान के साथ सडक़ पर है। सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए भगवान जैसे हैं। उनकी मूर्ति गिर गई और उसके साथ ही हमारी भक्ति, सम्मान और स्वाभिमान भी टूटकर वहीं गिर गया। इतने अपमान के बावजूद इसका समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों के नेता उनकी निंदा नहीं तो और क्या करेंगे? उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यह महाराष्ट्र का अपमान है। हमें अपने ही महाराष्ट्र में अपनी ही पुलिस द्वारा रोका जा रहा है कि हम मार्च आगे नहीं बढ़ा सकते। मैंने ऐसी असहाय पुलिस कभी नहीं देखी। क्या होगा अगर उन्होंने माफी मांग ली? समय देखिए। क्या बयान राजनीतिक नहीं है? पीएम हमेशा राजनीतिक बयान देते हैं। अगर उन्हें इतनी सहानुभूति होती तो वे मणिपुर चले जाते। केंद्र सरकार की नीति महाराष्ट्र का अपमान करना है। यह आंदोलन महाराष्ट्र के सम्मान के लिए है, जिसका अपमान किया गया है।
प्रदर्शन को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ये जो आज आंदोलन हो रहा है, पूरे तरीके से राजनीतिक आंदोलन है। इन्होंने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्मान नहीं किया। आप मुझे पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी का लाल किले से एक भी भाषण दिखाइए, जिसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का उल्लेख किया हो। नेहरू जी ने तो अपने भारत की खोज में छत्रपति महाराज का अपमान किया। क्या उसकी माफी कांग्रेस पार्टी और महा विकास अघाड़ी मांगेगी?

Jai Lok
Author: Jai Lok

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