@सच्चिदानंद शेकटकर,समूह संपादक
आज सारा देश आजादी की 78 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। आज देश भर में इस आयोजन को लेकर उत्साह भी है, उमंग भी है और देश के लिए चिंताएं भी हैं। स्वाधीनता दिवस के आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा का आव्हान किया है। इस आव्हान के अनुरूप देशवासियों से अपने-अपने घरों में तिरंगा झंडा फहराने की अपील भी की है वहीं देश भर में 9 अगस्त से ही तिरंगा यात्राएं निकाले जाने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वह 15 अगस्त तक चलने वाला है। इस तरह के आयोजनों के माध्यम से पूरे देश को तिरंगामय बनाने का एक राष्ट्रीय महत्व का कार्य हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि देशवासियों में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत हो और वह राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व के निर्वहन की दिशा में भी गंभीर हों। आज जब भारत आजादी की 78 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब हमें अपने देश को लेकर चिंता और चिंतन दोनों ही करने की जरूरत है। आज भारत जिस मुकाम पर खड़ा है उसको लेकर भी मंथन किया जाना आवश्यक हो गया है। यदि आज हम भारत के पड़ोसी देशों और उनसे संबंधों को लेकर विचार करें तो अब भारत के साथ एक भी पड़ोसी देश ऐसा नहीं है जिसकी मित्रता पर भारत भरोसा कर सके। बांग्लादेश अभी तक भारत का सबसे बड़ा हितैषी और सबसे विश्वस्त मित्र रहा है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले 15 वर्षों से इस देश की प्रधानमंत्री रही हैं। उनके 15 वर्षों के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध निरंतर प्रगाढ़ होते रहे हैं। लेकिन इसी माह शेख हसीना का तख्ता पलट दिया गया और उनको भारत में आकर शरण भी लेना पड़ी है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हट जाने के बाद से सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ा है। अब जब बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार बनी है यह सरकार भारत समर्थक तो नजर नहीं आ रही है। जिस तरह से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, हमले हो रहे हैं, भारत से संबंधित स्मारकों को तोड़ा जा रहा है, हिंदुओं के मंदिर गिराए जा रहे हैं। इन सब घटनाओं को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश की नाराजी का असर शेख हसीना से ज्यादा कहीं भारत के खिलाफ हुआ है। भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध जल्दी सामान्य होंगे इसकी अभी तो संभावना नजर नहीं आ रही है। बांग्लादेश के बाद मालद्वीव ऐसा दूसरा देश है जिसने खुद ही भारत के साथ अपने संबंध बिगाड़ लिए हैं। भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल पूरी तरह से भारत पर आश्रित नहीं है। नेपाल ने चीन के साथ भी अपने संबंध बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। पाकिस्तान तो भारत का शुरू से ही नंबर एक का दुश्मन देश बना हुआ है। वहीं चीन से भी भारत के संबंध एकदम सामान्य तो कभी भी नहीं रह पाते हैं। इन संबंधों में उतार-चढ़ाव बना रहता है। श्रीलंका भी भारत के संबंधों को लेकर अविश्वसनीय साबित हो चुका है। इस तरह हम देखते हैं कि आज भारत चारों ओर से अपने विरोधी देश से घिरा हुआ है। देश के भीतर भी बड़ी चुनौतियां हैं। देश में जहां एक ओर महँगाई की मार है वही बेरोजगारी भी मुँह बाए खड़ी हुई है। इन दोनों ही चुनौतियों से निपटना बहुत आसान भी नहीं है। भारत विकास की दिशा में तो निश्चित रूप से अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 10 वर्ष का शासन पूर्ण करने के बाद अब अपनी तीसरी पारी शुरू कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो की बहुत अग्रगामी सोच रखते हैं। प्रधानमंत्री अभी से देश की आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होने को लेकर देश के विकास की बड़ी-बड़ी योजनाओं का खाका तैयार कर रहे हैं। 2047 में भारत की आजादी के 100 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। निश्चित ही इसके लिए अभी 23 वर्ष का समय बाकी है, लेकिन दूरगामी योजनाओं को बनाकर देश को आगे तो बढ़ाना ही होगा। आज जब भारत आजादी की 78 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब हमें यह विश्वास है कि भारत हर तरह की चुनौतियों को पार लगाकर विकास की दिशा में निरंतर आगे बढ़ेगा। इस आशा और विश्वास के साथ आजादी की 78 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।