@परितोष वर्मां
ज्योतिष्पीठ एवं द्वारका शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती के परम शिष्य ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी महाराज बहुत ही कम आयु में आज जबलपुर के ही नहीं बल्कि पूरे महाकौशल अंचल के एक जाने-माने संत के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती हमारे जबलपुर शहर को तीन धार्मिक पूजा स्थलों की सौगात दे गए हैं। जिनमें सिविक सेंटर में बगलामुखी मंदिर तथा रमनगरा में लक्ष्मी नारायण का मंदिर और नर्मदेश्वर का मंदिर उपासना के प्रमुख स्थल हैं। बगलामुखी देवी का प्राचीन मंदिर तो दतिया में है लेकिन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती ने जबलपुरवासियों को भी माँ पीतांबरा बगलामुखी देवी की उपासना करने के लिए एक भव्य और आकर्षक मंदिर सिविक सेंटर में बनवा दिया। शंकराचार्यजी के निजी सचिव ब्रह्मचारी से सुबुद्धानंद जी ने बगलामुखी मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ कराने से लेकर भगवती बगलामुखी देवी की प्राण-प्रतिष्ठा तक के आयोजन में कठिन परिश्रम किया। इसी परिसर में शंकराचार्य मठ भी बना है। यह स्थान आज शहर का प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया है ।
बगलामुखी देवी की प्रतिष्ठा के बाद कुछ समय दूसरे अन्य ब्रह्मचारियों ने भगवती का पूजन अर्चन करने का जिम्मा संभाला था। इसके पश्चात ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी को बगलामुखी देवी की पूजा-अर्चना और उपासना करने का अवसर शंकराचार्य जी द्वारा प्रदान किया गया। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ने अपनी उपासना और तपस्या से आज बगलामुखी मंदिर को शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक बनने का गौरव दिलवाया। बगलामुखी देवी की पूजा करने के लिए और दर्शन करने के लिए हमारे शहर के सभी वर्गों के लोग चाहे युवा युवतियाँ हों या फिर बड़ी उम्र के लोग हों सभी लोग बड़ी संख्या में पूजा करने दिनभर आते हैं। आज शहर के चाहे वकील हों , डॉक्टर हों, राजनेता हों, पत्रकार हों या फिर समाज के अन्य सभी वर्गों के लोग हों या फिर प्रशासनिक अधिकारी हों कोई भी ऐसा वर्ग नहीं है जिसके लोग बगलामुखी देवी के दर्शन करने और ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी से भेंट करने के लिए ना आते हों। परीक्षाओं के समय तो छात्र-छात्राओं की बगलामुखी देवी के दर्शन करने की भीड़ भी बढ़ जाती है।
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी की एक सबसे बड़ी विशेषता यह देखी जाती है कि उन्होंने आज की युवा पीढ़ी में धार्मिक भावनाएं जागृत की हैं और उन्हें पूजन-अर्चन करने के लिए प्रेरित भी करते हैं। अधिकांश समय ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी के आसपास युवा बड़ी संख्या में नजर आते हैं। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी बगलामुखी देवी की उपासना के ऐसे परम उपासक हैं जो कि अपनी उपासना से सभी के कल्याण की कामना करते हैं। मंदिर में आने वाला हर भक्त उनकी मुस्कान भरी छवि से ही आकर्षित हो जाता है और उसको यह अनुभूति होती है कि उसे ब्रह्मचारी जी का सामीप्य प्राप्त हो रहा है। आज समाज में ऐसे बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं जिन्हें किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी परेशानियों को झेलने वाले लोग भी ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी से उनकी परेशानियों को दूर करने की उम्मीद लगाए नजर आते हैं। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ऐसे परेशान लोगों को पूजा के ऐसे विधान बताते हैं जिनसे उनकी परेशानियां दूर हो सकें। वहीं ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी बहुत से परेशान लोगों के लिए स्वयं भी अनुष्ठान करते हैं और उनकी परेशानियों को भगवती बगलामुखी देवी के आशीर्वाद से दूर करने के लिए सतत प्रत्यत्नशील रहते हैं। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ने बगलामुखी मंदिर में उपासना के बड़े-बड़े आयोजन करने की शुरुआत भी कराई। वे कभी सूर्य उपासना का बड़ा आयोजन करते हैं तो कभी लक्ष्यार्चन कराते हैं। वहीं ब्रह्मचारी जी वर्ष में एक बार भागवत कथा भी हमारे शहर के लोगों को सुनाते हैं। पूजा की उपासना का ऐसा क्रम रहता है कि ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी अर्ध रात्रि के बाद भी पूजा अर्चना करते रहते हैं और बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना में सम्मिलित होकर उपासना का लाभ भी प्राप्त करते हैं। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी सभी लोगों को चाहे वह उनसे परिचित हों या अपरिचित हों उनका सामीप्य और आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आज ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी शहर में मौजूद संतो में अपना एक प्रमुख स्थान रखते हैं। शहर में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों में उन्हें आमंत्रित करने के लिए आयोजक लालायित रहते हैं।
आज बहुत से संत ऐसे हैं जो वैचारिक प्रतिबद्धता को पहले प्राथमिकता देते हैं। लेकिन ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ऐसे संत हैं जो कि सभी तरह के वैचारिक लोगों को पूरा मान सम्मान और अपना स्नेह भी देते हैं। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी का आज प्रकटोत्सव है
उनके इस प्रकटोत्सव के पावन अवसर पर जय लोक परिवार की ओर से उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं।