जाँच रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
सबूत मिटाने का काम भी कर चुका है इस स्कूल का प्रबंधन
जबलपुर (जय लोक)। शहर के बहुचर्चित स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल आनंद नगर बलदेव बाग के कारनामे एक-एक करके उजागर होते जा रहे हैं। अभी हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा गठित की गई समिति ने यह पाया है कि अनुचित फीस वृद्धि के मामले में स्टांप फील्ड इंटरनेशनल स्कूल ने पिछले 6 वर्षों में अपने स्कूल के 8217 बच्चों से अनुचित रूप से 6 करोड़ 29 लाख 65 हजार 219 रुपए अधिक वसूल किए हैं। गठित समिति द्वारा की गई जांच में यह पाया गया है कि वर्ष 2017-18 में 42 लाख 60 हजार 654 अधिक वसूल किए गए, जाँच समिति को स्कूल द्वारा दी गई ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन करने पर पता चला कि 2020 19 में भी फीस वृद्धि का काम नहीं रुका और 95 लाख अधिक फीस वसूल की गई। 2020-21 में 81 लाख 17 हजार 415 रुपए अधिक फीस वसूल की गई। 2021-22 में 69 लाख 77 हजार 535 अधिक फीस वसूल की गई। यह सिलसिला आगे भी जारी रहा और 2022-23 वर्ष में भी 90 लाख 11 हजार 170 रुपए अधिक फीस वसूल की गई। अभिभावकों पर बोझ डालने का यह क्रम पिछले साल तक जारी रहा और वर्ष 2023 24 में एक करोड़ 18 लाख 33 हजार 330 रुपए 1060 बच्चों से अधिक फीस वसूल की गई।
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जाँच दल ने जब स्कूल द्वारा बड़ी मुश्किल से प्रस्तुत की गई ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन किया तो पाया की फीस वृद्धि के खेल को ऑडिट रिपोर्ट में गुणा भाग के माध्यम से छुपाने का पूरा प्रयास किया गया है। आदेश में इस बात का उल्लेख है कि संस्था को जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था लेकिन संस्था द्वारा इसका जवाब नहीं दिया गया और आदेशों की अवहेलना की गई।
यहाँ तक की जाँच समिति से मुंह छुपाने वाले स्टांप फील्ड इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधन ने मांगे जाने के बावजूद भी कक्षा बार छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या ऑडिट रिपोर्ट पाठ्य पुस्तकों की सूची गणवेश की जानकारी कुछ भी शासन को उपलब्ध नहीं करवाया। इसी बात से शासन को मन में स्कूल प्रबंधन के चोर होने का संदेह उत्पन्न हुआ और जांच को अधिक गति प्रदान की गई।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि शासन की ओर से कई बार पत्र लिखे जाने के बावजूद भी स्टेम फील्ड इंटर इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधन ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। कई बार चेतावनी देने के बाद 8 नवंबर 2024 को दबाव निर्मित करने के बाद स्कूल प्रबंधन की ओर से सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। जैसा कि प्रशासन को पूरी आशा थी कि इन दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई जाएंगी और जब जांच आगे बढ़ी तो ऐसी ही गड़बडिय़ां भी सामने आने लगी।
जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि वित्त वर्ष 2018-19 में 105.5 लाख की तुलना में वर्ष 2019-20 में 140.01लाख रुपए वसूल किए गए अथाज़्त 32त्न खर्चे में बढ़ोतरी की गई। वित्त वर्ष 17-18 से वित्त वर्ष 2019-20 तक एसिट के नाम पर न्यू स्कूल वर्क बिल्डिंग दर्ज पाया गया लेकिन इस पर डिप्रेशन नहीं लगाया गया जिसके कारण 99 लाख रुपए अधिक हिसाब किताब में प्रदशिज़्त हो रहा है। वित्त वर्ष 2021 में पहली बार रेंट का भुगतान किया गया यानी कि किराए का भुगतान किया गया लेकिन उक्त भुगतान से 12 लाख 80 हजार रुपए प्रॉफिट कम दर्शाया गया। रेंट किराए का भुगतान किसे किया गया यह आपत्ति होने से निश्चित किया जाना संभव ही नहीं हो पाया। स्कूल प्रबंधन के द्वारा जानकारी छुपाए जाने के उद्देश्य से अनेक प्रकार के नियम कायदों का उल्लंघन किया गया। स्कूल प्रबंधन द्वारा की जाने वाली फीस वृद्धि की जानकारी को भी सार्वजनिक नहीं किया गया जबकि यह विगत वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक थी। स्कूल प्रबंधन द्वारा वर्ष 2020-21 में ऑडिट रिपोर्ट पोर्टल पर भी अपलोड नहीं की गई। प्रारूप तीन में भी जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई। जांच रिपोटज़् में इस बात का भी उल्लेख है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा अनुचित लाभ कमाने के उद्देश्य से नियम के प्रतिकूल अवैधानिक शुल्क वृद्धि कर मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 एवं अन्य नियम कानून की अवहेलना की गई है और यह बात जांच में सिद्ध पाई गई है।
जांच रिपोर्ट में 17 नंबर के बिंदु में इस बात का उल्लेख है। जिसके अंतर्गत यह बात पाई गई है कि फीस वृद्धि की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई। प्रस्तावित फीस वृद्धि को जानबूझकर जिला समिति के व अन्य अधिकारियों के समक्ष प्रदर्शित नहीं किया गया। 10 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई। स्कूल प्रबंधन ने अधिक फीस वसूली के लालच में आकर जिला समिति, राज्य समिति की स्वीकृति प्राप्त किए बगैर विगत वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक फीस की वृद्धि कर वसूली भी कर ली गई। जिनके बच्चे से स्कूल में पढ़ रहे हैं उनके अभिभावकों पर दबाव बनाकर फीस वसूली का कार्य किया गया। अब यह विषय अभिभावकों और जिला प्रशासन से लेकर कर चोरी की निगरानी करने वाले विभागों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ। स्कूल प्रबंधन के लोग और संचालकों द्वारा लंबे समय तक फरारी भी काटी गई है और इसके पूर्व में इनके ऊपर जाँच के दौरान साक्ष्य छुपाने के आरोप भी लग चुके हैं जिसकी जानकारी मिलने पर प्रशासन ने छापामार शैली में स्कूल पर कार्यवाही भी की थी।
