
प्रतुल श्रीवास्तव
(जयलोक)। उनके गांव के युवा शासकीय चिकित्सक का ट्रांसफर हो गया है, जैसे ही यह खबर गांव में फैली, न सिर्फ उस गांव के वरन आसपास के भी अनेक छोटे-छोटे गांव के लोगों में दु:ख की लहर फैल गई। ग्रामवासी दूर-दूर से उस युवा चिकित्सक से मिलने और आग्रह करने आने लगे कि वे उन्हें छोडक़र न जाएं । अनेक ग्रामवासियों के हाथों में अपने प्रिय डॉक्टर के लिए प्रेम से भरी भेंटें भी थीं । एक वृद्धा अपनी पोटली में डॉक्टर के लिए गुड़ की एक छोटी डली लाई थी, उसकी आँखों में आँसू थे । डॉक्टर के विदा लेने का दिन भी आ गया । उन्हें विदा करने पास के छोटे से रेलवे स्टेशन पर आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग उपस्थित थे । आपको लग रहा होगा कि यह किसी बम्बइया फिल्म की शुरूआत या अंत का दृश्य है । जी नहीं, यह दृश्य है सन 1980 में मध्यप्रदेश के सिवनी बानापुरा के निकट, बाबडिया भाऊ गांव से वहां के शासकीय चिकित्सक डॉ.आनंद तिवारी की विदाई का ।
श्यामवर्ण के ऊँचे-पूरे, खुशमिजाज, भव्य व्यक्तित्व के धनी डॉ आनंद तिवारी जितने खुलकर ठहाका लगाते हैं उतनी ही सहजता से अपने प्रेम की अभिव्यक्ति भी करते हैं और लोगों के दु:ख में द्रवित भी होते हैं । गांव से विदा लेते हुए उन्हें इस बात की प्रसन्नता थी कि वे अपने पिता पंडित नर्मदा प्रसाद तिवारी जो कि जबलपुर के विख्यात समाजसेवी, उद्योगपति एवं प्रतिष्ठित किसान के रूप में जाने जाते थे उन्हें व अपनी माता श्रीमती रेवारानी जी को सच्ची जनसेवा का जो वचन देकर आये थे उस संकल्प में खरे उतरे । लगभग 40-45 वर्ष पहले बाबडिया भाऊ गांव एवं आसपास के कुछ अन्य गांव प्रमुख रूप से पांडववंशी कौम की सीमित जनसंख्या वाले गांव थे । सीमित जनसंख्या वाली किसी भी कौम में कुछ विशिष्ट विकृतियां आ जाती हैं । उन्हें दूर करने के लिए डॉ.आनंद तिवारी ने क्षेत्र में पैदल घूम-घूम कर काम किया। बूढ़ों, बच्चों और युवाओं से व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाये, कुछ ही दिनों में इन्हें पहचान कर आत्मीयता पूर्वक उनके नाम से संबोधित करना शुरू किया । सफाई और स्वास्थ्य का महत्व समझाया । काम के बदले अनाज योजना के अंतर्गत ग्रामीणों से ही श्रम करवाकर गांव में एक खेल का मैदान व स्कूल भवन तथा 3 किलोमीटर लंबी सडक़ का निर्माण करवाया । उल्लेखनीय है कि काम के बदले अनाज योजना में डॉ. तिवारी द्वारा इस गांव में कराए गए कार्य को सर्वाधिक तेज गति से हुआ कार्य माना गया तथा उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया। डॉ.तिवारी ने क्रमश: बड़ेरा एवं बड़वारा (कटनी) में भी समर्पित मन से पीडि़तों की सेवा की । सदा सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहे आनंद तिवारी के नगर के बाहर सेवारत हो जाने के कारण उनके सानिध्य से वंचित उनके मित्र और प्रशंसक चाहते थे कि वे जबलपुर आकर ही सेवा कार्य करें । अंतत: मित्रों की इच्छा पूरी हुई, उन्होंने नगर में विक्टोरिया चिकित्सालय, गोरखपुर, हाईकोर्ट एवं सिटी डिस्पेंसरी कोतवाली में न केवल एक आदर्श चिकित्सक के रूप में सेवाएं दीं वरन स्वास्थ्य संबंधी तमाम शासकीय योजनाओं को नगर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया । डॉ.तिवारी ने तत्कालीन राज्यसभा एवं लोकसभा सदस्यों श्रीमती रत्नकुमारी देवी, पं. चन्द्रिका प्रसाद त्रिपाठी, शिवप्रसाद चनपुरिया, श्रीमती जयश्री बैनर्जी एवं समाजसेवियों के साथ विभिन्न संस्थाओं अस्तु, समाज कल्याण परिषद, समाधान, सावधान एवं गुंजन कला सदन के विभिन्न पदों पर रहते हुए सामाजिक व सांस्कृतिक जागरण के कार्य किये । अनेक चिकित्सा शिविर लगाए । नगर में दवा एकत्रीकरण एवं वितरण योजना को अंजाम दिया । गन्दी बस्तियों में स्वच्छता अभियान चलाए । मित्रों के साथ दूध के दाम घटाने आंदोलन भी किया । डॉ.तिवारी के इन कार्यों में उनकी पत्नी श्रीमती ममता तिवारी एवं बाद में उनके सुपुत्रों हिमांशु-सुधांशु व पुत्र वधुओं डॉ.प्रियंका एवं डॉ.गार्गी का भी पूरा सहयोग मिला । सामाजिक कार्यों के बढ़ते दायरे और रोग मुक्त सुसंस्कृत समाज के निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए डॉ.आनंद तिवारी ने दिसंबर 2003 में स्वयं को शासकीय सेवा से मुक्त कर लिया। डॉ.आनंद तिवारी ने अपने मित्रों के साथ मिलकर गोलबाजार, जबलपुर में नेशनल हॉस्पिटल एवं ओमेगा चिल्ड्रंस हॉस्पिटल की स्थापना की जिसकी गिनती आज देश के उत्कृष्ट चिकित्सालयों में की जाती है । वे भारतीय एवं क्षेत्रीय साहित्य, कला, संस्कृति के संरक्षण व विकास के लिए सजग और सक्रिय हैं । गुंजन कला सदन के प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नगर की तरुणाई को नई दिशा और प्रतिभा विकास के लिए एक सशक्त मंच दिया ।
विषम कोरोना काल में डॉ.आनंद तिवारी सभी परिचितों से निरंतर संपर्क में रहते हुए उन्हें हौसला और मार्गदर्शन देते रहे । नेशनल अस्पताल के माध्यम से उन्होंने रोगियों की सेवाएं जारी रखीं । बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ. आनंद तिवारी के परामर्श न केवल रोग निवारण में वरन जीवन के विविध क्षेत्रों में आई समस्याओं का भी चुटकियों में समाधान करने वाले साबित होते हैं । 7 जुलाई को उनके जन्म दिवस पर मैं उनके सभी मित्रों, परिचितों, शुभचिंतकों और गुंजन कला सदन परिवार की और से उन्हें स्वस्थ, सुदीर्घ, सक्रिय एवं यशस्वी जीवन की शुभकामनायें समर्पित करता हूँ। 8 जुलाई को नगर की 50 से अधिक संस्थाएं उनका सम्मान, समारोह पूर्वक आयोजित कर रहीं हैं । दैनिक जयलोक परिवार की ओर से भी डाक्टर आनंद तिवारी को उनके यशस्वी जीवन के 75 वर्ष पूर्ण होने पर बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।

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Author: Jai Lok
