भेदभाव और सेटिंग के आरोप, भोपाल से नहीं आया कोई फरमान स्थानीय स्तर पर जारी हुए नोटिस पर उठ रहे सवाल
जबलपुर (जयलोक)। अभी हाल ही में जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की ओर से 10 कर्मचारियों को विभागीय फंड की अनुउपलब्धता का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का नोटिस दिया गया है। इस नोटिस के बाद काफी बवाल मचा हुआ है जिन लोगों को नोटिस मिला है उनमें से कुछ लोगों ने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखते हुए कई बिंदुओं को उठाया है जिनमें भेदभाव और सेटिंग के माध्यम से नाम का चयन करने के आरोप लगे हैं। साथ ही जारी हुए नोटिस की वैधता पर भी सवाल उठाए गए। सूत्रों के अनुसार जिन कर्मचारियों को नोटिस मिला है उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष इस बात को भी रखा है कि स्थानीय स्तर पर नोटिस जारी करने का अधिकार ही नहीं है और इसके संबंध में अभी तक भोपाल या दिल्ली से किसी भी प्रकार की गाइडलाइन नहीं आई है ना ही कोई निर्देश जारी हुए हैं।
इस बात की जानकारी भी वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखी गई है कि जबलपुर स्मार्ट सिटी के अलावा और अन्य किसी भी देश की स्मार्ट सिटी में कर्मचारियों को छटनी करने का नोटिस नहीं दिया गया है।
इनको नहीं मिला नोटिस
रवि राव प्रशासनिक अधिकारी, कविश मिश्रा, एई, अर्पित नेमा, असिस्टेंट अर्बन प्लानर अमित खत्री, लेखा अधिकारी गजेन्द्र बेस, प्रोग्रामर बालेंद्र शुक्ला, जीआईएस एक्सपर्ट, अंकुर खरे, निशांत मिश्रा सब इंजीनियर, सुनील नामदेव कार्यालय सहायक ये सभी उक्त कार्यों में कार्य कर रहे सरकारी कर्मचारी के साथ ये लोग भी कार्य कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। सूत्रों के अनुसार इनको नियम विरुद्ध रखने इसकी फाइल ऊपर से चलाई गई थी। लेकिन बाद में मामला ठंडा कर दिया गया।
नोटिस दिया गए सभी कर्मचारी 8 से 10 वर्षों से निरंतर संविदा में अपनी सेवाएं शासकीय योजनाओं में देते रहे हैं। केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व में 7 अप्रैल को हुई सभी स्मार्ट सिटी की दिल्ली में बैठक में भी यह बात कही गई है कि स्मार्ट सिटी के कर्मचारियों का अन्य शासकीय विभागों में उपयोग किया जाना चाहिए। अगर स्मार्ट सिटी में काम नहीं है तो, निकालने की कोई भी बात की चर्चा नहीं हुई थी।
कंट्रोल रूम में नहीं हो रहा संविदा कर्मचारियों का उपयोग
जबलपुर स्मार्ट सिटी ने कंट्रोल रूम दमोहनाका को स्थापित करने के कार्य को सबसे बेहतर कार्य बताया है। लेकिन कंट्रोल रूम में स्मार्ट सिटी के संविदा कर्मचारियों का उपयोग ना करते हुए आउटसोर्स कर्मचारीयों को रखा गया है और कंसल्टेंट्स कंपनी को इसका नियमित भुगतान किया जा रहा है।
स्मार्ट सिटी के पास कोई रेवेन्यू मॉडल नहीं
वर्तमान में जबलपुर स्मार्ट सिटी के पास ऐसा कोई रेवेन्यू मॉडल नहीं है जो कि खर्च किए जा चुके 1000 करोड़ रुपए की राशि से आमदनी का सोत्र बता सके। वहीं सूत्रों का कहना है कि भोपाल और इंदौर में 400 करोड रुपए और 40 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हो रही है जिससे स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड स्वयं अपना संचालन कर रही है।
वर्तमान में जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड जो की स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत गठित एसपीबी में लगभग 21 संविदा कर्मचारी कार्य थे इनमें से 10 कर्मचारियों को विभागीय फंड की अनुउपलब्धता का हवाला देकर सेवा समाप्ति का नोटिस दिया गया है।
इनको मिला नोटिस
जिन कर्मचारियों को नोटिस दिया गया है उनमें अभिलाष पाण्डेय, सब इंजीनियर कैलाश भाटी, कंपनी सेकेट्री विक्रांत सक्सेना, सब इंजीनियर योगेश भालेराव, प्रोग्रामर सौरव दीक्षित, मैनेजर अश्वनी मिश्रा, कार्यालय सहायक जितेंद्र वैदेही, अकाउंट सहायक अजय गुप्ता, कार्यालय सहायक राहुल कुशवाहा, कार्यालय सहायक अब्दुल खालिक, कार्यालय सहायक शामिल हैं।
