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हंगामें के बाद 6  हजार क्विंटल पर शुरू हुई उड़द की बोली, कृषि उपज मंडी समिति पाटन में किसानों का प्रदर्शन

जबलपुर (जय लोक)। उड़द की खरीदी मंडी में शुरू हो चुकी है। पाटन कृषि उपज मंडी में मोनोपोली बनाकर व्यापारियों ने आज उड़द की बोली 5500 से प्रारंभ की। पहले तो किसानों ने सामान्य रूप से व्यापारियों से चर्चा कर बोली की राशि बढ़ाने की मांग की। क्योंकि शासन द्वारा उड़द की खरीदी 7400 प्रति क्विंटल की दर निर्धारित की गई है। लेकिन व्यापारियों के मना करने के बाद किसानों ने भी उड़द बेचने से इनकार करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद बड़ी संख्या में किसान एकत्रित हो गए और चक्का जाम कर जमकर नारे बाजी और प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन करने वालों में अधिकांश तौर पर छोटे किसान थे जो तत्काल अपनी फसल बेचकर अगली फसल के लिए तैयारी करने के लिए पैसा प्राप्त करना चाहते थे। काफी देर तक हंगामा होने के बाद मंडी सचिव सुनील पांडे किसानों के बीच पहुंचे और उनसे चर्चा शुरू की।
पाटन के मंडी सचिव ने व्यापारियों और किसानों के साथ उड़द की बोली के दाम बढ़ाने के लिए चर्चा कर इसका हल निकाला। पहले तो व्यापारी बोली का दाम बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हुए और किसानों का आक्रोश भी कम नहीं हो रहा था स्थिति तनाव पूर्ण निर्मित होती जा रही थी। बाद में प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद यह तय हुआ कि 6000 प्रति क्विंटल के दर से उड़द की बोली का भाव शुरू किया जाएगा। इसके बाद व्यापारी और किसान दोनों मान गए और फिर बोली की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि भी चर्चा में शामिल हुए और उन्होंने किसानों का पक्ष प्रशासन और व्यापारियों के समक्ष रखा।

व्यापारियों ने बनाई मोनोपोली

मंडी पहुंच रहे छोटे किसानों को अपनी अगली फसल तैयार करने के लिए राशि की आवश्यकता होती है। इसीलिए वह प्रशासन द्वारा किए जा रहे पंजीयन का इंतजार किए बिना सीधे मंडी में आकर कुछ पैसे कम में ही अपनी उड़द की फसल बेचने के लिए मजबूर हैं। किसानों की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए मंडी के व्यापारियों ने मोनोपोली बनाकर उड़द खरीदी के दामों को घटा दिया था। सूत्रों के अनुसार सुबह 5000 से लेकर 5500 रुपए के बीच में ही बोली के दौरान उड़द की बिक्री हुई। लेकिन बाद में जब किसानों को यह समझ आया कि यह व्यापारियों द्वारा जानबूझकर किया जा रहा है तो फिर उसके बाद हंगामा की स्थिति निर्मित हो गई।

प्रशासन की योजना स्पष्ट नहीं

किसानों का कहना है कि अभी तक प्रशासन की ओर से उड़द खरीदी के पंजीयन के बाद की प्रक्रिया निर्धारित नहीं हुई है। प्रशासन कितने हेक्टेयर या कितने एकड़ पर कितनी उड़द की उपज खरीदने जा रहा है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। दूसरा छोटे किसानों के समक्ष एक बड़ी समस्या यह है कि अगर वह उड़द का पंजीयन करा कर अपनी फसल बेचते हैं तो उसका भुगतान उन्हें कुछ समय बाद प्राप्त होगा। जिसके कारण वह अगली फसल के लिए धनराशि नहीं ले पाएंगे या फिर उन्हें ब्याज से पैसा लेना पड़ेगा। सामान्यत: 1 एकड़ में 8 से 10 क्विंटल और हेक्टेयर में करीब 25 क्विंटल तक उपज आती है। शासन की नीति स्पष्ट हो जाने के बाद यह बात भी साफ हो पाएगी।

मंडी सचिव ने बोला-हाँ पैसे खाते हैं

पाटन कृषि उपज मंडी के अंदर जब उड़द के ढेर के समीप किसानों व्यापारियों और कृषि के सचिव सुनील पांडे के बीच हंगामेदार चर्चा चल रही थी तभी किसी किसान ने सबके सामने मंडी सचिव पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि वह पैसे खाते हैं। जिस पर खिसियाकर मंडी सचिव ने भी कह दिया कि हां पैसा खाते हैं। यह पूरा घटनाक्रम वीडियो में भी रिकॉर्ड हुआ।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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