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हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है…

(जय लोक)। सन 1974 में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर अभिनीत फिल्म ‘अविष्कार’ प्रदर्शित हुई थी इसका एक गाना जो मन्ना डे की आवाज में है बड़ा ही मकबूल हुआ था जिसके बोल थे ‘हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है’। ये गाना ‘लाफ्टर डे’ यानी हास्य दिवस पर बड़ा ही मौजू लगता है। लोग बाग और डॉक्टर भी यही बताते हैं कि हंसना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है जब आप हंसते हो तो आपके अच्छे वाले हारमोंस सक्रिय हो जाते हैं, हंसने से निराशा दूर होती है, हंसने से चेहरे की मांसपेशियों  में सुधार होता है शायद इसलिए आजकल एक नया फैशन चला है ‘लाफ्टर क्लब’ का जिसमें लोग आते हैं और जोर-जोर से नकली हंसी-हंसने लगते है और अब तो अपने को लगता है कि हर आदमी नकली हंसी ही हंस रहा है क्योंकि जब वो सामान लेने हंसता हुआ बाजार जाता है फिर उसकी कीमत सुनता है तो रोने लगता है, सुबह से तैयार हो तारों ताजा होकर हंसता हुआ ऑफिस पहुँचता है और जब पहुंचते ही बॉस की डांट खाता है तो रोने लगता है, शाम को घर आता है तो सोचता है कि घर में हंसी खुशी मिलेगी लेकिन जैसे ही बीवी की टेढ़ी निगाह उस पर पड़ती है जो उससे कई सवाल पूछती है तो सारी हंसी गायब हो जाती है और हंसने की चाहत रोने में बदल जाती है, विद्यार्थी हंसता हुआ परीक्षा देता है और हंसता हुआ अपना रिजल्ट लेने भी जाता है लेकिन जब परीक्षा फल आता है तो ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए वाली स्थिति बन जाती है’। यही हाल नेताओं का है जब चुनाव का समय आता है तो वे जोर-जोर से हंसते हुए अपने लोगों को बताते हैं कि उनकी टिकट तो बिल्कुल पक्की है लेकिन जब लिस्ट आती है और उनका नाम गायब हो जाता है तब उनके हंसने की चाहत ‘रूदाली’ बन जाती है यानी इंसान हंसने की कोशिश तो बहुत करता है लेकिन उसकी हंसने की चाहत उसे रुला देती है। ये ठीक है कि  जीवन में हंसना बहुत जरूरी है लेकिन जिंदगी की भाग दौड़, तमाम तरह के तनाव, घर की चिंता, संतानों के ब्याह और रोजगार ना मिल पाने का टेंशन, दफ्तर में काम का बोझ, घर में बीवी से झगड़ा, अब आप ही बताओ कि ऐसे में कौन कितना बड़ा जोधा होगा जो हंसेगा। भले ही हंसने से कई लाभ होते हैं लेकिन हंसने का मौका भी तो मिले तब तो उन लाभों का लाभ मिल सकता है।
अपने को तो लगता है कि जो लोग लाफ्टर क्लब में जाते हैं भले ही वे नकली हंसी हंसते हो लेकिन कम से कम हंसते तो हैं वरना आम आदमी के चेहरे से हंसी  ऐसी गायब हुई है जैसे गधे के सर से सींग। अपने को तो ये भी महसूस होता है कि बरसों पहले से ही लोगों के चेहरे से मुस्कुराहट और हंसी गायब हो चुकी है शायद यही कारण था कि  बरसों पहले एक फिल्म  आई थी ‘एक फूल दो माली’ में बलराज साहनी अपने बेटे से कहता है  ‘मुस्कुरा लाडले मुस्कुरा’ उसके बाद भी वो लाडला मुस्कुराता नहीं है, शायद उसे अपने भविष्य का अंदाजा हो गया होगा कि जब भविष्य में नहीं मुस्कुराना और हंसना है तो अभी  काहे  को हंसे या मुस्कुराए। खैर भले जिंदगी हंसने का मौका ना दे फिर भी कोशिश इस बात की होना चाहिए कि चौबीस घंटे में कम से  कम चौबीस सेकंड ही हंस लिया जाए शायद इसी से ही अच्छे वाले हार्मोन सेट हो जाएं।
अब विधायक जी भी
अभी तक तो अपन ने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते सुना था और ये भी सुना था कि वे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए लेकिन राजस्थान में तो एक विधायक जी बीस लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए। सेटिंग तो दो करोड़ की थी और पहली किस्त में बीस लाख विधायक जी के हाथों में रखे जाने थे लेकिन इधर विधायक जी ने पैसा लिया उधर भ्रष्टाचार निरोधक संस्था ने उनको धर दबोचा। मामला बस इतना था कि ये भाई साहब एक खदान के  मलिक के खिलाफ  विधानसभा में सवाल उठा रहे थे खदान मलिक उस्ताद था उसने विधायक जी से संपर्क किया कि भैया काहे को ये सब कर रहे हो जो आप बोलोगे वो मैं कर दूंगा आप अपना सवाल वापस ले लो, विधायक जी ने सोचा अपन तो विधायक हैं अपना कोई क्या कर सकता है तो तत्काल दो करोड़ की मांग कर डाली खदान मलिक ने भी हामी भर दी और पहली किस्त जो बीस लाख की थी  विधायक जी ले रहे थे उसे लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक संस्था ने पकड़ लिया। दरअसल विधायक जी ने सोचा होगा कि जब कर्मचारी अधिकारी रिश्वत ले सकते हैं तो फिर वे क्यों पीछे रहे उन्हें ऐसा लग रहा होगा कि विधायक पर कौन हाथ डाल सकता है वे तो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं सरकारी अफसर होता तो पकड़ लिया जाता लेकिन भाई साहब इसी में धोखा खा गए इधर पैसे लिए उधर पकड़े गए। ऐसा लगता है कि विधायक जी नए-नए हैं इन्हें माल कमाने की स्कीमों का पता नहीं है वरना वे इस तरह से खुलेआम रिश्वत की मांग ना करते हैं कई तरीके हैं माल कमाने के, थोड़ा धीरज रखते पुराने घाघ लोगों से गुरु दीक्षा ले लेते उसके बाद कुछ करते लेकिन क्या करें, लालच बुरी बला एक ही झटके में करोड़पति बनने का सपना जो विधायक जी ने देखा था वो दूसरे ही झटके में चकनाचूर हो गया। देखना अब ये है कि विधायक जी का होता क्या है वे विधायक बने रहते हैं या फिर उनकी विधायकी चली जाती है, वैसे अपने देश में रिश्वत लेने वालों का कुछ बिगड़ता नहीं है सालों साल मुकदमे चलते रहते हैं और रिश्वतखोर ठाठ से अपने पदों पर बने रहते हैं ऐसा ही शायद कुछ विधायक जी के साथ भी हो सकता है।
कौन ज्यादा खुश
अभी हाल ही में एक संस्था ने एक सर्वे किया था इसमें कई देश शामिल हुए इनमें सिर्फ  दो देश ऐसे निकले जहां शादीशुदा लोग अकेले रहने वाले लोगों से ज्यादा दुखी हैं  उनमें अपना ‘हिंदुस्तान’ भी शामिल है जहां अकेले रहने वाले लोग शादीशुदा लोगों की तुलना में ज्यादा खुश और सुखी है एक और देश है तंजानिया, वहां भी भारत जैसी स्थिति है अब लोग बाग पूछ रहे हैं कि क्या कारण है कि शादीशुदा लोग ज्यादा दुखी रहते हैं, अब जो शादीशुदा हैं उन्हें क्या बताना कि वे क्यों दुखी रहते हैं वे तो अनुभवी है उन्हें तो अपने दुख और दुखी रहने का खूब अनुभव भी होगा किन कारणों से वे दुखी रहते हैं ये भी वे अच्छी तरह से जानते हैं। भले ही लव मैरिज हो, अरेंज मैरिज हो, शादी डॉट कॉम से शादी हुई हो लेकिन जब शादी हो जाती है उसके कुछ दिन तक तो सब कुछ हरा  हरा दिखता है और उसके बाद फिर जो दुख का पहाड़ टूटता है उसे जिंदगी भर उठाना पड़ता है ऐसा शादीशुदा लोगों का मानना है। जो अकेले हैं उन पर किसी का कोई जोर नहीं है ना कोई उन्हें डांटना वाला है, ना कोई उन्हें ताने देने वाला है, जो मजीज़् करना है करो, रात के जितने बजे आना है आओ, जो खाना है खाओ, जो पीना है पियो, कोई टोकने वाला नहीं इसलिए लगता है वो शादीशुदा लोगों से ज्यादा सुखी है क्योंकि यहां तो बंदिशें ही बंदिशें हैं और जब इंसान बंधन में रहता है तो फिर दुखी तो हो ही जाता है लेकिन उन शादीशुदा लोगों का क्या हो सकता है फिर से अकेले तो हो नहीं सकते इसलिए शायद ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे होंगे कि भगवान अगले जन्म में हमें अकेला ही रखना कम से कम सुखी तो रहेंगे।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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