
जबलपुर (जयलोक)। शहर की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था लिटिल वर्ल्ड स्कूल तिलवारा की 10 पूर्व शिक्षिकाओं की ग्रेच्युटी की राशि हड़पने की कोशिशों को हाई कोर्ट ने नाकाम साबित कर दिया। ये वो पूर्व शिक्षिकाएं रही हैं जिन्होंने अपने खून पसीने से लिटिल वर्ल्ड स्कूल को अपनी सेवाएं देकर इस शहर की एक नामवर स्कूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन इन शिक्षाओं को स्कूल प्रबंधन को जो ग्रेच्युटी की राशि देना थी उसको हड़पने का निर्णय शाला के प्रबंधन ने लिया और कानूनी दांव पेंच में शिक्षिकाओं को लंबे समय तक उलझाए रखा। लेकिन शिक्षिकाओं की ग्रेच्युटी की राशि को हड़पने की लिटिल वर्ल्ड स्कूल की सारी कोशिशें उस समय नाकाम हो गईं जब मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि ग्रेच्युटी कर्मचारी का अधिकार है और उसके लिए नियोक्ता के समक्ष आवेदन देने की आवश्यकता तक नहीं है। नियोक्ता का दायित्व है कि ग्रेच्युटी की दी जाने वाली राशि निर्धारित कर कार्यमुक्त कर्मचारी को 30 दिनों में भुगतान करें। युगलपीठ ने दायर अपीलों को निरस्त करते हुए 10 प्रतिशत ब्याज के साथ ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान करने के आदेश पारित किए हैं। तिलवारा स्थित लिटिल वर्ल्ड हायर सेकंडरी स्कूल की ओर से दायर की गई सात अपीलों को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने उक्त निर्देश दिए हैं। लिटिल वल्र्ड स्कूल द्वारा हाई कोर्ट में जो साथ अपने दायर की गई अपीलों में कहा गया था कि नियंत्रण प्राधिकरण व सहायक श्रम आयुक्त ने शिक्षक के रूप में कार्यरत मौसमी बैनर्जी सहित अन्य को 10 प्रतिशत ब्याज के साथ ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान करने आदेश जारी किए हैं उसे लिटिल वल्र्ड स्कूल ने मानने से इंकार कर दिया। सहायक श्रम आयुक्त के आदेश को निरस्त कराने लिटिल वल्र्ड स्कूल द्वारा हाई कोर्ट की शरण ली गई है। लेकिन हाई कोर्ट की एकलपीठ ने नियंत्रण प्राधिकरण के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिका निरस्त कर दी थी। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने लिटिल वल्र्ड स्कूल प्रबंधन को ग्रेज्युटी की राशि का भुगतान करने के लिए आदेश दिया लेकिन लिटिल वल्र्ड स्कूल का प्रबंध शिक्षिकाओं की ग्रेच्युटी की राशि हड़पने के लिए आमादा हो गया और प्रबंधन में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के खिलाफ डबल बेंच में अपील कर दी हाई कोर्ट की डबल बेंच में भी स्कूल प्रबंधन में शहर के नाम ही वकीलों को अपने पैरों में लगाया लेकिन स्कूल को किसी तरह की कामयाबी नहीं मिलीलिहाजा, युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की गई। दायर अपीलों में कहा गया था कि कार्यमुक्त होने के बाद अनावेदक शिक्षकों ने ग्रेज्युटी राशि के भुगतान के लिए आवेदन नहीं दिया था। इसके अलावा उन्होंने विलंब से ग्रेच्युटी की माँग करते हुए नियंत्रण प्राधिकरण व सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष आवेदन दायर किया था। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि एक्ट के प्रावधानों के तहत कर्मचारी के आवेदन की प्रतीक्षा किए बिना नियोक्ता का यह दायित्व है कि वह ग्रेच्युटी की राशि निर्धारित करते हुए 30 दिनों में उसका भुगतान करें। एक्ट में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है, जो महज विलंब के आधार पर ग्रेच्युटी के अधिकार से वंचित करने की अनुमति नियोक्ता को प्रदान करता है। अपीलकर्ता द्वारा लिया गया विलंब का आधार 1972 के अधिनियम के प्रविधानों के विपरीत है। युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ अब लिटिल वल्र्ड स्कूल की दायर अपील निरस्त कर दी। हाई कोर्ट की डबल बेंच से भी लिटिल वल्र्ड स्कूल की अपील निरस्त हो जाने के बाद स्कूल प्रबंधन की दर्शिकाओं की ग्रेच्युटी की राशि हड़पने की तमाम कोशिश है ना काम हो गई है और अब उसे 10 प्रतिशत की राशि का ब्याज भी इन शिक्षकों को देना होगा।


Author: Jai Lok
