Download Our App

Home » जबलपुर » 1000 स्कूल हैं रडार पर-पौने 3 सौ स्कूलों को किया गया है चिन्हित

1000 स्कूल हैं रडार पर-पौने 3 सौ स्कूलों को किया गया है चिन्हित

स्वागत योग्य है अधिकांश स्कूलों द्वारा फीस को कम किया जाना – कलेक्टर दीपक सक्सेना
जबलपुर (जयलोक)। जिले में संचालित हो रहे स्कूलों के लिए मध्य प्रदेश शासन के द्वारा लागू 2018 के एक्ट के विरुद्ध जाकर की गई फीस वसूली के खिलाफ जिला प्रशासन विशेष रूप से अभियान चला रहा है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पूरे मध्य प्रदेश में एक नजीर पेश कर दी है कि शिक्षा माफिया के खिलाफ अगर दमदारी से कार्यवाही किए जाने की मनोदशा और मनोबल बना लिया जाए तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। वर्तमान समय में 1000 से अधिक स्कूल जिला प्रशासन की रडार पर हैं। कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार इन स्कूलों में से पौने 3 सौ स्कूलों को चिन्हित किया गया है जिनमें 500 से अधिक छात्र-छात्राओं की संख्या है या फिर यह स्कूल 25 से 30 हजार रुपए फीस के रूप में वसूल रहे हैं। ऐसे भी स्कूल इनमें शामिल हैं जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थी। ऐसे स्कूलों को जाँच में शामिल किया गया है। इन स्कूलों से दस्तावेज मांगे गए हैं जिन स्कूलों ने दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं उन्हें सुनवाई का पूरा अवसर दिया गया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जयलोक को बताया कि पेश किए गए दस्तावेजों की बारीकी से जाँच की गई। जाँच के दौरान परीक्षण में जिला समिति ने जो भी अनियमितताएं पाईं हैं उसके अनुसार निर्देश जारी हुए। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी। अभी तक 27 स्कूलों की जाँच पूर्ण हो चुकी है। विभिन्न स्कूलों के संबंध में जो भी अनियमिताएं पाई गईं हैं और 2018 के एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन कर जिन्होंने फीस वृद्धि में गड़बडिय़ाँ की थीं उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं और अतिरिक्त फीस वसूल करने पर उन्हें अधिक फीस बच्चों को लौटाने के निर्देश भी दिए गए।
कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि हमने जाँच के दौरान सभी स्कूलों को सुनवाई का पूरा अवसर दिया उनका पक्ष भी सुना गया उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के संबंध में जो भी कथन उन्होंने दिए उसे भी सुना गया उसके बाद जिला समिति के द्वारा हर बिंदु पर परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट तैयार की गई।
सुनवाई के बाद भी कुछ निजी स्कूलों ने कुछ और दस्तावेज भी प्रस्तुत किए हैं उन्हें भी परीक्षण में लिया गया उनका पक्ष भी पूर्ण रूप से सुना गया लेकिन जहां अनियमिताएं पाई गई उसे दृष्टिगत रखते हुए जिला समिति की अनुशंसा पर कार्रवाही के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए गए।

शासन द्वारा जारी किया गया एक्ट बहुत स्पष्ट है
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश शासन के द्वारा वर्ष 2018 में इस संबंध में एक एक्ट लागू किया गया है। एक्ट बहुत स्पष्ट है उसमें साफ तौर से उल्लेखित है कि किस स्थिति में स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस की वृद्धि की जा सकती है किस स्थिति में कितनी फीस बढ़ाई जा सकती है अगर इस नियमावली का पालन नहीं हुआ है और इस एक्ट को ना मानते हुए फीस वृद्धि की गई है तो फिर कार्यवाही की जा रही है।

जिन स्कूलों ने फीस कम की उनका निर्णय स्वागत योग्य
पूरी प्रक्रिया में यह बात भी सामने आई है कि जिन स्कूलों को पूर्व में फीस कम करने का नोटिस दिया गया था, साथ ही वसूली गई अधिक फीस अभिभावकों और बच्चों को वापस करने के निर्देश जारी किए गए थे ऐसे स्कूल या तो अपील में चले गए हैं या फिर उच्च न्यायालय से स्टे लेकर बैठे हैं। लेकिन इस बीच में यह बहुत सुखद संदेश है कि अधिकांश स्कूलों ने अपनी फीस 30 से 35 प्रतिशत तक कम कर ली है यह अभिभावकों के पक्ष में लिया गया बड़ा निर्णय है।

शासन के पक्ष में आदेश हुआ तो फीस लौटाने के बहुत से तरीके हैं
जानकारों का कहना है कि शासन ने अपना पक्ष उच्च न्यायालय में बहुत मजबूती से रखा है सुनवाई के दौरान अगर स्कूल के पक्षों में फैसला आता है तो अन्य बात है। अन्यथा अगर शासन की कार्यवाही के पक्ष में उच्च न्यायालय का निर्णय आ जाता है तो जिला प्रशासन के पास ऐसे कई विशेष अधिकार हैं जिसके माध्यम से वह फीस वसूली कर अभिभावकों और बच्चों को लौटा सकता है। कलेक्टर दीपक सक्सेना का भी कहना है कि अगर ऐसी स्थिति निर्मित होती है तो वह उपलब्ध उपायों का प्रयोग कर वसूली गई अधिक फीस को छात्रों को वापस करवाएंगे।

बड़ी राशि है-वापस करने में कर रहे हैं आनाकानी
विभिन्न निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई हजारों बच्चों से अतिरिक्त फीस की गणना करोड़ों में है। कुछ स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने 25 से 30 करोड़ तक अधिक वसूले हैं और चार-पांच करोड़ रुपए तो सामान्य रूप से अधिकांश स्कूलों के द्वारा अधिक वसूला जाना पाया गया है। ऐसी स्थिति में वह इतनी बड़ी राशि को चुकाने से बचने के लिए न्यायालय की शरण में जा रहे हैं और हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त कर रहे हैं।

कार्रवाई के विरोध में न्यायालय जा रहे हैं स्कूल
जिला प्रशासन द्वारा की जा रही कार्यवाही के विरोध में यह पाया गया है कि निर्देश जारी होने के बाद संबंधित निजी स्कूल राहत पाने के उद्देश्य से या तो अपील दायर कर रहे हैं या फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन के ऊपर बारीकी से जाँच करने और कार्यवाही करने का दबाव और अधिक बढ़ गया है और यही वजह है कि स्कूलों के खिलाफ की जा रही जाँच में थोड़ा सा समय अधिक लग रहा है।

स्कूलों को मान लेना चाहिए अपनी गलती
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि एक्ट में जो भी प्रावधान दिए गए हैं उससे स्कूल प्रबंधन पूरी तरीके से वाकिफ है। जिन स्कूलों में फीस वृद्धि करने में अनियमिताएं की गईं हैं उन्हें अपनी गलती स्वीकार कर लेना चाहिए। साथ ही साथ फीस भी कम कर लेना चाहिए। इसमें कोई बड़ी गहन जाँच की आवश्यकता नहीं है लेकिन स्कूल वाले स्वयं अपने विवेक से अगर निर्णय लेकर फीस वृद्धि को वापस ले लेंगे तो जिला प्रशासन को बारीकी से और विस्तृत जाँच करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जाँच विस्तृत रूप से की जा रही है इसलिए पूरी प्रक्रिया में समय लग रहा है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED LATEST NEWS

Home » जबलपुर » 1000 स्कूल हैं रडार पर-पौने 3 सौ स्कूलों को किया गया है चिन्हित
best news portal development company in india

Top Headlines

एसपी के निर्देश पर 11 थाना प्रभारी को किया गया इधर से उधर, जय लोक ने पूर्व में ही प्रकाशित की थी खबर

जबलपुर (जय लोक)। आज शाम एक आदेश जारी कर पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने 11थाना प्रभारी को इधर से उधर

Live Cricket