पुलिस ने नहीं दी संभल जाने की इजाजत, प्रशासन पर उठे सवाल
लखनऊ। यूपी के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर भडक़ी हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण है। इस घटना में फायरिंग में चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। संभल मामले पर समाजवादी पार्टी ने सख्त रुख अपनाया है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 12 वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल संभल भेजने का फैसला लिया है। इस प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा और विधान परिषद के विपक्षी नेताओं समेत सांसद और विधायक भी शामिल होंगे। ये प्रतिनिधिमंडल घटना की जानकारी लेकर अखिलेश यादव को रिपोर्ट पेश करेगा। सूत्रों के मुताबिक संभल में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की इजाजत नहीं दी है। प्रशासन ने साफ कहा है कि जिले की सीमा पर ही नेताओं को रोक दिया जाएगा। हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 7 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें 800 नामजद और 2750 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे पर भी हिंसा भडक़ाने का आरोप लगा है। पुलिस ने 25 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। सपा प्रमुख अखिलेश ने प्रशासन पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार विपक्ष की आवाज दबाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सपा प्रतिनिधिमंडल को रोकने का कदम प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। संभल हिंसा के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। संभल हिंसा और इसे लेकर उठाए जा रहे राजनीतिक कदम यूपी में आगामी चुनावी रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। सपा के इस प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट के बाद अखिलेश की अगली रणनीति पर सबकी नजरें है।