जबलपुर (जयलोक)। शीतलहर के बढ़ते प्रकोप और तापमान में आ रही गिरावट को देखते हुये किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने जिले के किसानों को पाले से फसलों को बचाने के उपाय बताएं हैं। उप संचालक कृषि डॉ एस के निगम के मुताबिक रात का तापमान चार डिग्री सेंटीग्रेड से कम होने पर पाला पडऩे की संभावना होती है। पाले से मुख्य रूप से सब्जी फसलों में ज्यादा नुकसान होता है। इसके अलावा दलहनी फसलों को भी पाले से नुकसान हो सकता है। पाले की संभावना तब और अधिक हो जाती है, जब शाम को आसमान साफ हो और हवा बंद हो। उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों को पाले के प्रभाव से बचाने के लिए दीर्घकालीन उपायों में वायु अवरोधक पेड़ उत्तर पश्चिमी मेड़ों पर लगाने चाहिए। पाले के प्रभाव से फल फूल प्रभावित होते हैं एवं पत्तियों पर ओस की बूंद के जमने से कोशिकाएं फट जाती हैं, जिससे पत्तियों का हरा रंग समाप्त हो जाता है एवं मिट्टी के समान दिखाई देने लगता है। उन्होंने बताया कि पत्तियों के सडऩे से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। पत्ती, फल एवं फूल सूख जाते हैं, फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं और स्वाद भी खराब हो जाता है। अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने फसल को पाले से बचाने के लिए किसानों को सिंचाई करने, मेड़ों पर धुआं करने, दवाओं का इस्तेमाल करने तथा पॉलिथीन का इस्तेमाल करने जैसे उपाय सुझायें हैं।
पाले से फसल को बचाने सिचाई करें
पाले से फसल को बचाने के लिए किसानों को खेतों में हलकी सिचाई करने की सलाह दी गई है। किसान सिचाई के लिए स्प्रे पंप से फवारे से करें तो और भी बेहतर रहता है। किसानों को दोपहर बाद सिंचाई करने का सुझाव दिया गया है। खेतों की मिट्टी में नमी बनाये रखे जिससे पाले का असर नहीं होता है।
