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7 करोड़ के घोटाले में अभी तक नहीं हुई पुलिस में एफआईआर

दूसरों की गलती पकडऩे वाला ऑडिट विभाग क्यों नहीं पकड़ पाया अपने विभाग की गलतियाँ
जिनके खाते में पैसा गया वह भी दोषी, उन पर भी होगी कार्यवाही  – कलेक्टर सक्सेना

जबलपुर (जय लोक)। संयुक्त संचालक ऑडिट में 55 लाख रुपए की राशि से खुलना शुरू हुआ घोटाला अब 7 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन अपने स्तर पर टीमें बनाकर इस मामले की जांच कर रही है और लगातार इसमें नए नए खुलासे हो रहे हैं। लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी तक इस मामले में पुलिस में एफआईआर नहीं कराई गई है। ओमती थाना प्रभारी ने इस बात की पुष्टि की है कि आज दिनांक तक उक्त प्रकरण के संबंध में ओमती थाना पुलिस द्वारा किसी प्रकार की एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। शासन स्तर पर जरूर जांच जारी है। दूसरी और इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड संयुक्त संचालक क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा में पदस्थ बाबू संदीप शर्मा फरार है। 5 साल से लगातार घोटाले करने वाला संदीप शर्मा अब आत्मा गिलानी महसूस करने का नाटक बताकर अपने सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप और साथियों को यह मैसेज कर रहा है कि उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है और वह बहुत शर्मिंदा है, अपने परिजनों का सामना नहीं कर सकता, आँखें नहीं मिला सकता। लेकिन इस बेशर्म गबन करने वाले बाबू को 5 सालों में कभी इस बात पर शर्म नहीं आई जब उसने अपनी पत्नी,रिश्तेदारों और मित्रों यहाँ तक की सेवानिवृत हो चुके या फिर स्वर्गीय हो चुके सरकारी कर्मचारी के नाम पर भी गबन करने से पीछे नहीं हटा।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि स्थानीय निधि संपरीक्षा विभाग (ऑडिट विभाग) जिसका मूल काम दूसरे शासकीय कार्यालय में जाकर और आर्थिक अनियमितताओं को पकडऩे और रोकने का है आखिर वह कैसे विगत 5 वर्षों से जारी अपने कार्यालय में इतनी बड़ी अनियमितताओं को कैसे नजरअंदाज करते आया। दूसरों की गलतियां पकडऩे वाला ऑडिट विभाग अपने ही विभाग में चल रही इतनी बड़ी घपलाबाजी की गलतियों को क्यों नहीं पकड़ पाया। यह बड़ा सवाल है। निश्चित तौर पर इसमें केवल भोपाल अटैच किए गए ज्वॉइंट डायरेक्टर मनोज बरैया और निलंबित हुए चार कर्मचारी जिनमें सहायक संचालक श्रीमती प्रिया विश्नोई, ज्येष्ठ समपरिक्षक श्रीमती सीमा अमित तिवारी शामिल है तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनके अलावा और भी शासकीय लोग इस गबन में शामिल हो सकते हैं जिनका खुलासा धीरे धीरे जाँच में होता जाएगा।

60 से 70 लोग बनेंगे आरोपी

कलेक्टर दीपक सक्सेना का स्पष्ट कहना है कि केवल सरकारी महकमें के लोग ही इस गबन में दोषी नहीं हैं। बल्कि जिन लोगों के खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ है वह भी उतने ही दोषी हैं। इनमें से अधिकांश लोग गबनकत्र्ता के रिश्तेदार, मित्र और लाभ अर्जित करने वाले लोग हैं। यह सब भी बराबर के दोषी है ंंऔर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर जो आंकड़ा जाँच के बाद सामने आ रहा है। उसमें 60 से 70 लोग इस पूरे मामले में शामिल नजर आ रहे हैं। यह आंकड़ा आगे बढ़ भी सकता है। राज्य शासन की ओर से गठित की गई टीम और जिला प्रशासन की ओर से गठित की गई टीम अपनी जाँच आगे कर रही है।

सबको बचाने का पत्र संदेह के दायरे में

इस पूरे घटनाक्रम के बीच में एक और खबर सामने आई की मुख्य आरोपी बाबू संदीप शर्मा का एक पत्र फिर से वायरल हुआ जिसमें आरोपी द्वारा प्रारंभिक तौर पर दोषी बनाए गए ज्वॉइंट डायरेक्टर से लेकर अन्य अधिकारियों तक को क्लीन चिट देते हुए सभी आरोप अपने ऊपर ले लिए हैं। अब इस पत्र को संदेहास्पद माना जा रहा है। इस पत्र की पुष्टि किसी ने नहीं की है लेकिन जब मुख्य आरोपी संदीप शर्मा कुछ दिन पहले ही आत्महत्या की धमकी देकर मोबाइल बंद कर लापता हो गया था, तो फिर एक बार फिर वह आरोपियों और अधिकारियों को बचाने के लिए पत्र कैसे जारी कर सकता है।

 

आखिर प्रहलाद पटेल के पीछे कौन?

 

 

Jai Lok
Author: Jai Lok

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