1978 में एक फिल्म आई थी ‘मुकद्दर का सिकंदर’ सुपरहिट फिल्म थी जिसका एक गाना आज भी बड़ा मशहूर है ‘दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे, आ गया किसी पे प्यार क्या कीजे’ पिछले कुछ महीनों से ये गाना बिहार के पुलों पर लागू हो रहा था क्योंकि आए दिन वहां पुल नदियों में गिरते जा रहे थे, इसलिए वहां के लोग यह कहने लगे थे ‘पुल तो है पुल, पुल का ऐतबार क्या कीजे, गिर गया पुल तो क्या कीजे’ अपने को तो लगता था कि अपने ही देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है लेकिन अब पता लगा है कि ये छुआछूत का रोग है और जो पूरे विश्व में फैल चुका है। जर्मनी को तो अपन बड़ा ही मॉडर्न और विकसित देश मानते थे कहा जाता था कि जर्मन लोग बड़े ही अनुशासन प्रिय और ईमानदार होते हैं लेकिन इनकी भी पोल खुल गई जब जर्मनी के ‘ड्रेसडेन’ शहर के मुख्य पुलों में से एक ‘कैरोला ब्रिज’ अचानक भरभरा कर गिर गया। अब आप ही बताओ कि हम लोग बेवजह बिहार के पुलों और उनके बनाने वाले इंजीनियरों ठेकेदारों के कान पकड़ रहे थे, अरे जब जर्मनी का पुल गिर सकता है तो फिर बिहार के पुल लगते कहां हैं। पुल भी आखिर कब तक लोगों का वजन सहे जिसे देखो उसी पर से निकलता जा रहा है, बड़ी-बड़ी गाडिय़ां, ट्रक पुलों की छाती रोंदते चले जाते है, एक सीमा होती है वजन सहने की और जब सीमा समाप्त हो जाती है तो पुल सीधे-सीधे नदी में समा जाता है। दूसरी बात जितनी मजबूती पुल में होनी चाहिए उतनी मजबूती तो ये इंजीनियर और ठेकेदार देते नहीं है, किसी भी इंसान को भरपूर खाना ना मिले तो उसका कमजोर होना स्वाभाविक है यही हाल पुलों का है जब सीमेंट की बजाय रेत के पुल बनाए जाएंगे और इंजीनियर और ठेकेदार मालामाल हो जाएंगे तो पुल का गिरना तो स्वाभाविक है। अपने को तो लगता है कि कई बार पुल अपनी कमजोरी से उपजी शर्म के मारे भी नदी में डूब कर आत्महत्या कर लेते हैं।
जब जर्मनी जैसे देश में एक बड़े शहर का मुख्य पुल गिर गया तो फिर दुनिया का कोई भी पुल गिर सकता है वैसे भी पुलों ने कोई ठेका थोड़ी ले रखा है आपको इस पार से उस पार पंहुचाने का, आए दिन उसकी छाती को रौंदकर निकलोगे तो उसको भी क्रोध तो आएगा ही, एक ही झटके में नदी में समा जाएगा और दस बीस को भी अपने साथ भी ले जाएगा, इसलिए किसी भी पुल से निकलने के पहले उसके हाथ पैर जोड़ लेना, नारियल फोड़ देना, चावल हल्दी और कुमकुम छिडक़ कर घंटी बजाकर उसकी पूजा भी कर लेना और कहना भैया एक बार पार करवा दो जिंदगी में दूसरी बार कभी लौट कर तुम्हारी छाती पर अपने पैर नहीं रखूंगा।
आखिर वो भी क्या करती
आगरा में एक पत्नी ने अदालत में तलाक की एप्लीकेशन दे दी जबकि उसकी शादी को कुल जमा 40 दिन हुए थे। जज साहेब ने पूछा कि आखिर इतनी जल्दी तलाक देने की क्या जरूरत पड़ गई तब पत्नी जी ने बताया की हुजूर हमारा जो हस्बैंड है ना वो पिछले 40 दिन में कुल छह बार नहाया है, सप्ताह में एक बार अपने शरीर पर गंगाजल छिडक़ लेता है और कहता है कि मैं पवित्र हो गया नहाने की जरूरत क्या है। अब आप ही बताओ कि ऐसे पति के साथ मैं कैसे रह सकती हूं जो नहाने से इतना डरता है। आप खुद ही सोचो हुजूर कि कितनी बदबू नहीं आती होगी उसके शरीर से और फिर मैं तो उसकी बीवी हूं रहना तो उसी के साथ है आखिर उस बदबू में अपनी जिंदगी कैसे गुजारूं, अभी तो 40 दिन ही हुए हैं बाकी कितने साल ना नहाने वाले पति के साथ रहना पड़ेगा कहना मुश्किल है। बेहतर तो यही है कि हम दोनों अलग हो जाएं उन्हें न नहाना है तो न नहाएं लेकिन हमारा तो पीछा छोड़ दें। जज साहब भी टेंशन में आ गए कि यार बात तो बिल्कुल सही कह रही है ये महिला फिर भी उन्होंने पति को समझाया और कहा कि भैया आखिर नहाने में तुम्हें इतनी दिक्कत क्या है? ठंड लगती है तो गर्म पानी कर लिया करो, ज्यादा है तो धूप में बैठकर स्नान कर लिया करो लेकिन कम से कम नहा तो लिया करो, जैसे-जैसे तो शादी हुई है 40 दिन में बीवी छोडक़र भाग जाएगी तो पूरे शहर में बदनामी होगी पता लगा है कि अब पतिदेव ने अदालत में अंडरटेकिंग दी है कि वे रोज नहाएंगे पत्नी ने भी साफ कर दिया है कि नहाते रहोगे तो बीवी का संग मिलता रहेगा जिस दिन नहाने से तौबा की उसी दिन बीवी भी तुमसे तौबा कर लेगी।
गंजेड़ी चूहे
एक खबर आई है कि एटा जिले के चूहे गंजेडी हो गए हैं, इस खबर में सच्चाई इसलिए है कि ये जानकारी पुलिस ने दी है। दरअसल नारकोटिक्स विभाग ने करीब 5 करोड रुपए का गांजा पकड़ा था और उसको एटा के मलावन थाने में जमा करवा दिया था लेकिन जब उसकी वापसी की बात आई तो पुलिस ने बताया कि वो जब्ती का पूरा गांजा तो चूहे पी गए, लेकिन पुलिस ये नहीं बता पाई कि चूहों के पास ‘चिलम’ कहां से आई किसने चिलम में गांजा भरा किसने उसमें माचिस से आग लगाई और किस तरह से कश लगाए क्योंकि गांजा कोई खाने वाली चीज तो है नहीं, वो तो पिया जाता है गंजेड़ी चिलम ना सही सिगरेट में भर लेते हैं अब नारकोटिक्स वाले भारी परेशान है कि कौन से चूहे को पकड़े जो गांजा पी के घूम रहा है और फिर कोई एक चूहा हो तो उसको पकड़ भी लें, पांच करोड़ का गांजा न जाने कितने चूहे पी कर टुन्नी में घूम रहे होंगे। नारकोटिक्स विभाग मामले की जांच कर रही है कि ये गांजा वास्तव में चूहों ने पी लिया है या फिर चूहा रूपी पुलिस ने ही पूरा गांजा इधर से उधर कर दिया है लेकिन ये बात सही है कि अब इन चूहों को गांजे की लत लग चुकी है और अगर इन्हें गांजा नहीं मिलेगा तो ये पता नहीं क्या कर डालेंगे, इसलिए अपनी तो एटा के लोगों को सलाह है कि हर बिल में थोड़ा-थोड़ा गांजा डालते रहो ताकि चूहे गांजा पीकर टुन्नी में रहे और कम से कम घर की दूसरी चीजों का नुकसान तो ना करें।
सुपरहिट ऑफ द वीक
श्रीमान जी पौधों को पानी दे रहे थे तभी श्रीमती जी आई और उनसे बोली
‘मैने तुम्हारे मोबाइल में कुछ देखा है पौधों को पानी देने के बाद अंदर आओ, कुछ बात करनी है’
आज पूरे दो दिन हो गए हैं श्रीमान जी पानी का पाइप छोड़ ही नहीं रहे हैं।