कांग्रेस ने कहा- संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ
भाजपा ने कहा- देश का विकास होगा तेज
नई दिल्ली (जयलोक)। लोकसभा में आज मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वन नेशन-वन इलेक्शन का संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर भाजपा ने जहां कहा कि इस विधेयक से राष्ट्र का विकास तेज गति से हो सकेगा वहीं कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है। कांग्रेस समेत सपा व अन्य विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ हैं।
लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पेश किया है, जिसे लेकर भाजपा का कहना है कि यह बिल देश के विकास को गति प्रदान करेगा, क्योंकि बार-बार होने वाले चुनावों से व्यवस्था बिगड़ती है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि यह बिल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। बताते चलें कि लोकसभा में बिल पेश होने से पहले भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इस बिल का जोरदार विरोध किया है। कांग्रेस ने कहा है कि यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध करने वालों में कांग्रेस समेत कई दल शामिल हैं। इसमें कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी, पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और जेएमएम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त वन नेशन-वन इलेक्शन के पक्ष एनडीए के सहयोगी दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी के साथ आने की बात कही जा रही है। बसपा ने भी बिल का समर्थन किया है। इस प्रकार भाजपा समेत जेडीयू, टीडीपी और वाईएआर कांग्रेस इसके समर्थन में हैं। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का बिल को लेकर कहना था कि यह एक ऐसा बिल है, जिसके जरिए तानाशाही के विकल्प तलाशे जा रहे हैं और इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
शिवराज सिंह ने ‘एक देश-एक चुनाव’ के गिनाए फायदे, बोले- कम होगा चुनावी खर्च
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन नेशन वन इलेक्शन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन, आज देश की आवश्यकता है। बार-बार होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। आजादी के बाद कई वर्षों तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे, लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और देश को बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रियाओं में उलझा दिया। कांग्रेस तो संवैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं का निरंतर उल्लंघन करती रही है। एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तो बार-बार आचार संहिता नहीं लगेगी और विकास कार्य निरंतर चलते रहेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री जी की ऊर्जा और समय की बचत होगी। राजनैतिक दल हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं, इसमें कमी आएगी। मंत्री, मुख्यमंत्री एवं राजनेताओं का समय भी चुनाव की जगह विकास कार्यों में लग सकेगा। एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने से नए लोगों को अवसर मिल सकेगा। बार-बार चुनाव के कारण लोक लुभावने वादों की प्रतिस्पर्धा भी समाप्त होगी। देश का और पार्टियों का चुनाव खर्च भी कम होगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल, डॉक्टर्स, शिक्षक एवं अन्य कर्मचारियों को बार-बार चुनाव में लगने वाली ड्यूटी से मुक्ति मिलेगी और वे अपने कार्य में निरंतरता रख पाएंगे। सुदूरवर्ती क्षेत्र, नक्सल क्षेत्रों में एक साथ चुनाव होने के कारण हमारे सुरक्षाबल बार बार होने वाली चुनावी प्रकियाओं से मुक्त होगें एवं सुरक्षााबलों की हानि भी कम हो सकेगी। बार-बार चुनाव होने से मतदाताओं में भी उदासीनता देखने को मिलती रही है, हम इस समस्या से भी निजात पा सकेंगे। एक साथ चुनाव होने से इलेक्शन कमीशन और नवाचार कर पाएगा। कोड ऑफ़ कंडक्ट का सही से पालन होने के साथ-साथ चुनावी वैमनस्यता से मुक्ति मिलना, असामाजिक तत्वों पर रोक लगना, चुनावी तनाव कम होने जैसे कारक भी संभव हो सकेंगे।