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अध्ययन में हुआ खुलासा: कई लोगों का डेंगू बिगाड़ रहा पपीते का रस और बकरी का दूध,हर मानव शरीर की अलग होती है तासीर : डॉ. शैलेन्द्र राजपूत

जबलपुर (जयलोक)
इस समय शहर में डेंगू का प्रकोप जमकर कहर बरपा रहा है। हर क्षेत्र में, हर दूसरे घर में डेंगू के लक्षणों से पीडि़त व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। डेंगू से बचाव के लिए प्रदेश सरकार की ओर से एवं नगर निगम जबलपुर की ओर लगातार गाइडलाइन जारी की जा रही है। मच्छरों से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं, सभी लोगों को जिम्मेदारी के साथ मच्छरों से बचने और गंदगी से बचने की सलाह दी जा रही है।
दूसरी ओर चिकित्सा क्षेत्र में भी डेंगू को लेकर नई-नई बातें सामने आ रही हैं। अभी हाल ही में वरिष्ठ डॉक्टरों के द्वारा इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यह बात अध्ययन में उभर कर सामने आई है कि डेंगू की बीमारी से पीडि़त होने वाले लोगों को देशी इलाज के नाम पर दिए जाने वाले पपीते के पत्ते का रस या फिर उस पत्तों को गर्म पानी में उबालकर बनाए जाने वाला अर्क और बकरी के दूध जैसे देशी नुक्से नुकसान ज्यादा पहुँचा रहे है।

 


अध्ययन में सामने आये तथ्यों के संबंध में जब नगर के वरिष्ठ चिकित्सक  एमडी मेडिसिन डॉक्टर शैलेंद्र राजपूत से बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हर मानव शरीर की तासीर अलग-अलग होती है और लगातार हो रहे अध्ययनों में यह देखने में आया है कि इस प्रकार के उपाय से मरीजों के शरीर पर विपरीत असर और लक्षण देखने को मिलते हैं।  डॉ. राजपूत ने बताया कि कई बार डेंगू से पीडि़त होने वाले मरीज पपीते के पत्ते का रस आदि ग्रहण कर लेते हैं जिस कारण उन्हें उल्टी का एहसास हमेशा बना रहता है लेकिन उल्टी नहीं होती।  मुँह से खाने का स्वाद चला जाता है और किसी भी प्रकार के खाने की या पानी पीने की भी इच्छा नहीं होती है। इस प्रकार के उपाय के कारण कई बार मरीजों को दस्त लगने लगते हैं जिसके कारण उन्हें और कमजोरी आ जाती है। कई बार यह अर्क इतना गर्म कर जाता है कि मरीजों की आंतों और गले पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है। देश के विभिन्न कोनों से लगातार इस प्रकार के अध्ययन सामने आ रहे हैं  जहां पर चिकित्सा विज्ञान से जुड़े वरिष्ठ लोगों ने इस बात को बताया है कि डेंगू जैसी बीमारी को बहुत ही गंभीरता के साथ इलाज की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में बिना चिकित्सा सलाह के किसी भी प्रकार की घरेलू इलाज के नुक्से और प्रचलित बातों के आधार पर विभिन्न प्रकार की चीजों का सेवन करना नुकसानदायक साबित हो रहा है।
तीन से चार लीटर पानी पीना अनिवार्य
डेंगू जैसी गंभीर बीमारी में चिकित्सा राहत की सफलता का अच्छा परिणाम दे रहे वरिष्ठ चिकित्सक एमडी मेडिसिन डॉक्टर शैलेंद्र राजपूत का कहना है कि किसी भी मरीज को अगर डेंगू की शिकायत होती है तो ऐसी स्थिति में प्लेटलेट काउंट का ध्यान रखा जाना तो बहुत आवश्यक है ही साथ ही मरीज को तीन से चार लीटर पानी प्रतिदिन सेवन करना अनिवार्य होता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि मनुष्य का शरीर किसी भी स्थिति में डिहाइड्रेट नहीं होना चाहिए। तरल पदार्थ चाहे पानी के रूप में लिया जाए नारियल पानी है, जूस है, सूप है किसी भी रूप में ग्रहण किया जा सकता है। इसके कारण शरीर के अन्य अंगों पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। डेंगू जैसी बीमारी को पूरी गंभीरता के साथ चिकित्सा विज्ञान के माध्यम से इलाज की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के घरेलू नुख्सों का उपयोग नुकसानदायक साबित हो सकता है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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