चाकू से हमला यानि जान लेने का प्रयास
पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारियों को दिए सख्त निर्देश
जबलपुर (जयलोक) । संस्कारधानी में लगातार बढ़ते जा रहे चाकूबाजी के मामलों पर नकेल कसने और चाकूबाजों पर सख्त कार्यवाही करने के मामले में अब जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आईपीएस संपत उपाध्याय ने अपना कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। अब जिले में होने वाली चाकूबाजी की किसी भी घटना में सीधे हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जा रहा है। कानून के जानकार और अपराधी धारा 307 के नाम से इसको बखूबी जानते है। ऐसे अपराधियों को जेल में रहना ही पड़ता है और ये कानूनी दांव पेंच का लाभ नहीं उठा पाते।
नवंबर में 34 चाकूबाजी के मामले,सब में 307 दर्ज हुआ
यह जो आंकड़े पुलिस के माध्यम से सामने आए हैं उसके अनुसार विगत नवंबर महीने में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में हत्या के प्रयास के 34 मामले दर्ज हुए। लेकिन इसका बिल्कुल भी यह मतलब नहीं है कि गंभीर अपराधों की श्रेणी में बढ़ोतरी हुई है। बल्कि अपराधियों से निपटने की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। पुलिस यह मानकर सख्त कार्यवाही कर रही है कि जिस भी घटना में चाकू का उपयोग हमले के लिए हो रहा है उसे हत्या का प्रयास ही माना जाए क्योंकि ऐसे ही मामले में कई बार अत्यधिक रक्त रिसाव और गहरी चोटों के कारण कई मासूम लोगों की जान भी गई है।
कम हुई घटनायें
पुलिस द्वारा चाकूबाजों पर सख्त कार्रवाई करने का सिलसिला शुरू करते ही चाकू बाजी की घटनाओं में कमी नजर आ रही है। अपराधियों में पुलिस का डर होना बहुत जरूरी माना जा रहा है। पुलिस अधीक्षक ने अपने अधीनस्थों को यही डर पैदा करने के लिए निर्देश दिए हैं। पुलिस की यह सख्ती उन चाकूबाजों के हौसले पस्त करने के लिए काफी साबित हो रही है जो खुलेआम शहर की सडक़ों पर मामूली सी बातों पर भी चाकू से हमला करने में पीछे नहीं हटते।
लंबा समय काटता है जेल में, नहीं मिलती जमानत
चाकू बाजी की किसी भी घटना में आरोपियों के खिलाफ 307 का मामला दर्ज होने से न्यायालय भी अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए ऐसे अपराधियों को और 307 के आरोपियों को लंबे समय तक जेल की यात्रा पर भेज देते हैं जहां इनकी गुंडागर्दी का भूत भी उतरता है और इन्हें सजा भी भुगतना पड़ती है। क्योंकि गंभीर अपराध में लिप्त ऐसे लोगों को जमानत का लाभ भी जल्दी नहीं मिलता है।