महाराष्ट्र में राजनीति का चक्र इस बार बहुत तेजी के साथ घूमा है। महाराष्ट्र में भाजपा की चुनावी रणनीति के रणनीतिकार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव से बहुत पहले ही अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। जब अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तभी उन्होंने दो प्रमुख राज्यों को अपने निशाने पर लिया था जिनमें एक उत्तरप्रदेश और दूसरा महाराष्ट्र रहा। उत्तर प्रदेश में तो अमित शाह ने सपा और बसपा जैसे ताकतवर दलों को ठिकाने लगा कर भाजपा को पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता दिला दी और भाजपा आज इस राज्य में दूसरी बार भी सत्ता पर काबिज हो चुकी है।
शाह ने महाराष्ट्र में यह तय कर लिया था कि वे यहां भाजपा को शिवसेना की बैसाखी से मुक्त करायेंगे और भाजपा का मातोश्री में घुटने टेकना बंद करायेंगे। मातोश्री में रहने वाले बालासाहेब ठाकरे का महाराष्ट्र की राजनीति में बडा़ दबदबा रहा । भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता भी मातोश्री में दस्तक देते थे । अमित शाह ने शिव सेना को ठिकाने लगाने और महाराष्ट्र में भाजपा को मजबूत करने का खुद मोर्चा संभाला। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पहली बार शिवसेना की मदद से सत्ता में आयी और देवेन्द्र फडऩवीस मुख्यमंत्री बने। शाह ने शिव सेना से चुनावी गठबंधन के बिना अलग होकर महाराष्ट्र में चुनाव लडऩे का फैसला किया। जब 2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए तब भी भाजपा अकेले चुनाव लड़ी। शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के दावे को खारिज कर दिया। उद्धव ठाकरे अमित शाह को यह भी प्रस्ताव दिया था कि शिवसेना और भाजपा ढाई ढाई साल के लिए अपना मुख्यमंत्री बना लें। लेकिन अमित शाह इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए। तोडफ़ोड़ की राजनीति करने में महारत हासिल कर चुके अमित शाह ने शरद पवार की पार्टी से अजीत पवार को उस समय भी तोड़ा था और उनकी मदद से भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनवा दिया और अजीत पवार उप मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन अजीत पवार बहुमत के लायक विधायकों को नहीं तोड़ पाए। 80 घंटे तक मुख्यमंत्री रहने वाले देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया। भाजपा से खफा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और शरद पवार कि एनसीपी की मदद से मुख्यमंत्री बनने का फैसला शरद पवार की सलाह पर कर लिया। उद्धव ठाकरे सरकार को चला रहे थे लेकिन अमित शाह तो अपने मिशन में लगे ही रहे। आखिर वह समय आया जब अमित शाह ने शिवसेना में विभाजन करा कर भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवा दिया इस तरह शाह ने उद्धव ठाकरे को ठिकाने लगाने की शुरुआत कर दी। शिवसेना को विभाजित करने के बाद अमित शाह रुके नहीं और उन्होंने शरद पवार की एनसीपी का विभाजन करा कर अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनवा दिया। देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बनने सहमत नहीं थे। लेकिन अमित शाह की जिद्द पर वे उपमुख्यमंत्री बने।इस बार के महाराष्ट्र में जो विधानसभा के चुनाव हुए उनमें भाजपा को भारी जीत दिलाने की रणनीति अमित शाह ने बनाई। शाह की रणनीति ने शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के साथ सीटों का बटवारा कराने में कामयाब हो गई है। इस बार के जो चुनाव हुए उसने चौंकाने वाले नतीजे दिखाए। भारतीय जनता पार्टी को 132 सीटों पर बड़ी कामयाबी मिली। वहीं शिंदे और अजीत पवार की पार्टी को भी पर्याप्त सीटें इस बार के चुनाव में मिलीं । वही विपक्षी दलों का बुरी तरह से सफाया हो गया। उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी चुनाव में बुरी तरह से हार गई और उसे मात्र 21 सीटें ही मिल पाए पायीं। चुनावी नतीजों के बाद अमित शाह महाराष्ट्र में सरकार के गठन में भाग्य विधाता बन गये। शिंदे और पवार भी शाह के दर पर दस्तक देने गये। नतीजों के बाद महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए 10 दिन का समय लग गया क्योंकि शिंदे बिहार के फार्मूले पर मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे थे। आखिर अमित शाह ने और शिंदे और अजीत पवार को यह बतला दिया कि मुख्यमंत्री बीजेपी का ही बनेगा। आखिर इन दोनों नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनने का शाह का फैसला मानना पड़ा और भाजपा ने देवेन्द्र फडऩवीस को अपना मुख्यमंत्री बनाकर महाराष्ट्र में अपना दबदबा कायम किया। इस बार अमित शाह ने मातोश्री के दरबार और उद्धव ठाकरे की शिवसेना से पूरी तरह से भाजपा को मुक्ति दिला दी ।