जबलपुर (जयलोक)।
नौ दिनों तक चलने वाले सनातन धर्मियों के सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि के पर्व का आज अंतिम दिन है। आज नवरात्रि के समापन के मौके पर शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों और मंदिरों में पूजन का विशेष रूप से आयोजन हो रहा है। साथ ही आज कन्याभोज और भंडारों का भी नवरात्रि के आखिरी दिन आयोजन हो रहे हैं। आज पंजाबी दशहरा का आयोजन भी होने जा रहा है। वहीं कल मुख्य दशहरा चलसमारोह का आयोजन होगा। शहर भर में स्थापित दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन भी कल ही नर्मदा तटों तथा हनुमानताल और शहर के अन्य तालाबों में भी होगा।
सर्वाधिक प्रतिमाओं का विसर्जन गौरीघाट में तैयार किए गए भटौली के नर्मदा कुंड में किया जाएगा। दशहरा चल समारोह को लेकर पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। मुख्य चल समारोह का नेतृत्व परांपरा के अनुसार गोविंदगंज रामलीला समिति द्वारा किया जाएगा।
आज अंतिम दिन उमड़ेगा जनसैलाब- शारदेय नवरात्र पर्व की धूमधाम चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई है। नवरात्रि के आज अंतिम दिन दुर्गानवमीं पर आदि शक्ति स्वरूपा के नवमें रूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जा रही है। आज हवन पूजन एवं कन्या भोज के आयोजनों के बाद देवी दिवालों में स्थापित किये गये जवारों का विसर्जन कर दिया जायेगा। वहीं कल विजयादशमी पर प्रतिमाओं के विसजज़्न के साथ दुर्गोत्सव का भी समापन हो जायेगा। इस साल शहर के मुख्य व उपनगरीय क्षेत्र के चल समारोह निकालें जायेंगे। अष्टमी के दिन माता रानी को अठवाई का भोग लगाकर माता से सुख समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की गई और देर रात तक सडक़ों पर चहल-पहल बनी रही। आज पर्व समापन की पूर्व संध्या से ही धामिक अनुष्ठानों की धूम के बीच देवी दर्शनों के लिए सडक़ों पर अपार जनसैलाब निकल पड़ेगा जो पिछले एक दो दिनों में किन्ही कारणोवश घरों से नहीं निकल पाये वे भी आज अंतिम मौके पर घरों से निकल पड़ेगे। इसके पूर्व कल अष्टमी को शहर में भारी चहल पहल रही कई स्थानों पर तो भीड़ का आलम यह था कि पैर रखने जगह नहीं थी। शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। वाहनों की रैलम पैल रोकने के लिए जो व्यवस्थायें निर्धारित की गई थी उनका पूर्णत: पालन नहीं हो सका परिणाम स्वरूप कहीं-कहीं आवागमन में भारी अव्यवस्थायें हुई। मोटर साईकिलों में सवार युवकों ने संस्कृति व सभ्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाये।
बावजूद इसके शहर में सर्वत्र शांतिपूर्ण व्यवस्था बनी रही। बहरहाल कल शहर में भारी भीड़भाड का माहौल रहा।
परम्परागत प्रतिमाएं भी कम नहीं- आधुनिकता और हर साल नये नये प्रयोग कर झांकियों को तैयार करने वाली समितियां ही अकेली चर्चित नहीं है। परंपरागत तरीके से हर साल एक सा प्रदर्शन करने वाली समितियों की पहचान भी खासी हैं। इसी तरह गढ़ाफाटक की वृहद महाकाली और छोटी महाकाली का भी अपना एक विशेष महत्व हैं। यहां दर्शन किये बगैर लोग नहीं रहते। इन स्थानों के प्रति लोगों में वो आस्था है कि 12 महीनें श्रद्धालु माँ के बैठने के स्थल को नमन् करने नियम से जाते हैं। घमापुर बाई का बगीचा, न्यू बस स्टेण्ड, सिटी बंगाली क्लब, गोपाल बाग दरहाई कोतवाली बड़ा मैदान कमानिया और भूमि की तलैया व खटीक मोहल्ला सराफा में भी परम्परागत तरीके से स्थापित की जाने वाली प्रतिमाओं के दर्शनार्थ भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
भव्य शोभायात्रा निकलेगी– प्रभु श्रीराम का पूजन वंदन होगा। विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति नगर की शैक्षणिक एवं संस्थाओं के कलाकारों द्वारा की जायेगी। इस बार 75 फुट ऊॅचे रावण एवं कुंभकरण के पुतले का दहन होगा। सायंकाल प्रभु श्रीराम की शोभायात्रा निकाली जायेगी।