जबलपुर (जय लोक)। उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई हत्या के एक मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि प्रकरण की विवेचना में काम कर रहे अधिकारी ने बहुत लापरवाही की है। पुलिस के विवेचना अधिकारी के ढुलमुल रवैया पर न्यायाधीश श्री विवेक अग्रवाल काफी नाराज हुए और उन्होंने तत्काल दोपहर में ही जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए निर्देश दिया। न्यायालय ने पूरे मामले से जुड़ी बातों और जांच में की गई लापरवाही के सभी बिंदुओं से पुलिस अधीक्षक को भी अवगत कराया। न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को निर्देश भी दिए कि वे ऐसे विवेचना अधिकारी पर कार्यवाही करें जो जांच में ढुलमुल रवैया अपनाते हैं। आदेश में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों पर कार्यवाही कर न्यायालय को उसकी रिपोर्ट भी सौंपें।
पुलिस अधीक्षक के समक्ष भी जब अधीनस्थों द्वारा की गई गलतियों को रखा गया तो उन्होंने भी न्यायालय के समक्ष इस बात को स्वीकारा कि उनके अधिकारियों ने जांच विवेचना के दौरान गलती की है।
पूरा मामला मार्च 2024 का है। अभिषेक भारती नामक युवक की मौत हुई थी। इस मौत को सडक़ हादसा दिखाने के प्रयास किए गए थे। लेकिन मामले में बड़ा खुलासा बाद में हुआ कि युवक की सडक़ हादसे में मौत नहीं हुई थी बल्कि उसकी हत्या की गई थी। इस मामले में उसके भाई विनोद भारती को पुलिस ने आरोपी बनाया था जिसने अनुकंपा नियुक्ति और मकान हड़पने के चक्कर में यह कांड किया था। इस मामले की विवेचना कर रहे विवेचन पुलिस अधिकारी ने 161के तहत बयान चालान के साथ प्रस्तुत नहीं किया। न्यायालय के समय जब जमानत अर्जी की सुनवाई हो रही थी और न्यायालय ने यह पाया कि विवेचना में इतनी बड़ी चुकी गई है। तो उन्होंने तत्काल पुलिस अधीक्षक को न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए। न्यायाधीश श्री विवेक अग्रवाल ने यह टिप्पणी भी की है कि, पुलिस के अधिकारियों को वर्दी पहन कर कुछ भी करने की छूट नहीं मिल जाती है ना ही उन्हें गलत करने का लाइसेंस मिल जाता है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कंट्रोल में रखें और ऐसी गलतियां करने वालों को सजा भी दी जाए।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में थे एसपी –
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव कल जबलपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए नगर प्रवास पर थे। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस अधीक्षक लगे हुए थे। न्यायालय ने सरकारी वकील को पुलिस अधीक्षक को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने के निर्देशों से अवगत कराने के लिए कहा। कुछ देर बाद शासकीय वकील की ओर से यह कहा गया कि मुख्यमंत्री जबलपुर प्रवास पर है इसलिए एसएचओ को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने की अनुमति दी जाए। जिस पर न्यायालय ने इस निवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि एसएचओ ही इस मामले में मुख्य दोषी है इसलिए यह निवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का समय बताएं और उसके अनुसार पुलिस अधीक्षक को ऑनलाइन या प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में हाजिर करें। दोपहर बाद ही पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने यह बात स्वीकारी की 161 के तहत बयान लिए गए हैं लेकिन विवेचना अधिकारी ने लापरवाही करते हुए इसे चलान के साथ शामिल नहीं किया। इस लापरवाही पर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।